सनम तेरी कसम के लिए एहान भट्ट थे फर्स्ट चॉइस:एक्टर बोले- पहली बार खुलासा कर रहा हूं; ऑडिशन में हर्षवर्धन राणे पसंद आ गए थे

हर्षवर्धन राणे और एहान भट्ट जल्द ही ‘दंगे’ में नजर आएंगे। इस फिल्म में निकिता दत्ता और टीजे भानू भी अहम किरदारों में दिखेंगे। बिजॉय नांबियार इस फिल्म के डायरेक्टर हैं। टी-सीरीज और रूक्स मीडिया के बैनर तले बनी ये फिल्म 1 मार्च को सिनेमाघरों में दस्तक देगी।

सवाल- चूंकि फिल्म का नाम ‘दंगे’ है और कहानी कॉलेज के इर्द-गिर्द घूमती है, ऐसे में आप लोगों ने अपने कॉलेज के दिनों में क्या दंगे किए थे?
निकिता दत्ता का जवाब- मैंने अपने कॉलेज के दिनों में दंगे नहीं किए थे। लेकिन हां, जैसे नॉर्मल कॉलेज के बच्चे शैतानियां करते हैं, वो सब जरूर की हैं। जैसे- क्लास बंक करना, पूरी रात जागना, सुबह 8 बजे के लेक्चर को आधी नींद में अटेंड करना। ये सब मैंने बहुत किया है।

सवाल- फिल्म में निभाए गए किरदार के लिए अनुभव कहां से लिए?
एहान भट्ट का जवाब- मैंने पूरी फिल्म में एक ही माइंड सेट रखा कि चाहे कुछ भी हो जाए, अगर एक आदमी ऐसा है जो किसी फोर्स से नहीं डरता है तो वो किस तरह से मुसीबतों का सामना करेगा। उसका एटीट्यूड कैसा होगा। बस मैंने हर सीन को परफॉर्म करते समय इसी बात का ध्यान दिया।

सवाल- हर्षवर्धन आप अपने कॉलेज के दिनों के बारे में क्या कहेंगे?
हर्षवर्धन का जवाब- मुझे ऐसा लगता है चाहे आपको दंगे करने हो या ना करने हों, सीधा होना जरूरी नहीं है। मैं खुद को सीधा नहीं मानता। मुझे टकराव और झगड़े में कभी मजा नहीं आता। फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद कई लोगों ने मेरे ऊपर कई चीजें थोपनी चाहीं। लेकिन मैंने कभी ऐसे लोगों से दंगे नहीं किए। कभी उन लोगों को ये नहीं बोला कि आप गलत हैं और मैं सही हूं। मेरी बचपन से ये आदत है कि मैं मुस्कुराकर सामने वाली की बात सुनता हूं। आपको ऐसा लगेगा कि मैं आपकी पूरी बात सुन रहा हूं, मगर असल में मैं अंदर से स्विच ऑफ हो जाता हूं। पूरी बात खत्म होने के बाद मैं चुपचाप वहां से चला जाता हूं। इसका मतलब ये नहीं कि मैं सीधा हूं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको टकराव और झगड़ा करने में मजा आता है।

सवाल- फिल्म इंडस्ट्री में आने वाले लोगों से क्या कहना चाहेंगे?
एहान भट्ट का जवाब- जब मैं फिल्म इंडस्ट्री में आ रहा था, उस समय मेरे घरवालों ने मुझ पर भरोसा नहीं किया था। मुझे पता है मैं और हर्षवर्धन घर से भाग के आए हैं। मैं एक बिजनेस फैमिली से आता हूं। अगर आप अंधेरी जाएंगे तो देखेंगे कि एक ऐड के लिए पूरी लाइन लगी रहती है। उस लाइन से हम गुजरे हैं। हम वहां से आए हैं। यहां मैं हम तीनों की बात करूंगा कि हम तीनों ने ऑडिशन का दौर देखा है। धूप में लंबी-लंबी लाइन में खड़े रहना। ऑटो से आने-जाने के पैसे देना। यह सब आसान नहीं होता।

