गिल के बाद पंत ने ड्यूक बॉल पर सवाल उठाए:कहा- कभी गेंद को इतना खराब होते नहीं देखा; जानिए पूरी कंट्रोवर्सी

भारत के इंग्लैंड टूर के बीच डयूक बॉल का विवाद थमाने का नाम नहीं ले रहा है। भारतीय कप्तान शुभमन गिल के बाद बुधवार को उपकप्तान ऋषभ पंत ने डयूक बॉल की क्वालिटी पर सवाल उठाए हैं।

27 साल के भारतीय विकेटकीपर ने एक सवाल के जवाब में कहा- ‘मैंने अपने करियर में कभी गेंद को इतनी जल्दी खराब होते नहीं देखा।’

ऋषभ ने लीड्स टेस्ट के तीसरे दिन भी अंपायर्स से बॉल खराब होने की शिकायत की थी। इतना ही नहीं, वे बॉल नहीं बदलने पर अंपायर पर भड़क भी गए थे। इस पर ICC ने उन्हें फटकार लगाई थी और एक डिमेरिट पॉइंट दिया था।

पूरा मामला क्या है?

भारत के इंग्लैंड दौरे में उपयोग होने वाली ड्यूक बॉल जल्दी खराब हो रही है। इंग्लिश कप्तान बेन स्टोक्स सहित कई खिलाड़ी अंपायर्स से गेंद बदलने की मांग कर चुके हैं। गेंद खराब होने से गेंदबाजों को मदद नहीं मिल पा रही और बैटिंग आसान हो रही है।आगे समझिए बॉल जल्दी क्यों खराब हो रही और इससे गेम में क्या असर पड़ता है?

विवाद क्यों हुआ?

ड्यूक बॉल पर विवाद बढ़ने के पीछे ये दो बयान हैं। 2 दिन पहले भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने बर्मिंघम टेस्ट जीतने के बाद गेंद की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। गिल के बाद पंत ने भी बयान दिया है। पढ़ें दोनों बयान…

भारत के उप कप्तान ऋषभ पंत-

गेंद बहुत जल्दी अपनी शेप खो रही है। यह खिलाड़ियों के लिए परेशान करने वाली बात है, क्योंकि जब गेंद नरम हो जाती है, तो उससे कोई मदद नहीं मिलती। फिर जब नई गेंद आती है, तो वो (बॉल) अचानक बहुत कुछ (स्विंग, सीम और जंप) करने लगती है। यह क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं है।

भारतीय कप्तान शुभमन गिल-

गेंद बहुत जल्दी नरम हो रही है। मुझे नहीं पता कि यह क्या है, यह विकेट हो या कुछ और। लेकिन, यह गेंदबाजों के लिए मुश्किल है। गेंदबाजों के लिए थोड़ी मदद होनी चाहिए।

ड्यूक बॉल जल्दी खराब क्यों हो रही?

  • लेदर की क्वालिटी समझौता एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इसे बनाने वाली कंपनी ने बॉल की सिलाई और लेदर क्वालिटी में समझौता किया है। इससे गेंद जल्दी घिस जाती है और शेफ खो रही है।
  • वातावरण में नमी व बादल इंग्लैंड में इस समय समर सीजन चल रहा है। एजबेस्टन में बारिश भी हुई थी। वहां के मौसम में इस समय नमी और बादल थे। ज्यादा नमी या फिर गीली आउटफील्ड गेंद को वजनी और सॉफ्ट बना देता है। इससे सिलाई ढीली होती है।
  • फ्लैट पिचें बनवाई जा रही इंग्लैंड में इस सीरीज में अब तक सपाट और कम घास वाली पिचें देखने को मिली हैं। इससे बॉल ज्यादा रगड़ खा रही है और जल्दी खराब हो रही है। पिछले मैच में तो भारतीय टीम ने 1000 से ज्यादा रन बना दिए थे।

खराब गेंद खेल को कैसे प्रभावित करती है?

गेंद सॉफ्ट होने पर बल्लेबाजी बेहद आसान हो जाती है। इसमें बॉलर्स के लिए कोई मदद नहीं होती है। बॉल की स्पीड कम हो जाती है, साथ ही जंप भी कम हो जाता है। इसके अलावा, बॉल का आकार बड़ा होने पर इसको पकड़ (ग्रिप) भी कठिन होने लगता है।

5. ड्यूक बॉल बनाने वाले दिलीप जगजोडिया से सवाल-जवाब

ड्यूक बॉल बनाने वाले दिलीप जगजोडिया ने गेंद की गुणवत्ता पर इंडियन एक्सप्रेस से कहा- ‘इस बार इंग्लैंड में गर्मी ज्यादा है और पिचें सूखी व सपाट हैं। इन हालातों में गेंदबाजों को विकेट लेने में परेशानी हो रही है।

सवाल : गेंद जल्दी नरम क्यों हो रही है? हर गेंद को 80 ओवर तक चलना होता है। उसी के हिसाब से बॉल धीरे-धीरे नरम होती है, लेकिन आज के समय में खिलाड़ी और दर्शक जल्दी परिणाम चाहते हैं। अगर 30 ओवर में विकेट नहीं मिले तो खिलाड़ी तुरंत नई गेंद मांगने लगते हैं। फिर भी तो रिजल्ट आए हैं, भारत ने 20 विकेट भी लिए और मैच पांच दिन चला, इससे ज्यादा क्या चाहिए?

सवाल : प्लेयर्स की शिकायत पर क्या कहेंगे? क्रिकेट एक बदलता हुआ खेल है। इस बार गर्मी ज्यादा है, पिचें सूखी हैं और कवर की गई थीं, जिससे उनमें नमी नहीं है। ऐसे में रन बनना भी आसान हो गया है। अगर मैच ढाई दिन में खत्म हो जाए तो लोग कहते हैं गेंदबाजों को मदद मिल रही है। अगर 5 दिन में रिजल्ट आए तो फिर गेंद की आलोचना होने लगती है।

सवाल : सॉफ्ट और हार्ड बॉल के बीच संतुलन कैसे बनाए रखते हैं? अगर हम बहुत सख्त गेंद बनाएंगे तो बल्ले टूटने लगेंगे। हमें ध्यान रखना होता है कि नियमों के अनुसार गेंद 80 ओवर तक धीरे-धीरे खराब होनी चाहिए। अगर 20 ओवर में ही खिलाड़ी कहें कि गेंद काम नहीं कर रही, तो ये सही नहीं है। हां, अगर कोई असली खराबी है तो गेंद बदली जा सकती है।