ब्रिटेन के टावर ऑफ लंदन की प्रदर्शनी में बताया गया है कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत से कोहिनूर हीरा ले गई थी। महाराजा दिलीप सिंह को इसे सरेंडर करने के लिए मजबूर किया गया था। 1849 में अंग्रेजों ने दिलीप सिंह से लाहौर ले लिया था। एक्जिबीशन में कहा गया है कि लाहौर संधि के तहत दिलीप सिंह के सामने कोहिनूर सौंपने की शर्त रखी गई थी।
बकिंघम पैलेस के रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट की मंजूरी के बाद प्रदर्शनी में ये टेक्स्ट लिखा गया है। दरअसल, टावर ऑफ लंदन की प्रदर्शनी में पहली बार कोहिनूर सहित कई कीमती हीरे-जवहारात शामिल किए गए हैं। यहां कई वीडियो और प्रेजेंटेशन्स के जरिए कोहिनूर का इतिहास भी बताया जा रहा है।
कोहिनूर हीरा ‘विजय का प्रतीक’
क्राउन ज्वेल्स ऐग्जीबिशन में कोहिनूर पर एक फिल्म भी दिखाई गई है। इसमें इसके पूरे इतिहास को एक ग्राफिक मैप के जरिए दिखाया गया है। प्रदर्शनी में कोहिनूर को विजय के प्रतीक’ के तौर पर रखा गया है ग्राफिक्स में दिखाया गया है कि हीरे को गोलकुंडा की खदानों से निकाला गया था। इसके बाद एक तस्वीर में महाराजा दिलीप सिंह इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपते नजर आ रहे हैं।
एक और तस्वीर में ब्रिटेन की क्वीन मदर के ताज में कोहिनूर जड़ा नजर आ रहा है। टॉवर ऑफ लंदन में ये एक्जिबीशन किंग चार्ल्स की ताजपोशी के अवसर पर लगाई गई है। 6 मई को किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला की ताजपोशी हुई थी।
क्वीन कैमिला ने नहीं पहना कोहिनूर जड़ा ताज
ताजपोशी में कैमिला ने क्वीन एलिजाबेथ का कोहिनूर जड़ा ताज नहीं पहना था। इसकी जगह उनके लिए क्वीन मैरी के ताज को नए तरह से रेनोवेट किया गया था। इसमें कई बेशकीमती हीरे-मोती लगाए गए थे। दरअसल, रॉयल फैमिली कोस डर था कि कोहिनूर जड़े ताज के इस्तेमाल से भारत के साथ रिश्ते बिगड़ सकते हैं। इसी वजह से ये फैसला लिया गया था।
भारत कई बार कोहिनूर वापस मांग चुका है
कोहिनूर जड़े ताज को सबसे पहले ब्रिटेन की क्वीन मदर ने पहना था। इसके बाद ये ताज क्वीन एलिजाबेथ को मिला था। इस ताज में कोहिनूर के अलावा अफ्रीका का बेशकीमती हीरा ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका सहित कई कीमती पत्थर जड़े हैं। इसकी कीमत करीब 40 करोड़ डॉलर आंकी गई है। भारत ने ब्रिटेन के सामने कई बार कोहिनूर हीरे पर अपना कानूनी हक होने का दावा किया है।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार कोहिनूर समेत भारत के कई कीमती सामानों और हीरे-जवहारातों को वापस लाने के लिए ब्रिटेन में अधिकारियों से बात कर रही है। संसद की स्थायी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। वहीं भारत की तरह ही अफ्रीका ने भी कई बार ब्रिटेन के शाही ताज में जड़े अपने बेशकीमती हीरे लौटाने की मांग की है।
कई देश करते हैं कोहिनूर पर अपना दावा
कोहिनूर हीरे का इतिहास विवादों से भरा रहा है। कहा जाता है कि साल 1849 में जब अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जा किया तो इस हीरे को ब्रिटेन की तब की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था। बाद में इसे और कई हीरों के साथ ब्रिटेन के शाही ताज में लगा दिया गया। भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ईरान भी इस हीरे पर अपना दावा कर चुके हैं।