23 अगस्त की बैठक में मायावती ने साफ कर दिया कि 2024 का लोकसभा चुनाव में बसपा किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। ऐसे में UP की राजनीति में वर्चस्व रखने वाली बसपा के भविष्य की बातें भी होने लगी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा था। उसे 403 विधानसभा सीट में से महज एक सीट पर ही जीत हासिल हो सकी थी।
वहीं, अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तब भी बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा था। उसे शून्य सीट मिली थी। हालांकि 2019 में सपा के साथ गठबंधन में बीएसपी को फायदा मिला था। उसने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। एक तरफ जहां 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में विपक्षी दलों की तीसरी बार बैठक होने जा रही है। इससे पहले ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया कि वो अकेले ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी।
दलित नेता और यूपी की 4 बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती आखिर क्यों अब किसी पार्टी से गठबंधन नहीं चाहती हैं। अतीत में जब बसपा ने गठबंधन किया तो उसे कितना फायदा हुआ। भास्कर संवाददाता ने गठबंधन से लेकर ऐसे तमाम सवालों के जवाब बसपा सुप्रीमो के समधी और कई राज्यों के बसपा प्रभारी अशोक सिद्धार्थ और बिजनौर के सांसद मलूक नागर से जानने की कोशिश की।
सवाल: 2014 में अकेले लड़े, तब शून्य सीट आई, इस बार क्या दावेदारी मजबूत रहेगी?
जवाब: 100% रहेगी। 2014 कि परिस्थितियां अलग थीं, आज की परिस्थितियां अलग हैं। 2014 में बीजेपी को लोग अलग नजर से देख रहे थे। उस समय कांग्रेस की सत्ता थी। हर तरफ भ्रष्टाचार और कुशासन था। इसलिए 2014 की परिस्थितियां अलग थीं। अब जनता ने दोनों का शासन देख लिया हैं। अब बसपा का शासन लोगों को याद आ रहा है।
सवाल: 2022 में विधानसभा चुनाव में केवल 1 सीट जीत पाए थे?
जवाब: हर चुनाव में परिस्थितियां अलग होती हैं। बीजेपी के भी कभी 2 सांसद हुआ करते थे। आज बीजेपी के कई सांसद हैं। 2007 में बीजेपी के कितने विधायक थे और आज कितने हैं, ये सभी को पता है। परिस्थितियां बदलती रहती हैं। जनता कभी सिर पर बैठाती है, कभी उतार देती है।
सवाल: आपका फोकस कहां-कहां हैं, लोकसभा चुनाव लड़ने का?
जवाब: देश भर के कई राज्यों में हम तैयारियों में लगे हैं। यूपी के अलावा एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु आदि राज्यों में हम बड़े पैमाने पर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हमारी पार्टी को जीत हासिल होगी।
सवाल: विपक्षी दलों की बैठक पर क्या कहेंगे?
जवाब: हमारी नेता बहन मायावती ने साफ कहा है कि दोनों ही पार्टी हमारी हितैषी नहीं हैं। हमारे लिए दोनों लोग वैसे ही हैं। हमारे वोट उनको ट्रांसफर हो जाते हैं, लेकिन उनके वोट हमको ट्रांसफर नहीं होते हैं। इसलिए हमने गठबंधन नहीं किया।
सवाल: घोषी उपचुनाव में किस पार्टी को समर्थन देंगे?
जवाब: इसका निर्णय हमारी पार्टी की सुप्रीमो मायावती लेंगी। इस पर मुझे कुछ नहीं कहना है।
मलूक नागर कहते हैं, “मायावती ही देश की एकमात्र नेता हैं जो अपने वोट को ट्रांसफर करने की क्षमता रखती हैं। दूसरी पार्टी अपने वोट को ट्रांसफर करने की क्षमता नहीं रखती है। हमारे वोट दूसरों को गठबंधन में चले जाते हैं और दूसरों के वोट हमारे गठबंधन में नहीं आ पाते हैं। इसलिए यही रुकावट है गठबंधन की सोच के लिए।”
सवाल: बीजेपी से कैसे मुकाबला करेंगे, 2014 में अकेले लड़ने पर शून्य हो गए थे?
जवाब: 2007 से 2012 तक हमारे 225 विधायक थे सरकार बनी थी हमारी, 2012 से 2017 तक 80 से ऊपर विधायक हमारे थे, फिर घटते चले गए। शुरू में हमारे 6 से 7 विधायक जीता करते थे फिर हम बढ़े और फिर घटे। बीजेपी भी 1998 में केंद्र और यूपी की सत्ता में थी लेकिन फिर दोनों जगह से सत्ता से गयी फिर बीजेपी आयी सत्ता में। अकेले हम जीतेंगे पहले भी 20 से ज्यादा सांसद हमारे रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो बिना गठबंधन के बसपा केवल एक बार 2007 में प्रदेश में अपने दम पर सत्ता हासिल करने में कामयाब रही। बाकी जब भी वो सत्ता में आई तो किसी ना किसी के सहारे की उसे जरूरत पड़ी थी। केंद्र में पीएम मोदी के उभरने के बाद 2014 में बसपा को 0 सीट मिली। 2019 में 10 सीट लोकसभा में सपा के साथ गठबंधन कि वजह से जीत सकी थी।