यूपी में नौकरशाहों से परेशान सांसद-विधायक:सबका साथ-सबका विकास वाली सरकार के नेताओं की नहीं सुनते अफसर; सीएम योगी की नसीहत भी बेअसर!

सबका साथ-सबका विकास का नारा बुलंद करने वाली सरकार में जब सांसद विधायक ही अफसरशाही से अपने मन की बात सुनाने-मनवाने में दिक्कत महसूस करते हों तो आम जनता का क्या होगा पुरसाहाल–इसका अंदाजा लगाना कतई मुश्किल नहीं।

अफसरशाही के रवैये से आहत माननीय, सीएम-सीएस की नसीहतें हो जाती हैं दरकिनार!
विधायिका के नुमाइंदों और नौकरशाही के रिश्तों में तल्खी-तनातनी-शिकवा-शिकायत-नाराजगी का सिलसिला अरसे से जारी है, अधिकार को लेकर अधिकारियों से मनमुटाव की इस कड़ी में नए-नए किस्से जुड़ते ही रहे हैं। बीते दिनों लखनऊ में विकास एवं कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में केन्द्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर ने सरकारी महकमों की कार्यशैली को लेकर नाखुशी जताई।

एलडीए (लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी ) और लेसा (लखनऊ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एडमिनिस्ट्रेशन) के रवैये को लेकर तल्ख तेवर जताए। आगामी 17 सितंबर के बाद जन चौपाल लगाकर पीड़ित जनता का दर्द सुनने की बात कही।

इससे पहले 28 अगस्त को गोंडा के विकास भवन में निगरानी समिति की बैठक में बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिह की नाराजगी भी उजागर हुई थी। बिफरते हुए सांसद ने यहां तक कह दिया कि ग्रामीण सड़कों की हालत यह हो गई है कि यह बहुत बड़ा मुद्दा बनने वाला है। इस बैठक में जनप्रतिनिधियों ने लापरवाही पर अफसरों को आड़े हाथों लिया।

जब नोएडा विधायक ने सख्त लहजे का किया इजहार

21 अगस्त को नोएडा में किसान अपनी मांगों को लेकर विधायक पंकज सिंह के आवास पहुंचे। इस दौरान अमूमन शांत रहने वाले पकंज सिंह का लहजा तल्ख हो गया। सार्वजनिक तौर पर उन्होंने कहा “हम जनप्रतिनिधि हर रोज किसानों का धरना-प्रदर्शन झेल रहे हैं और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कमिश्नर (IDC) लखनऊ में बैठकर तमाशा देखते हैं।”

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी को फटकारते हुए उन्होंने कहा, “उनसे कहिए, लखनऊ में बैठकर तमाशा नहीं देखें। मैं 15 दिन का समय दे रहा हूं। ये समय उद्योग मंत्री को भी दे रहा हूं। जल्दी से समस्या का समाधान करें।” हालांकि इसे लेकर आईडीसी मनोज कुमार सिंह ने सधा बयान दिया। कहा कि विधायक को क्षेत्रीय लोगों से मिलना मुसीबत नहीं समझना चाहिए।” हालांकि, मामला रक्षामंत्री के बेटे और सूबे के सबसे ताकतवर नौकरशाह से जुड़ा हुआ था। लिहाजा, फौरी तौर पर इस विवाद को शांत कर दिया गया। वहीं, पकंज सिंह ने भी दो दिन बाद लखनऊ आकर सीएम योगी से मुलाकात की थी।

ऊर्जा मंत्री डॉ. एके शर्मा गुजरात कैडर के आईएएस अफसर थे, वीआरएस लेकर यूपी आए, बीजेपी ज्वाइन की। फिर संगठन से होते हुए सरकार का हिस्सा बन गए। यूपी के ऊर्जा मंत्री के तौर पर काम करते हुए कई मौके ऐसे आए जब कामकाज को लेकर यूपी पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज से उनके मतभेद सुर्खियों में छाए।

मंत्री से बिगड़े रिश्तों का परिणाम रहा कि एम देवराज को हटाकर प्राविधिक शिक्षा में भेज दिए गए। जाहिर है माननीय बनने के बाद पूर्व आईएएस का भी मौजूदा नौकरशाह से रिश्ता असहज हो गया, संवादहीनता के हालात पनपे।