राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने 3 जनवरी को मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के एडमिशन के मामले पर 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को समन जारी किया।
दरअसल, NCPCR ने करीब साल भर पहले राज्यों को मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम बच्चों का डेटा मांगा था। साथ ही इन बच्चों का एडमिशन रोकने के लिए एक्शन लेने का भी निर्देश दिया था। राज्यों की ओर से कोई कार्रवाई न होने पर आयोग ने यह एक्शन लिया है।
आयोग ने हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान और निकोबार, गोवा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मेघालय और तेलंगाना के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।
हरियाणा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिवों को 12 जनवरी को बुलाया गया है। जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और गोवा के मुख्य सचिवों को 15 जनवरी को बुलाया गया है।
झारखंड के मुख्य सचिव को 16 जनवरी, कर्नाटक और केरल के मुख्य सचिव को 17 जनवरी, मध्य प्रदेश, मेघालय और तेलंगाना के मुख्य सचिवों को 18 जनवरी को बुलाया गया है।
मदरसों में गैर-मुस्लिमों का एडमिशन संविधान का उल्लंघन
आयोग ने कहा था कि मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों का एडमिशन स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन है, जो माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को किसी भी धार्मिक संस्थान में भाग लेने के लिए बाध्य करने से रोकता है।
आयोग ने कहा था कि मदरसों में मुख्य रूप से बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जाती है। सरकार की मदद से चलने वाले इन संस्थानों में कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा भी दी जाती है।
NCPCR के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बताया- बाल अधिकार निकाय पिछले एक साल से लगातार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम बच्चों की पहचान करने की मांग कर रहा है।
आयोग ने मदरसों से ऐसे बच्चों को सामान्य स्कूलों में ट्रांसफर करने को भी कहा था। साथ ही सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की मैपिंग करके वहां पढ़ने वाले बच्चों को बुनियादी शिक्षा देने की व्यवस्था करने की बात भी कही थी।
इसके बावजूद राज्यों ने इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की। जिसके चलते 3 जनवरी को आयोग ने 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को समन जारी कर जवाब मांगा है।