वाराणसी हत्याकांड-इसी घर में हुआ था भाई-भाभी का मर्डर:कारोबारी राजेंद्र पर था आरोप; 28 साल बाद उसी चतुर्थी तिथि को परिवार को मार डाला

 

‘कारोबारी परिवार की हत्या कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी, नक्कटैया मेले के दिन हुई। ठीक 28 साल पहले भी इसी तिथि में इसी घर में हत्या हुई थी। तब कारोबारी के भाई कृष्ण गुप्ता और उनकी पत्नी की हत्या हुई थी। आरोप राजेंद्र पर लगा था।’

ये बातें कारोबारी राजेंद्र के पड़ोसी ने नाम न छापने की शर्त पर बताईं। 2 दिन पहले राजेंद्र गुप्ता के पूरे परिवार की हत्या की गई थी।

पुलिस हत्याकांड के खुलासे के करीब पहुंच गई है। शक है कि कारोबारी के भतीजे जुगनू-विक्की ने बदला लेने और प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने के लिए हत्या करवाई। जुगनू पुलिस हिरासत में है, विक्की फरार है।

इधर, पुलिस को कारोबारी की अलमारी से ज्योतिष की किताबें मिली हैं। इससे पता चला कि कारोबारी तांत्रिक के चक्कर में नहीं पड़ा था, बल्कि वह खुद ज्योतिषी था। उसके घर में 20 से ज्यादा रजिस्टर मिले, जिनमें दिल्ली-लखनऊ के लोगों के नाम लिखे हैं। वह लोगों की कुंडली भी बनाता था।

 कारोबारी के घर पर पहुंची। हमें घर के पीछे की दीवार के एक हिस्से की ईंट गिरी हुई मिलीं। पुलिस ने बताया कि अनुमान है कि कत्ल के बाद शूटर यहीं से भागे हैं।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

सबसे पहले घटना पर एक नजर भदैनी पावर हाउस के सामने की गली में राजेंद्र गुप्ता का पांच मंजिला मकान है। इसमें ही मंगलवार दोपहर को राजेंद्र गुप्ता की पत्नी नीतू गुप्ता (42), दो बेटे नवनेंद्र (25), सुबेंद्र (15) और बेटी गौरांगी (16) की लाश मिली थी।

सभी की गोली मारकर हत्या की गई थी। पुलिस ने राजेंद्र गुप्ता (45) का फोन ट्रेस किया। इसकी लोकेशन रोहनिया के मीरापुर रामपुर गांव में मिली। पुलिस वहां पहुंची तो निर्माणाधीन मकान बिस्तर पर राजेंद्र गुप्ता की न्यूड लाश मिली थी। उन्हें 3 गोलियां मारी गई थीं।

ममेरे भाई बोले – वह भले आदमी थे कारोबारी के घर पहुंचे ही हमें घर के बाहर बैठे रिश्तेदार मिले। हमने एक-एक कर सभी से बात करनी चाही, लेकिन कैमरे के सामने किसी ने कुछ नहीं कहा। ​​​​​​कारोबारी के ममेरे भाई राकेश गुप्ता ने बताया कि राजेंद्र काफी अच्छे व्यक्ति थे। वह अपने भतीजे और भतीजी को भी अपने साथ रखे थे।

हमें नहीं लगता कि भतीजों ने हत्या… उन्होंने बताया- भतीजी यहीं पर रहकर पढ़ाई करती थी। अभी जून में ही महमूरगंज स्थित एक होटल में धूमधाम से उसकी शादी भी हुई थी। पूरा परिवार खुश था और भतीजे भी खुश थे। राजेंद्र ने उन लोगों को पढ़ाया था। अब वह लोग अच्छी जगह नौकरी कर रहे हैं, हमें नहीं लगता कि उन्होंने ऐसी चीज की होगी।

उन्होंने बताया- मकान के फर्स्ट फ्लोर, सेकेंड फ्लोर और थर्ड फ्लोर में राजेंद्र के फ्लैट हैं। बाकी फ्लैट किराए पर उठाए गए हैं। इस घर के चारों ओर टीन शेड में छोटे-छोटे कमरे हैं। इनमें करीब 50 किराएदार रहते हैं। राजेंद्र की पत्नी नीतू गुप्ता और तीनों बच्चों की लाश सेकेंड फ्लोर से बरामद की गईं।

रिश्तेदारों से बातचीत के बाद हम घर के अंदर गए। वहां देखा तो पुलिस ने क्राइम स्पॉट को सील किया था। खून के छीटों की साफ-सफाई हो गई थी। राजेंद्र के घर का चारों तरफ घूमने पर पता चला कि अंदर आने के लिए दो रास्ते हैं।

पहला- पावर हाउस के ठीक सामने से गली से होते हुए।

दूसरा- रविंद्रपुरी मार्ग से अस्सी घाट को जोड़ने वाली गली से होते हुए। यह रास्ता घर के पिछले हिस्से के पास पहुंचता‌ है। दोनों रास्तों पर कहीं पर भी CCTV नहीं लगा है, जिससे कुछ क्लू मिले।

