India Covid-19 Second Wave: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर न मचा दे कहर!

India Covid-19 Second Wave इतिहास खुद को दोहरा रहा है। वह इसलिए क्योंकि हम में से कुछ लोगों ने इससे सबक नहीं लिया। लापरवाह हो गए और जिसका खामियाजा देश में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के रूप में देखा जा सकता है। याद कीजिए, पिछले साल के अप्रैल, मई, जून..महीने। रोजाना नए संक्रमण सामने आने के ट्रेंड इसी तरह देखे जा रहे थे। चूंकि तब शुरुआत एक से हुई थी तो रोजाना वृद्धि का क्रम छोटी संख्या से हो रहा था और पीक पर जाने यानी 97654 मामले एक दिन में आने के लिए 11 सितंबर तक का वक्त लगा।

इस पीक तक हम महामारी से मुकाबले को लेकर तन, मन और धन से तैयार हो चुके थे। लिहाजा हमारी एहतियात और सावधानियों से रोजाना नए मामलों में गिरावट आने लगी। जैसे-जैसे रोजाना मामले कम हो रहे थे, समाज के कुछ लोगों की स्वच्छंदचारिता से जुड़ी बेचैनी बढ़ने लगी थी। बिना मास्क के लोग घूमना शुरू कर चुके थे। शारीरिक दूरी के मानक का उल्लंघन सरेराह देखा जा सकता था।

आखिरकार वह दिन भी आया जब रोजाना के नए मामले दस हजार से भी नीचे चले गए। इतिहास बना। इस साल 15 फरवरी को कुल नए मामले 9139 पर सिमट गए। अब तक हम यह मान चुके थे कि महामारी के ताबूत में आखिरी कील ठोकी जा चुकी थी। देश में चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन भी लगाई जानी शुरू हो चुकी थी। लिहाजा कुछ लोगों को महामारी के नियम-कानूनों से बंधकर रहने में ऊबन होने लगी। इसी ऊबन ने फिर से नए मामलों में वृद्धि शुरू कर दी। दिन ब दिन बढ़ते हुए ये 60 हजार से ऊपर जा चुके हैं। टीकाकरण में तेजी आई है। चूंकि कोरोना से हुई मौतों में 88 फीसद से अधिक लोग 45 साल के ऊपर हैं, लिहाजा इस संवेदनशील आयुवर्ग को कोरोनारोधी करने के लिए एक अप्रैल से टीकाकरण शुरू हो जाएगा। देश में इस आयुवर्ग में 34 करोड़ लोग हैं।

लिहाजा समय अधिक लगेगा, तब तक दूसरी लहर को रोकने के लिए हमें पहले से ज्यादा एहतियात और सावधानी बरतनी होगी। अब वायरस ज्यादा संक्रामक और घातक हो रहा है। दूसरे तमाम देशों के अनुभव बताते हैं कि पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर का पीक आने में ज्यादा वक्त लगता है, और यह पहली से कहीं ज्यादा अधिक संख्या वाली होती है। ऐसे में मास्क, सुरक्षित दूरी, साफ-सफाई, खान-पान, रहन-सहन सब कुछ पहले जैसा ही करना होगा, ताकि महामारी की दूसरी लहर को समय से पहले खत्म किया जा सके। न मचा दे कहर!

टीकाकरण: उम्मीद की किरण: अतीत के अनुभव बताते हैं कि छोटे स्तर पर या स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन या प्रतिबंध कोविड-19 महामारी के संक्रमण के प्रसार को रोकने में बहुत कारगर नहीं साबित हुए हैं। महाराष्ट्र और पंजाब सहित कई राज्यों में इस प्रवृत्ति को स्पष्ट देखा गया है। भारतीय स्टेट बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 1918-19 ग्रेट पैंडमिक फ्लू पर किया गया एक विस्तृत अध्ययन इस बात की तस्दीक करता है। हैचेट, मेकर और लिपसिट्च द्वारा 2007 में हुए इस अध्ययन में बताया गया है कि स्कूलों, चर्चो और थियेटरों को बंद करने जैसे गैर चिकित्सकीय उपाय एनफ्लूएंजा संक्रमण के मामले उल्लेखनीय रूप से कम जरूर कर देते हैं लेकिन जैसे ही इन कदमों में ढिलाई दी जाती है, मामले तेजी से पुन: बढ़ने शुरू हो जाते हैं। इसलिए लॉकडाउन इस अदने से वायरस के उपजी महामारी का स्थायी उपाय नहीं है। टीकाकरण ही इसका एकमात्र और दीर्घकालिक निदान है।

तेज होती है दूसरी लहर: देश-दुनिया के अनुभव बताते हैं कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की रफ्तार पहली के मुकाबले ज्यादा तेज होती है। साथ ही दूसरी लहर का पीक यानी चरम बिंदु पहली के मुकाबले कई गुना अधिक होता है। लिहाजा अब हमें पिछली बार के मुकाबले ज्यादा सचेत और सतर्क रहना होगा।