CJI बोले-CBI हर केस की बारीकी से जांच से बचें:सिर्फ राष्ट्र सुरक्षा से जुड़े मामलों पर फोकस करे, सर्चिंग-जब्ती-प्राइवेसी में बैलेंस बनाएं

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सोमवार 1 अप्रैल को CBI के स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर आयोजित 20वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर में चीफ जस्टिस ने कहा- CBI को हर केस की बारीकी से जांच से बचना चाहिए। सिर्फ उन्हीं मामलों पर फोकस करना चाहिए, जिनसे राष्ट्र सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को खतरा हो।

CJI ने ये भी कहा कि छापेमारी के दौरान पर्सनल डिवाइस की अवांछित जब्ती के उदाहरण सामने आए हैं। जांच एजेंसियों को सर्चिंग, जब्ती और किसी के निजी अधिकारों (Privacy Right) में बैलेंस बनाकर चलना चाहिए। चीफ जस्टिस ने विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रेसिडेंट पुलिस मेडल्स (PPM) और मेरिटोरियस सर्विस के CBI अफसरों को पुलिस मेडल भी दिया।

CJI के भाषण की 5 मुख्य बातें

1. देरी रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का फायदा उठाने की जरूरत है। हमें एक संस्थागत प्रतिबद्धता, विभिन्न विभागों के बीच वित्त, तालमेल और रणनीतियों की आवश्यकता है। CBI को मामलों की धीमी सुनवाई से निपटने के लिए एक स्ट्रैटजी बनानी होगी।

2. जजों की शिकायत रहती है कि उनमें जो बेस्ट होता है, उसे CBI कोर्ट्स में नियुक्त किया जाता है, क्योंकि वे संवेदनशील होते हैं। लेकिन धीमी गति से सुनवाई के चलते मामलों के निपटाने की दर भी धीमी हो जाती है।

3. बहुत सी विशेष सीबीआई अदालतें मौजूदा अदालतें हैं। सिस्टम में आमूल-चूल बदलाव करने के लिए हमें नए टेक्नीकली एडवांस्ड इक्विपमेंट्स की जरूरत है।

4. CBI उन अपराधों से निपटती है, जो देश की इकोनॉमी को प्रभावित करते हैं। उनका जल्द निपटारा जरूरी है। जिन पर पर कानून के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया, इससे उनकी जिंदगी और प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचती है। देरी न्याय देने में बाधक बनती है।

5. कोविड के दौरान हमने जबर्दस्त कनेक्टिविटी देखी। वर्चुअल कोर्ट्स और ई-फिलिंग सामने आई। इसमें चुनौती ये है कि बिना इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की समझ के बिना कैसे काम करेंगे। प्रॉपर ट्रेनिंग जरूरी है।

डीपी कोहली CBI के फाउंडर डायरेक्टर थे
डीपी कोहली CBI के पहले डायरेक्टर थे। धरमनाथ प्रसाद कोहली 1907 में यूपी में पैदा हुए थे। 1931 में उन्होंने पुलिस सर्विस जॉइन की। कोहली ने यूपी, मध्य भारत और भारत सरकार में सेवाएं दीं।

1955 में कोहली दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेबिशमेंट (DSPE) के प्रमुख बनाए गए। इसका मकसद लोक सेवा में बढ़ते भ्रष्टाचार पर रोक लगाना था। 1 अप्रैल 1963 को वे CBI के संस्थापक निदेशक बने। कोहली 1968 तक CBI के डायरेक्टर रहे।

साल 2000 से CBI लगातार डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर का आयोजन कर रही है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के जाने-माने लोगों को स्पीच देने के लिए बुलाया जाता है। इसमें शामिल लोग मौजूदा चैलेंजेज, लॉ एन्फोर्समेंट, क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम और क्रिमिनल इंवेस्टीगेशन जैसे विषयों पर अपनी बात रखते हैं।