तिरुपति लड्डू विवाद- पवन कल्याण तिरुमाला पहुंचे:नंगे पैर 3500 सीढ़ियां चढ़ीं, 3 दिन ऐसे ही रहेंगे; 11 दिन की प्रायश्चित दीक्षा ली है

आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति मंदिर) के प्रसादम (लड्डुओं) में जानवरों की चर्बी मामले में डिप्टी CM पवन कल्याण की 11 दिन की प्रायश्चित दीक्षा जारी है। वह 1 अक्टूबर की देर रात तिरुमाला पहुंचे। वह तीन दिन यानी 3 अक्टूबर तक चप्पल या जूता नहीं पहनेंगे।

पवन कल्याण ने तिरूपति के अलीपिरी के रास्ते करीब 3500 सीढ़ियां नंगे पैर चढ़ीं। पवन मंगलवार रात तिरुमाला के गायत्री निलयम गेस्ट हाउस में रहेंगे। वह बुधवार सुबह श्रीवारा जाएंगे और तपस्या की दीक्षा लेंगे। 3 अक्टूबर को दीक्षा समाप्त होने के बाद वह वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करेंगे।

डिप्टी CM पवन कल्याण ने रविवार (22 सितंबर) से 11 दिनों की प्रायश्चित दीक्षा की शुरुआत की। इस दौरान वह उपवास रख रहे हैं। पवन ने कहा- मुझे अफसोस है कि मैं मिलावट के बारे में पहले क्यों नहीं पता लगा पाया। मुझे दुख हो रहा है। इसके लिए प्रायश्चित कर रहा हूं।

वहीं आंध्र प्रदेश के पूर्व CM जगन मोहन रेड्डी को मंदिर जाने की इजाजत नहीं दी गई। जगन 28 सितंबर को तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में विशेष अनुष्ठान करने वाले थे। एक दिन पहले ही उन्हें नोटिस जारी किया गया। नोटिस में कहा गया है कि YSRCP पार्टी के कार्यकर्ताओं को तिरुमाला मंदिर जाने की इजाजत नहीं है।

प्रसादम (लड्डुओं) में जानवरों की चर्बी मामले की SIT जांच को 1 अक्टूबर को रोक दिया गया। राज्य के डीजीपी द्वारका तिरुमाला राव ने कहा कि अभी सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है। अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी, इसलिए तब तक SIT जांच नहीं की जाएगी। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक ये तय किया जाएगा कि SIT जांच को आगे बढ़ाना है या नहीं।

उन्होंने कहा कि पिछले दो दिन में SIT ने लड्डुओं की खरीद और सैंपलिंग प्रक्रिया की जांच की और यह समझने की कोशिश की कि लड्डुओं में मिलावट कैसे की जा सकती है।

राव ने बताया कि SIT पहले इस प्रक्रिया को समझना और इससे जुड़ी सारी जानकारी इकट्ठा करना चाहती थी, लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया।

इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा, ‘जब प्रसाद में पशु चर्बी होने की जांच CM चंद्रबाबू नायडू ने SIT को दी, तब उन्हें मीडिया में जाने की क्या जरूरत थी। कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखें।’

बेंच ने कहा, ‘जुलाई में लैब रिपोर्ट आई। वह स्पष्ट नहीं है। मुख्यमंत्री SIT जांच के आदेश देते हैं और फिर सितंबर में मीडिया के सामने बयान देते हैं। एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा कैसे कर सकता है।’

कोर्ट ने तिरुपति मंदिर की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा से पूछा- इस बात के क्या सबूत हैं कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था। इस पर वकील ने कहा कि हम जांच कर रहे हैं। इसके बाद जस्टिस गवई ने पूछा, ‘फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।’

बेंच ने करीब 1 घंटे की सुनवाई के बाद कहा कि मामले की जांच SIT से ही कराएं या फिर किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से, इसके लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से हम सुझाव चाहते हैं। सभी याचिकाओं पर एक साथ 3 अक्टूबर को दोपहर 3:30 बजे सुनवाई करेंगे।