हमें घर के पीछे की दीवार के एक हिस्से की ईंट गिरी हुई मिलीं। जिससे पता चलता है कि हत्यारे पीछे के रास्ते से भागे थे। पुलिस भी इसी एंगल पर जांच कर रही है।

राजेंद्र की अलमारी से मिली ज्योतिष की किताबें इधर पुलिस ने बुधवार को राजेंद्र का घर खंगाला। इस दौरान 20 से ज्यादा रजिस्टर मिले। ज्योतिष की किताबें मिलीं। इसमें दिल्ली, पीलीभीत, कानपुर, लखनऊ, अहमदाबाद के लोगों के नाम लिखे थे। 200 से ज्यादा लोगों की कुंडली कारोबारी ने बनाई थी। राजेंद्र सभी के संपर्क में रहता था।

इस बारे में हमने पड़ोसियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया- राजेंद्र लोगों की समस्याओं के समाधान का दावा करता था। वह लोगों से उनकी जन्म कुंडली और समस्याओं के बारे में पूछता था, उन्हें समाधान बताता था। इसके अलावा, वह शादी के लिए कुंडली मिलान भी करता था।

शराब के ठेकों और प्रॉपर्टी के लिए राजेंद्र ने अपने ही भाई, भाभी को मार डाला था। चलिए, 27 साल पहले चलते हैं…

भदैनी इलाके में संपन्न कारोबारी लक्ष्मी नारायण के दो बेटे राजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता थे। घर में शराब और प्रॉपर्टी का बड़ा काम था। 5 लाख रुपए महीने मकानों के किराएदारी से आते थे। बाकी शराब ठेके अलग थे।

कारोबार और प्रॉपर्टी की बागडोर छोटे बेटे कृष्णा के हाथ में रहती थी, वह पिता लक्ष्मी नारायण के ज्यादा करीब थे। यह बात राजेंद्र गुप्ता को अखरती थी। इसलिए दोनों भाइयों के बीच विवाद भी चल रहा था। इस परिवार में खूनी खेल की शुरुआत 1997 में हुई, जब राजेंद्र ने अपने छोटे भाई कृष्णा और उनकी पत्नी को घर में ही सोते हुए गोली मार दी थी।

उसके बाद राजेंद्र मौके से फरार हो गया। पुलिस इन्वेस्टिगेशन में आखिरकार राजेंद्र फंसा और अरेस्ट होकर जेल चला गया। घर में कृष्णा के 2 बेटे जुगनू और विक्की थे, जिन्होंने राजेंद्र गुप्ता के खिलाफ थाने से लेकर कोर्ट तक केस की पैरवी की। राजेंद्र के जेल जाने के बाद भी कृष्णा के दोनों बेटों से विवाद बरकरार रहा।

इस दौरान शराब ठेका और प्रॉपर्टी के कारोबार राजेंद्र के पिता लक्ष्मी नारायण संभालते रहे। उन्होंने अपने पौत्र जुगनू और विक्की को भी काम सिखाना शुरू कर दिया था। इस बीच 2003 में राजेंद्र पैरोल पर छूटकर जेल से बाहर आ गया।

वह एक बार फिर पूरे कारोबार पर अपना वर्चस्व जमाने की कोशिश करने लगा। मगर, पिता लक्ष्मी नारायण का रुख सख्त था। वह नहीं चाहते थे कि उनके छोटे बेटे को मारने वाला परिवार में शामिल भी हो। इसलिए उन्होंने परिवार और कारोबार से राजेंद्र को दूर रखा।

राजेंद्र को यह सब ठीक नहीं लगा। उसने अपने पिता के मर्डर की भी प्लानिंग कर डाली। पुलिस के मुताबिक, राजेंद्र ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहा पर देसी शराब ठेका के पास अपने पिता लक्ष्मी नारायण की हत्या करवा दी।

इस दौरान उनके साथ रहने वाले गार्ड को भी गोली मारी गई, उसकी मौत हो गई। यानी सुपारी देकर डबल मर्डर कराया गया। इसके बाद राजेंद्र ने कारोबार पर अपना वर्चस्व जमाना शुरू कर दिया।

2 शादियां कीं, दोनों पत्नियों से विवाद रहा राजेंद्र ने 2 शादियां की। पहली शादी 1995 में हुई। उनसे 1 लड़का हुआ। 2 साल में ही राजेंद्र ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया। इसके बाद वह मर्डर केस में फंसा और 6 साल के लिए जेल चला गया। 2003 में जब राजेंद्र जेल से बाहर आया तो उसका नीतू से अफेयर हो गया।

पहली पत्नी से एक लड़का था, जो अब साथ नहीं रहता। दूसरी पत्नी से 3 बच्चे हुए। 2 लड़के और एक लड़की। बड़ा बेटा नवनेंद्र (20) और छोटा सुबेंद्र (15) था। बेटी गौरांगी (16) मंझली थी। नवनेंद्र बेंगलुरु में मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था। सुबेंद्र और गौरांगी DPS में पढ़ते थे।