नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में दो लोगों को उम्रकैद:मास्टर माइंड माने जा रहे डॉक्टर तावड़े समेत 3 बरी; पुणे की कोर्ट ने 11 साल बाद फैसला सुनाया

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रमुख नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में 11 साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया है। पुणे की CBI की स्पेशल कोर्ट ने आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को दोषी करार दिया। कोर्ट ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

हत्याकांड का मास्टर माइंड माने जा रहे डॉक्टर विरेंद्र सिंह तावड़े के अलावा विक्रम भावे और संजीव पुनालेकर को कोर्ट ने बरी कर दिया है। हत्याकांड में कुल 5 आरोपी थे। इनमें तावड़े, अंदुरे और कलस्कर जेल में हैं, जबकि पुनालेकर और भावे जमानत पर बाहर हैं।

वीरेंद्र तावड़े पर हत्या की ​​साजिश रचने का आरोप था। हालांकि, सरकारी पक्ष की ओर से उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं किया जा सका। तावड़े के अलावा अन्य दो आरोपियों के खिलाफ भी आरोप साबित नहीं हो सके।

दाभोलकर की हत्या के बाद अगले चार साल में तीन अन्य कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुई थी। फरवरी 2015 में कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे और उसी साल अगस्त में कन्नड़ स्कॉलर और लेखक एमएम कलबुर्गी की कोल्हापुर में गोली मारकर हत्या की गई थी।

इसके बाद सितंबर 2017 में पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह शक था कि इन चार मामलों में अपराधी एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।

CBI ने 2016 में वीरेंद्र तावड़े को गिरफ्तार किया था
पुणे पुलिस ने दाभोलकर हत्या मामले की शुरुआती जांच की थी। 2014 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जांच करने के आदेश दिए। CBI ने जून 2016 में ENT सर्जन डॉ वीरेंद्र सिंह तावड़े को गिरफ्तार किया था।

वीरेंद्र तावड़े ​​​​​​और अन्य आरोपी ​हिंदू दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े थे। दावा किया गया कि यह संस्था दाभोलकर के संगठन महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कामों का विरोध करती थी।

शूटरों की पहचान को लेकर CBI की जांच पर उठे थे सवाल CBI ने अपनी चार्जशीट में सबसे पहले सारंग अकोलकर और विनय पवार को शूटर बताया था। हालांकि, एजेंसी ने बाद में सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को गिरफ्तार किया। चार्जशीट में दावा किया कि अंदुरे ​​​​​​​और कलस्कर ​​​​​​​ने ही दाभोलकर को गोली मारी थी।

जांच एजेंसी ने इसके बाद वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को साजिशकर्ताओं का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार किया। जांच के दौरान, आरोपियों के वकीलों में से एक वकील वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने शूटरों की पहचान को लेकर CBI की लापरवाही पर सवाल उठाया था।