भूटान के तीसरे राजा जिग्मे वांगचुक ने मंगलवार को भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) अजीत डोभाल से मुलाकात की। इसके बाद वो राजघाट पहुंचे, जहां उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। वांगचुक थोड़ी देर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके निवास पर मुलाकात करेंगे। शाम करीब 5 बजे राष्ट्रपति भवन में वांगचुक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलेंगे।
इससे पहले सोमवार को तीन दिन के दौरे पर भारत पहुंचे भूटानी राजा जिग्मे वांगचुक ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। जयशंकर ने कहा था कि वांगचुक का दौरा दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक किंग वांगचुक के साथ भूटान के विदेश व्यापार मंत्री टैंडी दोरजी और शाही सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री भी भारत आए हैं। भारत दौरे पर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर बातचीत होगी।
सबसे पहले जानें भूटान के पीएम लोते थेरिंग ने क्या कहा था?
- बेल्जियम की वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में भूटान के पीएम थेरिंग ने कहा था- डोकलाम मसले का हल सिर्फ भूटान नहीं निकाल सकता। इस मामले से तीन देश जुड़े हैं। और इस मामले में किसी भी देश को छोटा नहीं माना जा सकता। सब बराबर के हिस्सेदार हैं।
- थेरिंग का यह बयान भारत की चिंताएं बढ़ाने वाला है। इसकी वजह यह है कि भारत डोकलाम में चीन के किसी भी दावे को नहीं मानता। उसके मुताबिक यह भारत और भूटान के बीच का मामला है। चीन का इसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए। यह हिस्सा भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर में आता है, जिसे स्ट्रैटजिक लोकेशन के हिसाब से सेंसिटिव माना जाता है।
भूटान में निवेश के लिए अहम भारत
भूटान ने 1960 के दशक में आर्थिक विकास के लिए अपनी पहली पंच वर्षीय योजना शुरू की थी। जिसकी सारी फंडिंग ही भारत ने की थी। 2021 में भारत सरकार ने भूटान के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए 7 नए ट्रेड रूट खोले थे। वहीं 12वीं पंच वर्षीय योजना के लिए भी भारत ने भूटान को 4500 करोड़ रुपए दिए थे।भारत की आज़ादी के बाद दोनों देशों के बीच एक संधि हुई थी। इसमें कई प्रावधान थे, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण रक्षा और विदेश मामलों में भूटान की निर्भरता को लेकर था। हालांकि समय-समय पर इस संधि में कई बदलाव हुए, लेकिन आर्थिक सहयोग को मजबूत करने और उसके विस्तार के लिए, संस्कृति-शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आपसी सहयोग के प्रावधान बने रहे।
चीन से सीमा विवाद के चलते भारत के लिए अहम भूटान
भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं भूटान के ईस्टर्न बॉर्डर से मिलती हैं। चीन का प्लान है कि वो अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा कर ले, जिससे वो भूटान का पड़ोसी बन जाए। भूटान के वेस्टर्न हिस्से में स्ट्रैटेजिक पाइंट को जोड़ने के लिए चीन पहले से ही बड़े स्तर पर सड़कें बना रहा है।रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन डोकलाम से गामोचिन तक अपनी सड़कों का विस्तार करना चाहता है, जिसकी सुरक्षा का जिम्मा अभी भारतीय सेना के पास है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब जाने का चीन का प्रयास भारत और भूटान दोनों के लिए एक सुरक्षा खतरा है। चीन इस क्षेत्र में रेलवे लाइनों के अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है, जिससे युद्ध के समय उसकी सेना को बड़ा एडवांटेज मिल सकता है।