धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा पूरी, पीएम मोदी सोमवार को देंगे जवाब, भाजपा ने जारी किया व्हिप

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा तीसरे दिन भी काफी तीखी रही। विपक्ष ने शुक्रवार को भी चर्चा को कृषि कानूनों और किसानों के मुद्दे तक ही केंद्रित रखा और सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की मांग दोहराई। कांग्रेस ने कहा कि राज्यसभा में जब इन कानूनों को लाया गया था, तभी सरकार को चेताया गया था कि यह किसानों के लिए डेथ वारंट है, लेकिन सरकार अपनी जिद पर अड़ी रही।

भाजपा ने विपक्ष पर लगाया किसानों को भड़काने का आरोप

सत्ता पक्ष ने कहा कि किसान इनके चेहरों को पहचाने और समझे उनका हितैषी कौन है? भाजपा ने विपक्ष पर किसानों को भड़काने का भी आरोप लगाया। शुक्रवार को चर्चा पूरी हो गई और संभवत: सोमवार को प्रधानमंत्री इसका जवाब देंगे। भाजपा ने सोमवार से सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने का व्हिप जारी कर दिया है।

चर्चा में विपक्ष की ओर से हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि प्रजातंत्र में सभी एक मत हो यह जरूरी नहीं है, लेकिन जिस कानून को वापस लेने के लिए देशभर के किसान आंदोलन कर रहे हैं, उसकी राष्ट्रपति के अभिभाषण में तारीफ की गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

आनंद शर्मा ने कहा- सरकार को किसान मामला प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए

आनंद शर्मा ने कहा कि इन विधेयकों को पर्याप्त चर्चा के बगैर पारित करवाया गया था और अब किसानों को बदनाम किया जा रहा है। हठधर्मिता के कारण यह स्थिति बनी है और सरकार को इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका से भी उम्मीद जताई कि इस मामले पर जल्द फैसला देगी।

भाजपा सांसद ने कहा- मोदी ने शासन-प्रशासन का स्वरूप बदला है, विपक्ष विरोध कर रहा है

भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने इतिहास के कई उदाहरण देते हुए कहा कि सही मायने में अब तक गणतंत्र केवल कुछ लोगों तक सीमित था। मोदी काल में यह सुदूर के गांवों से लेकर उन लोगों तक पहुंचा है, जो गुमनामी में रहकर देश और समाज के लिए काम कर रहे थे। मोदी ने शासन-प्रशासन का स्वरूप बदला है और सकारात्मक बदलाव लाया है। लेकिन विपक्ष उसका भी विरोध कर रहा है।

भाजपा सांसद ने कहा- कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का अधिकार नहीं 

विपक्षी सांसदों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का अधिकार नहीं है। आपातकाल तो सबकी याद में है। लेकिन यह भी कोई नहीं भूला है कि राजीव गांधी सरकार के समय में एक विधेयक पारित कराया गया था कि सरकार किसी की भी चिट्ठी खोलकर पढ़ सकती है। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल ¨सह ने उसे मंजूरी नहीं दी। मोदी सरकार में तो सबकी सुनी जा रही है। किसानों से बातचीत हुई है। लेकिन विपक्ष भड़काने की राजनीति छोड़े तो राह बने।