जब आपके साथ वास्तव में कुछ बुरा होता है, तो आप अपने भविष्य के बारे में किस तरह की सोच रखते हैं? क्या बेहद बुरा या अनहोनी या फिर अब सब ठीक हो जाएगा या मेरा तो जीवन ही बर्बाद हो गया…।
दरअसल, हमारी यही सोच हमारी खुशी के लिए बड़ी बाधा बन जाती है। इतना ही नहीं, यह हमारे तनाव पोस्टट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर सिंड्रोम (PTSD) को बढ़ाने का एक और कारक बन जाती है। इसे जानने के लिए 2009 से 2013 तक इराक और अफगानिस्तान में तैनात 79,438 अमेरिकी सैनिकों को ट्रैक किया।
बुरे की आशंका करने वाले में तनाव बढ़ने की आशंका 5 गुना
सेना में उनके पहले ही दिन उन्हें एक मनोवैज्ञानिक प्रश्नावली दी गई। इसमें उनसे यह मूल्यांकन करने के लिए कहा गया कि वे निराशावाद और उसके सबसे चरम रूप, तबाही से संबंधित कई हालात के बारे में कैसा महसूस करते हैं। जवाब में सामने आया कि प्रश्नावली काे हम यह अनुमान लगाने के लिए इस्तेमाल कर सकते थे कि किसमें तनाव विकसित हाेगा। बुरे की आशंका करने वाले में तनाव बढ़ने की आशंका पांच गुना थी। वास्तव में हम जो चाहते हैं, हमारा दिमाग हमें उस दिशा में खींच ले जाता है।
खुशी पाने के लिए खुद से वैसे ही बात करें जैसे बच्चे से करते हैं
लेखिका गैब्रिएला रोसेन केलरमैन इस रिसर्च पर कहती हैं कि जीवन में खुशी पाने के लिए आपको खुद प्रयास करने होंगे। आपको लगता हो कि आप विफल हो रहे हैं, तो खुद से उसी तरह बात करना शुरू कर दें, जैसे आप किसी बच्चे से करते हैं – प्यार, करुणा और प्रोत्साहन के साथ। इससे आप खुद को मानसिक रूप से ऊपर उठाना सीख जाएंगे और हर समय आपका मनोबल ऊंचा रहेगा।