रामसर साइट में शामिल होने से आसन वेटलैंड को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड को रामसर साइट में शामिल कर लिया गया है। इसी के साथ देश में रामसर साइट की संख्या बढ़कर 38 हो गई है। रामसर कन्वेंशन की ओर से आसन वेटलैंड को अंतरराष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किए जाने से उत्तराखंड में पर्यटन को नए पंख लगने तय हैं।

चकराता वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी रहे डॉ. धीरज पांडे ने वर्ष 2011 में आसन वेटलैंड को रामसर साइट सूची में लाने को कवायद शुरू की थी। आसन वेटलैंड में हर साल 1500 से 2000 तक रुडी शेलडक रिपोर्ट किए जाने के मद्देनजर तत्कालीन डीएफओ एवं वर्तमान में वन संरक्षक भागीरथी सर्किल डॉ. पांडे ने रामसर का प्रपोजल बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजा था।

इसके बाद प्रपोजल केंद्र सरकार के पास गया और रामसर साइट में शामिल होने के लिए सर्वे व अन्य जरूरी प्रक्रियाएं पूरी की गईं। कन्वेंशन ऑन वेटलैंड्स के सेकेटरी जनरल मार्था रोजस उरीगो ने आसन वेटलैंड को रामसर साइट की सूची में शामिल करने का प्रमाणपत्र जारी किया। चकराता वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी दीपचंद आर्य ने आसन वेटलैंड के रामसर साइट में शामिल होने की पुष्टि करते हुए बताया कि रामसर वेटलैंड के संरक्षण के लिए विश्वस्तरीय प्रयास है। इससे आसन वेटलैंड अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर आ गया है। अब उत्तराखंड में प्रवासी परिंदों का संरक्षण और बेहतर हो सकेगा। साथ ही उत्तराखंड में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

रामसर सूची का उद्देश्य अपने पारिस्थितिक तंत्र व प्रक्रियाओं के घटकों को बनाए रखते हुए आद्र्रभूमि के नेटवर्क को विकसित करना और उन्हें बनाए रखना है। रामसर अभिसमय (कन्वेंशन) अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्रभूमियों, विशेषकर जलप्रवाही पशु पक्षियों के प्राकृतिक आवास से संबंधित है। यह आद्रभूमियों के संरक्षण को सुनिश्चित करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। रामसर कन्वेंशन के सदस्य देशों ने वेटलैंड क्षेत्रों के पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय महत्व को देखते हुए हस्ताक्षर किए थे। इसे औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स पर कन्वेंशन के रूप में जाना जाता है। इसे दो फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में  कैस्पियन सागर के तट पर साइन किया गया था।