इंडियन नेवी ने हाईजैक शिप से वर्कर को छुड़ाया:गंभीर रूप से जख्मी शख्स को ओमान भेजा; तीन दिन पहले हाईजैक हुआ था जहाज

भारतीय नौसेना ने अरब सागर से हाईजैक किए गए माल्टा के जहाज से एक नाविक को रेस्क्यू किया है। यह नाविक गंभीर रूप से जख्मी था। इसका इलाज शिप पर मुमकिन था, लिहाजा उसे ओमान भेजा गया है। वहां इसकी हालत स्थिर बताई गई है।

इस जहाज को तीन दिन पहले 6 लोगों ने अगवा किया था। हाईजैक करने वालों के बारे में ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है।

भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा- इस नाविक को सोमवार को हाईजैक शिप से निकाला गया। इसकी हालत काफी गंभीर थी। उसकी हालत देखते हुए हाईजैकर्स ने उसे छोड़ दिया। अब उसे ओमान भेज दिया गया है। यहां उसे बेहतर इलाज मिल सकेगा। यह मेडिकल फेसेलिटी जहाज पर मौजूद नहीं थी। अब यह जानकारी मिली है कि जिस नाविक को रेस्क्यू किया गया है, उसकी हालत स्थिर है।

फौरन इलाज की जरूरत थी
बयान के मुताबिक- घायल नाविक की हालत खराब होती जा रही थी और उसे फौरन इलाज की जरूरत थी। जिस शिप पर ये नाविक मौजूद था, वो हाईजैकर्स के कब्जे में था और उस पर अच्छी मेडिकल फेसेलिटीज भी नहीं थीं। बाद में हाईजैकर्स ने इस व्यक्ति तो छोड़ दिया। भारतीय नौसेना ने उसे फौरन ओमान भेज दिया। वहां उसका इलाज चल रहा है।

भारतीय नौसेना माल्टा के झंडे वाले जहाज का शनिवार से पीछा कर रही है। इस जहाज का नाम एमवी रुएन है। शनिवार को पता लगा था कि 6 लोगों ने इस जहाज को हाईजैक कर लिया है। ये सभी हथियारों से लैस हैं। इसके बाद अदन की खाड़ी में इसका पीछा किया गया। अगवा जहाज से भी मदद की गुहार लगाई गई थी। इंडियन नेवी की एंटी पाईरेसी यूनिट इस इलाके में गश्त करती है। अब यह जहाज सोमालिया की तरफ जा रहा है।

तुर्किये जा रहा था शिप
द मैरीटाइम एग्जीक्यूटिव की रिपोर्ट के मुताबिक हाइजैक हुआ जहाज कोरिया से तुर्किये की तरफ जा रहा था। तभी सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने उस पर हमला कर दिया। जहाज से जब आखिरी बारी कॉन्टेक्ट हुआ, तब वो अरब सागर में सोकोट्रा आइलैंड से यमन की तरफ 380 नॉटिकल मील की दूरी पर था।

नौसेना को UKMTO पोर्टल पर मैसेज मिला था कि 6 अनजान लोग उनकी शिप पर आ गए हैं। इसके बाद सर्विलांस के लिए नौसेना ने अपने एक विमान को भी अदन की खाड़ी में MV रुएन को लोकेट करने के काम पर लगा दिया। हाइजैक हुए जहाज पर 18 लोग मौजूद हैं।

2017 के बाद हाइजैक का बड़ा मामला

  • भारतीय नौसेना के विमान ने आज भी पूरे इलाके का हवाई सर्वे कर हालातों का जायजा लिया है। नौसेना की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक समुद्री लुटेरे हाइजैक किए जहाज को सोमालिया की तरफ ले जा रहे हैं। यूरोपियन यूनियन और स्पेन ने भी जहाज को बचाने के लिए अपनी नेवल फोर्स को काम पर लगाया है।
  • 2017 के बाद ये अरब सागर में जहाज हाइजैक होने का सबसे बड़ा मामला है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन्या के राष्ट्रपति के साथ समुद्री सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। भारत दूसरे देशों के साथ मिलकर समय-समय पर अरब सागर और हिंद महासागर में एंटी पायरेसी ऑपरेशन भी चलाता रहा है।
  • फिलहाल ब्रिटेन ने इस इलाके से गुजरने वाले जहाजों को सतर्क करने लिए अलर्ट जारी कर दिया है। जहाज के ऑपरेटरों को कहा है कि कुछ भी संदिग्ध लगने पर तुरंत कंट्रोल रूम से संपर्क करें।

1990 के बाद सोमालिया में बढ़े समुद्री लुटेरे

  • सोमालिया वो मुल्क है जिसके समुद्र में बड़ी तादाद में मछलियां मौजूद हैं। 1990 तक इसकी अर्थव्यवस्था मछलियों से ही चलती थी। तब यहां समुद्री लुटेरों का कोई डर नहीं था। अधिकतर लोग मछली का व्यापार करते थे। फिर यहां सिविल वॉर शुरू हो गई। सरकार और नौसेना नहीं रही। इसका फायदा विदेशी कंपनियों ने उठाया।
  • सोमालिया के लोग छोटी नावों में मछली पकड़ते थे। उनके सामने विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े ट्रॉलर आकर खड़े हो गए। लोगों का रोजगार छिनने लगा। इससे परेशान होकर 1990 के बाद इस देश के लोगों ने हथियार उठा लिए और समुद्री लुटेरे बन गए। समुद्री मालवाहक जहाजों का एक बड़ा जखीरा सोमालिया कोस्ट के पास से होकर गुजरता था।
  • मछुआरे से लुटेरे बने लोगों ने इन जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। जहाज छोड़ने के बदले वो फिरौती लेने लगे। साल 2005 तक ये धंधा इतना बड़ा हो गया कि एक पाइरेट स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया। यानी लुटेरों के अभियान को फंड करने के लिए लोग उनमें इन्वेस्ट कर सकते थे। बदले में लोगों को लूटी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा मिलता।

जहाजों ने हिंद महासागर का रास्ता छोड़ा

  • जर्मन मीडिया हाउस DW की रिपोर्ट के मुताबिक 2009-10 में समुद्री लुटेरों ने जहाजों को हाइजैक कर कुल साढ़े 42 करोड़ डॉलर की फिरौती कमाई थी।
  • हिंद महासागर में समुद्री लुटेरों के आतंक के कारण दुनिया भर के 10 फीसदी से ज्यादा जहाजों ने अपना रास्ता बदल लिया था।
  • इस कारण मिस्र जैसे देशों को नुकसान हुआ था, क्योंकि उसे स्वेज नहर होकर जहाजों के आने-जाने से आदमनी होती थी।