वाराणसी में नवजात की मौत…परिजन बोले- डॉक्टर की गलती:सिर में सर्जिकल ब्लेड लगने से मरा; डॉक्टर बोली- बच्चा मरा पैदा हुआ था

वाराणसी में डिलीवरी के वक्त नवजात की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि बच्चा पैदा हुआ तो जिंदा था। डॉक्टर ने जब नाल काटा तब सर्जरी ब्लेड उसके सिर में लग गई। उसके सिर की नस कट गई और नवजात ने दम तोड़ दिया।

जबकि महिला वार्ड की हेड डॉ. अनुराधा सचान का कहना है कि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था। जन्म के बाद नाल काटने में उसके सिर पर सर्जरी ब्लेड लग गई। हमने परिजनों को इसलिए नहीं बताया, क्योंकि बच्चा तो पहले ही मर चुका था।

घटना की जानकारी होते ही गुस्साए परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को शांत कराया। अस्पताल में भी फोर्स तैनात की गई। मामला शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल का है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद सच सामने आएगा।

सुबह भर्ती कराया, रात में सर्जरी हुई

वाराणसी के पड़ाव निवासी अनीशुर्रहमान बुनकर हैं और अपना कारखाना चलाते हैं। उनकी पत्नी शबनम गर्भवती थीं। शुक्रवार सुबह 8 बजे उसे प्रसव पीड़ा हुई तो परिवार के लोग एम्बुलेंस मंगवाकर कबीरचौरा अस्पताल ले आए। सुबह 8.30 बजे उन्हें मंडलीय अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में भर्ती करवा दिया।

अस्पताल के महिला विंग में शाम 7 बजे फिर प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो डॉक्टर उन्हें लेबर रूम में ले गए। पहले नॉर्मल डिलीवरी का प्रयास किया। इसके बाद सर्जरी के लिए ऑपरेशन शिएटर में ले गए।

परिजनों ने बुलाई पुलिस, जांच और पूछताछ जारी

परिजनों का कहना है कि डिलीवरी के बाद बच्चा जिंदा था। अनीशुर्रहमान और परिजनों ने तुरंत 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही डायल 112 की टीम अस्पताल पहुंची। मामले की छानबीन शुरू की। परिजनों ने पुलिस से कहा कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की टीम की गलती से बच्चे के सिर पर ब्लेड लग गया, जिससे अत्यधिक ब्लीडिंग हुई और नवजात ने दम तोड़ दिया।

अनीशुर्रहमान का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उनका नवजात बच्चा नहीं बच सका। इन सभी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। मामले को लेकर अस्पताल में हंगामे की स्थिति बनी है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पुलिस ने मंडलीय अस्पताल में डयूटी पर तैनात चिकित्सकों से पूछताछ की। एडमिट रजिस्टर देखा, केस की हिस्ट्री देखी तो ऑपरेशन की बात लिखी थी। परिजनों ने बताया कि 2500 रुपए भी डिलीवरी के लिए नर्स ने लिए थे। जो बच्चे के मरने के बाद वापस किए गए।

डॉ. अनुराधा सचान ने बताया कि अस्पताल में शबनम नाम की मरीज एडमिट थी। मैंने शाम को मशीन से देखा कि बच्चे की धड़कन नहीं मिल रही है। मैंने बच्चे के पिता को बुलाया और बताया। हमने कहा- आपरेशन करना होगा। उन्होंने हामी भर दी। फिर हमने ऑपरेशन कर दिया। बच्चा निकाला, वह जिंदा नहीं था। इस दौरान उसके सिर में कुछ लग गया। हमने इसलिए नहीं बताया कि हमने पहले की बता दिया था कि बच्चा ठीक नहीं है। बच्चा जिंदा नहीं है।