हजारों लोग ऑडिशन देने आते हैं:इनके पास लाखों कैंडिडेट्स के प्रोफाइल सेव; मुकेश छाबड़ा ने जिनकी कास्टिंग की, आज वो बड़े स्टार

मुंबई का आरामनगर इलाका एक्टिंग की चाहत रखने वालों के लिए काफी अहम है। यहां मशहूर कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा का ऑफिस है। मुकेश छाबड़ा वो शख्स हैं, जिन्होंने छोटे-बड़े मिलाकर हजारों एक्टर्स की कास्टिंग की है। इन्होंने जिनकी कास्टिंग की, उनमें से अधिकतर आज बहुत बड़े स्टार बन गए हैं।

बड़े-बड़े डायरेक्टर्स जब अपनी फिल्मों के लिए कलाकारों के चुनाव में फंसते हैं तो मुकेश छाबड़ा को याद करते हैं। इनके ऑफिस के बाहर हर रोज सैकड़ों से लेकर हजारों लोग ऑडिशन के लिए खड़े रहते हैं। कहा जाता है कि अगर आप एक्टर बनने की चाहत में मुंबई आ रहे हैं तो आपको एक बार मुकेश छाबड़ा के ऑफिस जरूर जाना पड़ेगा।

दंगल, बजरंगी भाईजान, जवान और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों के लिए कास्टिंग करने वाले मुकेश छाबड़ा के पास 50 से 70 लोगों की टीम है। इनके पास लाखों कैंडिडेट्स के प्रोफाइल सेव हैं।

आज हम रील टू रियल में इन्हीं मुकेश छाबड़ा की बात करेंगे। वे एक्टर्स की कास्टिंग कैसे करते हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत कैसे की। उन्होंने किन-किन फिल्मों में कास्टिंग की है। एक्टर्स का सिलेक्शन करते वक्त उनके दिमाग में क्या चलता है। इसका पूरा प्रोसेस क्या है। जो कैंडिडेट्स रोल में फिट नहीं होते, उनका क्या होता है। इन सभी बिंदुओं को सिलसिलेवार समझेंगे।

कई हजार लोगों में से किसी एक को चुनते हैं मुकेश, पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद उसे डायरेक्टर के पास ले जाते हैं
फिल्मों में कास्टिंग का प्रोसेस क्या है, इस पर बात करते हुए मुकेश छाबड़ा कहते हैं, ‘मैं सबसे पहले फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ता हूं, फिर उसका नरेशन सुनता हूं। फिल्म के डायरेक्टर मुझे एक ब्रीफ देते हैं। ब्रीफ में लिखा होता है कि आपको स्क्रिप्ट के हिसाब से एक्टर्स का सिलेक्शन करना है। इसके बाद स्क्रिप्ट को ध्यान में रखकर एक्टर्स की तलाश शुरू कर देता हूं। फिर ऑडिशन होते हैं।

कई हजार लोगों में से किसी एक को चुनता हूं। जब मैं पूरी तरह आश्वस्त हो जाता हूं कि कलाकार उस रोल में फिट बैठ रहा है, तभी उसे अंत में डायरेक्टर के पास ले जाता हूं। हालांकि यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता। अगर डायरेक्टर को वो शख्स पसंद नहीं आया तो दोबारा यही प्रोसेस जारी रखता हूं।’

मुकेश ने आगे कहा, ‘एक्टर की तलाश करते वक्त डायरेक्टर का मन टटोलना पड़ता है। उन्हें कैसे कलाकार चाहिए, उनका विजन समझना पड़ता है। जैसे राजकुमार हिरानी, अनुराग कश्यप, विशाल भारद्वाज, नितेश तिवारी और इम्तियाज अली जैसे डायरेक्टर्स को कैसे एक्टर्स पसंद आएंगे, उनके साथ समय बिताने से ही यह चीज समझ में आती है। इसके लिए मैं उनकी पुरानी फिल्में भी देखता हूं। उनकी फिल्मों में कैरेक्टर्स को देखकर मैं लोगों का चुनाव करता हूं।’

मुकेश छाबड़ा के अंदर कास्टिंग डायरेक्टर बनने की सोच कहां से डेवलप हुई?
मुकेश छाबड़ा इस फील्ड में आए कैसे। कास्टिंग डायरेक्टर बनने की सोच कैसे और कहां डेवलप हुई। इस सवाल पर मुकेश कहते हैं, ‘मैं दिल्ली में एक संस्था के साथ जुड़ा था, वहां बच्चों के लिए वर्कशॉप ऑर्गनाइज होते थे।

मुंबई से फिल्ममेकर्स शूटिंग के लिए दिल्ली आते थे। उन्हें कभी-कभार चाइल्ड आर्टिस्ट की जरूरत होती थी। वे मुझसे संपर्क करते थे, तब मैं उन्हें बच्चों से मिलवाता था। अब किस बच्चे के अंदर क्या हुनर है, यह मैं दूसरों की तुलना में आसानी से पकड़ लेता था। एक तरह से देखा जाए तो यही मेरी पहली कास्टिंग थी। यहीं से मेरी पहचान फिल्मी लोगों से भी होने लगी।’

फिल्मों के अलावा मुकेश छाबड़ा ने कई वेब सीरीज में भी एक्टर्स की कास्टिंग की है। इन्होंने जिस भी सीरीज में कास्टिंग की है, उनमें से अधिकतर सीरीज काफी हिट और फेमस रही हैं।

रंग दे बसंती में सबसे पहले कास्टिंग की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन असल पहचान गैंग्स ऑफ वासेपुर से मिली
मुकेश छाबड़ा ने कहा कि उन्होंने बहुत सारी फिल्मों में कास्टिंग की है, लेकिन उनमें गैंग्स ऑफ वासेपुर उनके दिल के सबसे ज्यादा करीब है। उन्होंने कहा, ‘मैं फिल्म रंग दे बसंती में असिस्टेंट डायरेक्टर था। बाद में उस फिल्म में कास्टिंग की जिम्मेदारी दी गई। हालांकि मुझे असल पहचान गैंग्स ऑफ वासेपुर से मिली। मुझे पहली बार अनुराग कश्यप की तरफ से क्रेडिट मिला।

इस फिल्म के बाद मेरी पहचान कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर होने लगी। मैंने इतनी सारी फिल्मों में कास्टिंग की, लेकिन गैंग्स ऑफ वासेपुर मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब है। जो भी कलाकार उस फिल्म में थे, ऐसा लगा कि वे उस किरदार के लिए ही पैदा हुए हैं।’