आज इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर PM मोदी ने सोशल मीडिया X लिखा, यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं।
इस दिन, भारतीय संविधान के मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया। कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया।
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। यह 21 मार्च 1977 तक (21 महीने) तक लागू रहा था।
पीएम ने लिखा- आपातकाल के खिलाफ लड़ाई करने वालों को सलाम मोदी ने आगे लिखा कि हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं। ये पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए लोग थे, जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया।
भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था, जिसने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए।
PM बोले- इमरजेंसी के वक्त मैं RSS का युवा प्रचारक था PM ने अपनी पोस्ट में ‘द इमरजेंसी डायरीज’ नाम की बुक का भी जिक्र किया। पीएम ने लिखा, जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं RSS का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था।
इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को दिखाया। साथ ही, मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला।
मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना एचडी देवेगौड़ा ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।
इमरजेंसी पर अन्य नेताओं के बयान…
- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “आज से 50 साल पहले कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी, जो कोई राजनीतिक घटना नहीं बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला था। पचास साल बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ जी रही है। उसके इरादे आज भी वही हैं जो 1975 में थे।
- केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, यह देश की आत्मा को कुचलने का सीधा प्रयास था। आपातकाल एक परिवार की तरफ से रचा गया षड्यंत्र था जो सत्ता के नशे में था और यह कांग्रेस की अत्याचारी और क्रूर मानसिकता का भी प्रमाण था।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लिखा, देश में आपातकाल, कानूनों के हथियारीकरण, न्यायिक स्वतंत्रता के हनन और नियमों की अनदेखी करके लगाया गया था। कांग्रेस में जो लोग हाथ में संविधान की कॉपी लेकर घूमते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि 50 साल भी भारत उस अत्याचार को याद करता है।