सवाल- जब आपने एक्टिंग में आने के बारे में अपने पेरेंट्स को बताया तो पेरेंट्स का क्या रिएक्शन था?
एहान भट्ट का जवाब- दरअसल मुझे एक फिल्म के लिए मुंबई बुलाया गया था। उस दौरान मैं कॉलेज में था। मुझे एक म्यूजिक प्रोड्यूसर हिमेश रेशमिया सर का कॉल आया था। उन्होंने कहा एक फिल्म है ‘सनम तेरी कसम’ उसमें मैं तुम्हें कास्ट करना चाहता हूं। मैं उनसे मिला और उन्होंने उसी दिन मुझे फिल्म के लिए फाइनल भी कर दिया। सच कहूं तो उस समय मुझे पता भी नहीं था कि अंधेरी भी जाना पड़ता है। सोचिए मुझे इतना जबरदस्त शॉर्टकट मिला था। उस समय मैं दिल्ली में था।

लेकिन तीन महीनों के बाद उन्होंने वापस मुझे ऑफिस बुलाया और कहा कि नहीं अब हम साथ काम नहीं कर रहे हैं। मैंने उन लोगों से पूछा कि क्या मतलब हुआ इस बात का? मैं जानना चाहता था कि फिल्म नहीं बन रही है या फिल्म में मुझे नहीं लिया जा रहा है? उन्होंने कहा आपको फिल्म में नहीं लिया जा रहा है। अब देखिए सालों बाद हम ‘दंगे’ कर रहे हैं। मुझे जब बिजॉय सर (‘दंगे’ फिल्म के डायरेक्टर) का कॉल आया, मैंने पूछा कि फिल्म में मेरे अपोजिट कौन रोल निभा रहा है? उन्होंने कहा- हर्षवर्धन राणे।

हर्षवर्धन का जवाब- जब मैंने ‘सनम तेरी कसम’ के लिए ऑडिशन दिया था, तो मुझे ‘इंदर’ का किरदार मेरे पिताजी की तरह लगा। मेकर्स ने मेरा ऑडिशन देखा और एक घंटे के बाद उन्होंने मुझे वापस से ऑडिशन देने के लिए कहा। जब मैंने वापस वो सीन किया तो डायरेक्टर्स इमोशनल हो गए थे। मैं समझ गया था कि उन्हें मेरा ऑडिशन अच्छा लगा। जब मेरी बिजॉय सर से बात हुई तो मैंने उन्हें ये सब बताया था।

सवाल- क्या आपने ‘सनम तेरी कसम’ फिल्म देखी है?
एहान भट्ट का जवाब- जिस दिन फिल्म रिलीज हुई, मैंने उसी दिन का पहला शो देखा था। फिल्म देखकर मुझे बहुत खुशी हुई थी। सच कहूं तो हर्षवर्धन से अच्छा वो रोल और कोई नहीं कर सकता था। मैं खुद भी नहीं कर पाता।

सवाल- जो लोग फिल्मों में आना चाहते हैं, उनसे क्या कहना चाहेंगे?
निकिता दत्ता का जवाब- हम जैसे लोग, जो बाहर से आते हैं, उन्हें पता नहीं होता है कि शुरुआत कैसे और कहां से करनी है? क्योंकि हमें जानकारी नहीं होती। हालांकि अब चीजें थोड़ी आसान हो गई हैं। आजकल कास्टिंग डायरेक्टर की वजह से सही लोगों से मिलना आसान हो गया है। अगर आप धैर्य और खुद पर भरोसा रखकर चलेंगे तो आपको अपनी मंजिल जरूर मिलेगी।

हर्षवर्धन राणे का जवाब- मैं सोशल मीडिया को इस चीज के लिए थैंक यू कहना चाहता हूं। मैं एक और बात कहना चाहता हूं कि जब तक आप किसी फिल्म का टिकट खरीदेंगे नहीं, तब तक उस फिल्म का दूसरा पार्ट नहीं बनेगा। मैं जानता हूं आजकल लोग फिल्में लैपटॉप या फोन पर देखना पसंद करते हैं, लेकिन मैं यही कहूंगा कि थीएटर में जाकर देखिए।

नेपोटिज्म की बात पर निकिता ने कहा- कभी कभी नेपोटिज्म के बारे में कितनी बहस होती है। लेकिन जब तक ऑडियंस फिल्म का टिकट खरीद कर थीएटर में हमारी फिल्म नहीं देखेगी, तब तक इन सब बातों का कोई फायदा नहीं। कहीं ना कहीं हम जानते हैं कि दर्शक हम लोगों को, जो बाहर से आते हैं- उन्हें सपोर्ट करते हैं। लेकिन उस सपोर्ट का फायदा हमें तब तक नहीं मिलेगा जब तक आप हमारी फिल्में थीएटर में नहीं देखेंगे।