हरियाणा सीएम मनोहर बोले- पहले भी किसान था और अब भी करता हूं खेती, उगाते हैं जैविक सब्जियां

हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल खुद को किसान बताते हैं। मनोहरलाल का कहना है कि वह सीएम बनने से पहले भी खेती करते थे और सीएम बनने के बाद भी खेती कर रहे हैं। जमीन से उनका बेहद लगाव है तथा किसानों की दिक्कतों-परेशानियों से भली प्रकार वाकिफ हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार उन्होंने सीएम आवास पर जैविक सब्जियां उगा रखी हैं। समय मिलने पर वह इन सब्जियों की देखभाल करते हैं। खेत में निराई-गुडाई का काम भी करते हैं। कई बार सब्जियां तोड़कर वह खुद अपनी रसोई में पहुंचाते हैं।

उन्नतीशील किसानों से संवाद के दौरान बताया, खेत से होती है मेरी सुबह की शुरुआत

तीन कृषि कानूनों के विरोध के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्नतीशील किसानों के साथ संवाद के दौरान यह बात कही। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को पंचकूला में राज्यभर के उन्नतिशील किसानों के साथ संवाद कर रहे थे। सीएम ने बताया कि उनके दिन की शुरुआत खेत खलिहान से ही होती है।

मनोहरलाल ने कहा, सुबह बिस्तर छोड़ने के बाद वह सीएम निवास पर बोई गई जैविक सब्जियों की देखभाल करने जाते हैं। उनमें पानी भी लगाते हैं। उसके बाद सैर और योग करते हैं। फिर उनकी बाकी दिनचर्या आगे बढ़ती है। उन्होंने तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वालों को संदेश दिया है कि वह विपक्षी राजनीतिक लोगों के बहकावे में न आएं।

चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री आवास में इन दिनों जैविक सब्जियों की पैदावार हो रही है। इनमें खीरा, टमाटर, भिंडी, घिया, तोरई और करेले की सब्जियां शामिल हैं। बिना किसी खाद और कीटनाशक का प्रयोग किए यह सब्जियां उगाई जा रही हैं। उन्‍होंने कहा कि हरियाणा-दिल्ली बार्डर पर पिछले छह माह से किसान जत्थेबंदियों द्वारा तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन किया जा रहा है। हालांकि उन्नतीशील किसान इन कानूनों को किसी भी सूरत में किसानों के खिलाफ नहीं मानते, लेकिन फिर भी किसान जत्थेबंदियां आंदोलनरत हैं और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़ी हैं।

मनोहर लाल ने कहा कि वे भी किसान के बेटे हैं। यदि उन्हें इन कानूनों में जरा भी कोई खामी नजर आती तो वह खुद आगे-आगे इन कानूनों का विरोध करते, मगर तीनों कृषि कानूनों की वजह से किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिल रही है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल रोहतक जिले के बनियानी गांव के रहने वाले हैं। वहां उनकी पुश्तैनी जमीन है, जहां वे खुद भी खेती करते रहे हैं। उन्होंने कालेज की पढ़ाई के दौरान खूब खेती की और फसल बेचने के लिए मंडी में भी स्वयं ही जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री होते हुए भी खेती से उनका जुड़ाव कम नहीं हुआ है।

मैं आज भी जमीन से जुड़ा हुआ हूं’

” मैंने एक छोटे से किसान परिवार में जन्म लिया है। खेती भी की है और फसल-सब्जियों को मंडी में ले जाकर बेचा भी है। परमात्मा की कृपा से आज भी जमीन से उतना ही जुड़ा हुआ हूं। जैविक विधि से उत्पन्न सब्जियों की देखरेख करता हूं। मैं किसान का बेटा हूं और किसानों की वास्तविक जरूरत तथा तकलीफ समझता हूं, लेकिन यह भी सच है कि तीन कृषि कानूनों के विरोध को लेकर राजनीति ज्यादा हो रही है।