छवि बनाने की जद्दोजहद:‘अल्पसंख्यक स्नेह संवाद’ से मुस्लिम वोटबैंक में सेंधमारी: PM मोदी उतरेंगे मैदान में, सपा-बसपा की मुश्किलें बढ़ना तय

हिन्दुत्व के एजेंडे को केन्द्र में रखकर राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ करने के लिए तमाम पैंतरे आजमा रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में गैर जाटव और गैर यादव ओबीसी वोटर को एक अम्ब्रेला में लाकर भाजपा ने चुनाव लड़ा था जिसका नतीजा सबके सामने है। भाजपा अकेले अपने दम पर सत्ता में आई थी। इस बार पुराने फॉर्मूले के साथ ही मुस्लिम आबादी को भी अपने पाले में करने के लिए भाजपा खूब जतन कर रही है।

इसी योजना के तहत भाजपा ‘अल्पसंख्यक स्नेह संवाद’ कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। हालांकि अभी तक इसकी तारीख निर्धारित नहीं हुई है लेकिन देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ये संवाद कार्यक्रम आयोजित होगा। पार्टी के सूत्रों की मानें तो दिसम्बर महीने में इसकी शुरूआत होगी जो लोकसभा चुनाव तक जारी रहेगी।

PM मोदी करेंगे सामाजिक, धार्मिक, खेल जगत की हस्तियों से मुलाकात

इस अल्पसंख्यक स्नेह संवाद कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक, धार्मिक, खेल जगत से जुड़ी मुस्लिम प्रभावशाली हस्तियों से बात करेंगे। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि धर्म विशेष या समुदाय के प्रभावशाली लोगों की बातों पर ज्यादा तवज्जो देते हैं।

भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है जिसके तहत केन्द्र सरकार की लाभकारी योजनाओं और उसकी महिला लाभार्थी भी अल्पसंख्यक समुदाय के मशहूर लोगों से संवाद करेंगी।

बूथ लेवल पर लोगों से जुड़ेगी पार्टी, प्रदेश के 29 जिलों पर नजर

भारतीय जनता पार्टी का शुरू से ही पूरा फोकस बूथों को मजबूत करने पर रहा है। ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ के नारे के साथ यूपी जैसे सबसे बड़े राज्य में भाजपा ने 37 सालों बाद दोबारा सत्ता में वापसी की थी। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा लगभग 4 करोड़ है। राज्य के 75 में से 29 जिले ऐसे हैं जहां मुस्लिम आबादी बहुतायत में है।

‘अल्पसंख्यक स्नेह संवाद’ में उनका सशक्तिकरण, अल्पसंख्यकों तक कैसे योजनाओं को पहुंचाया जाए, उनकी महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सम्मेलन और सूफी संवाद जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

सपा-बसपा के कोर वोटर में सेंधमारी, निकाय चुनाव के बाद से तैयारी

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटबैंक पिछले चार दशकों से परम्परागत रूप से सपा और बसपा का वोटर रहा है। मगर यूपी के हाल में हुए निकाय चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा को लगता है कि इस कोर वोट बैंक में सेंधमारी आसानी से की जा सकती है। यूपी निकाय चुनाव में 391 मुस्लिम प्रत्याशियों में से 61 जीते थे। पांच मुस्लिम नगर पालिका चुनाव में चेयरमैन की कुर्सी पर बैठने में सफल हुए।

मुसलमानों में जातीय भिन्नता न के बराबर है मगर सियासत में मुसलमानों की अगड़ी जातियां ही इनकी रहनुमाई करती रही हैं। प्रधानमंत्री के पसमांदा मुसलमानों की आवाज उठाने के बाद निचले तबके के मुसलमानों में भी राजनीति करने की ख्वाहिश पैदा हुई है।

85 फीसदी मुस्लिमों पर है भाजपा की नजर, उर्दू में सुनाई जा रही ‘मन की बात’

मुसलमानों में शिया नेता हैं और सुन्नियों में भी अगड़ी जाति जैसे सैय्यद और पठान मुस्लिम ही सियासत में एक्टिव हैं। 85 प्रतिशत मुसलमान पसमांदा समाज से आते हैं जिसमें सैफी, अंसारी, अल्वी, कुरैशी, मंसूरी, इदरीसी, सलमानी, रायन समाज के हैं जो ज्यादातर दर्जी, धोबी, नाई, कसाई, मेहतर, धुनिया और जुलाहे का काम करते हैं। भाजपा ने इस 85 प्रतिशत पर ही फोकस किया है जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात का उर्दू अनुवाद करके पसमांदा समाज के मुस्लिमों में सुनवाया गया था।

यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश में मुस्लिम आबादी काफी है। इसलिए पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिए लिटमस टेस्ट की तरह होंगे।

भाजपा के पास नहीं हैं मुस्लिम विधायक या सांसद, इस छवि को तोड़ने की तैयारी

गौरतलब है कि लोकसभा और विधानसभा में भाजपा के पास एक भी मुस्लिम सांसद और विधायक नहीं है। इस कार्यक्रम के आयोजन को अति पिछड़े, अति दलित के बाद मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में लाने की कवायद के तौर पर देखा जा सकता है। भाजपा की मुस्लिम वोटबैंक प्रेम की राजनीति अनायस नहीं है।

यूपी के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाजपा को वोट दिया था क्योंकि धरातल पर जाति और धर्म के भेदभाव बिना सबको प्रधानमंत्री गरीब आवास योजना, उज्जवला योजना, हर घर शौचालय और आयुष्मान योजना की सुविधाएं मिली थीं।

पसमांदा मुसलमानों को भी चाहिए आरक्षण

अनीस मंसूरी, पसमांदा समाज के नेता हैं, उनका कहना है कि हमने 2012 के चुनाव में सपा का साथ दिया उनकी सरकार बनी मगर हमारे समाज के लोगों को जो हक़ मिलना चाहिए था वो नहीं मिला। 14 महीने से पसमांदा समाज को लेकर मोदी जी बयान दे रहे हैं मगर कोई ठोस काम जमीन पर नहीं किया। इस स्नेह यात्रा से कौन सा स्नेह जताना चाहते हैं वो? राजनीति लेने-देने का खेल है, हम वोट देकर सरकारें बनवाते हैं, सरकारें हमें आरामदायक जीवन देती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी अगर सच में भला करना चाहते हैं तो हमारे समाज को भी आरक्षण दें और कुछ ठोस काम करें तब पसमांदा मुस्लिम का विश्वास कायम होगा।

मुस्लिम विरोधी छवि से छुटकारा पानी चाहती है भाजपा

भाजपा मुस्लिम आबादी को लुभाने के लिए सुधार परिवर्तन की वकालत, देशभक्ति, राष्ट्रवाद एक भारत, श्रेष्ठ भारत, सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास जैसी बातें करती दिख रही है ताकि इस बड़े वोटबैंक में दो फाड़ हो सके। साथ ही पूरी दुनिया में भी एक संदेश जाए कि भाजपा मुस्लिम विरोधी नहीं है, खुले दिल से इस समुदाय को गले लगाना चाहती है।