माफिया अतीक के बेटे अली अहमद को नैनी सेंट्रल जेल की ‘फांसी घर’ वाली हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया है। अली के पास जेल में कैश बरामद होने के बाद यह सख्ती की गई है। फांसी घर की हाई सिक्योरिटी सेल अन्य बैरकों से काफी दूर है।
बैरक के अंदर और बाहर के पूरे रास्ते तक इतने CCTV लगे हैं कि कोई ब्लैंक स्पॉट नहीं है। बैरक के बाहर 4 सुरक्षाकर्मी और नंबरदारों की ड्यूटी लगी है।
प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल के अंदर बना ‘फांसी घर’ अब खंडहर सरीखी इमारत में तब्दील हो चुका है। साल-1970 से यह वीरान खंडहर की तरह पड़ा है। कभी यहां पर फांसी देने वाले बंदियों को एक दिन पहले लाकर बंद किया जाता था। इस ‘फांसी घर’ में कुल 14 लोगों को फांसी दी गई गई है।
फांसी की सजा पर रोक के बाद अब यह हिस्सा कम ही इस्तेमाल होता है। लेकिन, इस हाई सिक्योरिटी बैरक में अहम कैदियों को रखा जाता है। कई बार ऐसे कैदी, जो साथियों पर हंगामा करते हैं, उन्हें यहां बंद किया जाता है। अब इसी हाई सिक्योरिटी सेल में अली अहमद को रखा गया है।
अब अली की बैरक तक कैश पहुंचने का मामला समझिए…
अली ने 30 जुलाई, 2022 को प्रयागराज जिला कोर्ट में सरेंडर किया था। तब से वह नैनी जेल की हाई सिक्योरिटी सेल में बंद है। अली, उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी है। नैनी के जेल में लगे CCTV की मॉनिटरिंग डीजी जेल पीसी मीणा के ऑफिस से होती है।
उनके ऑफिस स्टाफ ने देखा कि हेड वॉर्डन संजय द्विवेदी ने अली से मिलने आए वकील का सामान चेक किया। फिर उसे अंदर जाने दिया। इसके बाद वकील ने अली से मुलाकात की। फिर जेब से 1100 रुपए निकालकर अली को पकड़ा दिए। अली इन पैसों को गिनते हुए बैरक में लगे CCTV में दिखाई दिया।
CCTV देखकर डीजी जेल ने तत्काल डीआईजी राजेश श्रीवास्तव को मामले की जांच करने और रिपोर्ट देने को कहा। लखनऊ से आदेश मिलते ही मंगलवार शाम को DIG राजेश श्रीवास्तव नैनी जेल पहुंचे। वहां अली की बैरक की जांच की गई, तो कैश मिला।
इसके बाद उन्होंने तुरंत हाई सिक्योरिटी सेल की सुरक्षा संभाल रहीं डिप्टी जेलर कांति देवी और जेल वॉर्डन संजय द्विवेदी को सस्पेंड कर दिया। दोनों के खिलाफ विभागीय जांच के निर्देश दिए। डिप्टी जेलर कांति देवी बरेली जेल से 6 महीने पहले ही नैनी सेंट्रल जेल में आई थीं। वह 30 जून यानी 11 दिन बाद रिटायर होने वाली थीं, जबकि हेड वार्डर संजय द्विवेदी कंट्रोल रूम प्रभारी हैं।
एक वक्त नैनी जेल में लगता था अतीक का दरबार
नैनी सेंट्रल जेल कभी माफिया अतीक-अशरफ का सबसे मुफीद पनाहगाह हुआ करती थी। योगी सरकार आने से पहले नैनी जेल में अतीक का दरबार लगता था। अतीक और अशरफ ने ही गैंग मेंबरों के लिए जेल में बैडमिंटन कोर्ट तक बनाया गया था।
माफिया के लिए बैरक के बाहर किचन तैयार हुआ था, जहां डेग में खाना बनता था। यह खाना अन्य कैदियों को भी खिलाया जाता था। सुबह से जेल परिसर के मशहूर चबूतरे पर अतीक बैठकर जनसुनवाई की तरह लोगों की समस्याएं सुनता था। जेल से ही फोन पर निर्देश जारी होते थे।
अब अतीक का दूसरे नंबर का बेटा अली जेल में कैश मिलने के मामले में फंसा है। अली और अन्य गैंग मेंबरों पर जेल में काफी सख्ती हुई, लेकिन वक्त गुजरने के साथ सेटिंग का खेल सामने आ ही गया।
जेल सोर्स के मुताबिक, अली और उसके करीबियों के लिए जेल कैंटीन में नाश्ते के लिए सबसे महंगा सामान मंगवाया जाता है। सिविल लाइन की सबसे महंगी बेकरी से ऑर्डर देकर जेल कैंटीन के लोग बिस्कुट, पापे समेत नाश्ते का अन्य सामान ले जाते थे। जेल कैंटीन में अतीक के करीबियों की उधारी एक महीने में 3 लाख तक पहुंच जाती है। ये रुपए अतीक गैंग के मेंबर पहुंचाते हैं। सामान जेल के अन्य बंदियों के नाम लिया जाता है, लेकिन पहुंचाया अली तक ही जाता है।
6 महीने पहले एक अफसर ने इसे लेकर शिकायतें भी की थीं। इसके बाद अली और अतीक के गिरोह के सदस्यों पर सख्ती की गई थी। पुलिस ने जब अतीक, अशरफ और गैंग मेंबरों के मकान, जमीन कुर्क करनी शुरू की तो कई जमीनें चोरी-छिपे बेचने के मामले भी पकड़ में आए। पुलिस ने पूछताछ में साफ हुआ कि जल्दबाजी में इसलिए जमीनें बेची जा रही है, क्योंकि जेल में रुपए पहुंचाने होते हैं।
जेल में कैश रखने का नियम नहीं वरिष्ठ जेल अधीक्षक रंग बहादुर पटेल ने बताया- अली से मुलाकात के लिए एक वकील आया था। उसने अली को 1100 रुपए हाथों-हाथ दिए। नियम के मुताबिक, जो पैसे दिए गए उसके बदले में अली को जेल से कूपन लेना चाहिए था। लेकिन, कूपन न लेकर उसने वो पैसे अपने पास रख लिए। जेल में कैश रखने का नियम नहीं है।
बंदियों को पैसे के बदले कूपन दिया जाता है, जिससे वो जरूरत का सामान ले सकते हैं। यह कूपन काम करने वाले बंदियों को मिलता है। उस कूपन से वो जेल की कैंटीन से चाय-नाश्ता खरीद सकते हैं। जेल मैनुअल के अनुसार, 100 रुपए से 500 तक का कूपन ही दिया जाता है।
अतीक गैंग के 60 से ज्यादा गुर्गे नैनी जेल में बंद माफिया अतीक के 5 बेटों में सबसे बड़ा उमर लखनऊ जेल में बंद है। दूसरा बेटा अली नैनी जेल में है। तीसरे नंबर का बेटा असद एनकाउंटर में मारा गया था। दो बेटे अहजम और अबान प्रयागराज में पढ़ाई कर रहे हैं।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद माफिया अतीक के आईएस- 227 गैंग के खिलाफ ऑपरेशन चलाया गया था। इसमें गैंग के 200 से ज्यादा लोगों को जेल भेजा गया था। इनमें 60 से ज्यादा गैंग मेंबर नैनी जेल में बंद है।