आखिरकार ये तय हो गया है कि 5 फरवरी को अमेरिका ने अपने हवाई क्षेत्र में जो चीनी बैलून मार गिराया था, वो जासूसी ही कर रहा था। अमेरिका ने इसकी पुष्टि कर दी है। US मिलिट्री ने मंगलवार को एक बयान में कहा- बैलून के मलबे को रिकवर करने के बाद उसकी जांच की गई। इसमें साफ हो गया कि यह सिविलियन नहीं, बल्कि स्पाई बैलून था।
चीन की हरकतों के मामले में एक और अहम डेवलपमेंट हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने अपने तमाम मंत्रालयों और अहम ठिकानों पर लगे चीनी CCTV कैमरे हटा दिए थे। अब चीन ने उसे अंजाम भुगतने की धमकी दी है।
पहले जानिए, अमेरिका ने स्पाई बैलून पर क्या कहा
अमेरिकी मिलिट्री की नॉदर्न कमांड ने कहा- साउथ कैरोलिना के समुद्री क्षेत्र में पिछले हफ्ते हमने चीन के बैलून को मार गिराया था। इसके मलबे को नेवी की स्पेशल टीम ने बड़ी मशक्कत के बाद रिकवर किया। मलबे की लेबोरेट्री में जांच की गई। इसमें साफ हो गया कि इस बैलून में हाई डेफिनेशन सेंसर और कैमरे लगे थे। कुछ और इलेक्ट्रॉनिक इक्यिपमेंट्स भी बरामद हुए।
बयान में आगे कहा गया- सेंसर्स के बारे में हमारे एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनका इस्तेमाल इंटेलिजेंस गैदरिंग, यानी खुफिया जानकारी जुटाने के लिए किया गया है। अमेरिकी डिफेंस मिनिस्टर लॉयड ऑस्टिन ने एक अलग बयान में कहा- मैं अपने देश के नागरिकों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अमेरिका और अमेरिकी पूरी तरह महफूज हैं। US आर्मी इस तरह के किसी भी खतरे से निपटने में बहुत काबिल फोर्स है।
और चीन क्या कह रहा है
- चीन ने अमेरिका के तमाम दावों को खारिज कर दिया। उसके विदेश मंत्रालय ने कहा- हमने अमेरिका को पहले ही बता दिया है कि जिस बैलून को वहां की एयरफोर्स ने मार गिराया, वो वास्तव में सिविलियन बैलून था जो गलती से अमेरिका पहुंच गया। इसके जरिए हम वेदर डेटा जुटाते हैं। अमेरिकी सरकार इस मामले पर ओवर रिएक्ट कर रही है।
- चीनी विदेश मंत्रालय ने आगे कहा- किसी बैलून का दूसरे देश में घुस जाना नॉर्मल बात है। 2022 से अब तक 10 अमेरिकी गुब्बारे चीन में घुस चुके हैं। चीनी फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन वांग वेनबिन ने कहा- ऐसी चीजें होती रहती हैं। अगर अमेरिका इसे गैरमामूली मानता है, तो वो खुद भी तो यही काम करता है। 2022 से अब तक 10 बार अमेरिकी बैलून हमारे देश में घुसे। इसके लिए कोई अप्रूवल नहीं लिया गया। अगर आपको इस बारे में ज्यादा जानकारी चाहिए तो सवाल अमेरिका से कीजिए, चीन से नहीं।
- न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, चीन के इन आरोपों के जवाब में सोमवार को व्हाइट हाउस ने कहा- हमने चीन में कभी कोई बैलून नहीं भेजा।
संयोग या प्रयोग
- मोंटाना में चीनी स्पाई बैलून का दिखना और फिर इसे मार गिराया जाना, इतनी भी मामूली घटना नहीं है, जितना चीन जताने की कोशिश कर रहा है। मोंटाना और साउथ कैरोलिना वो जगहें हैं, जो सुपरपावर अमेरिका की मिलिट्री के लिहाज से बेहद अहम हैं। दरअसल, इसी इलाके में एयरफोर्स की इन्टरकॉन्टिनेंटल मिसाइलें तैयार रहती हैं। इन्हें शूट एट टारगेट मोड पर रखा जाता है।
- इसके अलावा US नेवी की इंटेलिजेंस रिसर्च लैब भी यहीं मौजूद है। खास बात यह है कि इसी लैब में मार गिराए गए चीनी स्पाई बैलून के मलबे की जांच को अंजाम दिया जा रहा है।
- ‘स्काय न्यूज’ के मुताबिक, इसी लैब में बायलॉजिकल वेपन्स से निपटने पर भी रिसर्च की जाती है। इसके अलावा नेवी सबमरीन का मेंटेनेंस और अपडेशन की भी एक यूनिट यहां मौजूद है।
- ऊपर दिए गए फैक्ट्स पर गौर किया जाए तो यह साफ हो जाता कि करीब 6 हजार किलोमीटर दूर उड़कर चीनी बैलून का यहां पहुंचना कम से कम संयोग तो नहीं है। हां, चीन के रिकॉर्ड को देखते हुए ये जरूर शक होता है कि ये प्रयोग है।
ऑस्ट्रेलिया से भी उलझा चीन
अमेरिका और कनाडा से भिड़ने के बाद अब चीन सरकार ऑस्ट्रेलिया से भी उलझ गई है। चीन ने ऑस्ट्रेलिया को ‘मेड इन चाइना’ CCTV कैमरे हटाने को लेकर धमकी है।
दरअसल, पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक बेहद अहम और सख्त फैसला किया। उसने एक ऑर्डर जारी किया। इसमें कहा- देश की तमाम मिनिस्ट्रीज, डिफेंस इंस्टीट्यूशन्स और दूसरे अहम ठिकानों पर लगे मेड इन चाइना CCTV कैमरों को फौरन हटाया जाए। डिफेंस मिनिस्टर रिचर्ड मार्लेस के मुताबिक- हमने 1000 हजार कैमरों को फौरन हटाने का ऑर्डर जारी किया है। यह कैमरे चीन की हिकविजन और दाहुआ कंपनी के हैं।
और चीन की सीनाजोरी
- ऑस्ट्रेलियाई सरकार के इस कदम पर चीन बौखला गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलिया के फैसले को अनप्रोफेशनल बताते हुए उसे अंजाम भुगतने की धमकी दी है।
- बीजिंग में फॉरेन मिनिस्ट्री की स्पोक्सवुमन माओ निंग ने कहा- हम इस कदम की निंदा करते हैं। ऑस्ट्रेलियाई सरकार नेशनल सिक्योरिटी का बहाना बनाकर सरकारी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रही है। दरअसल, वो हमारी कंपनियों को बदनाम करके उन्हें बिजनेस से रोकना चाहती है।
- निंग ने आगे कहा- चीन इसका जवाब देगा। इसके पहले हम चाहते हैं कि मामले की साफ-सुथरी जांच की जाए। हमारी कंपनियों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। दोनों देशों के बीच पहले ही कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं। इसलिए यह मामला जल्द सुलझाया जाना चाहिए।
एक और गुत्थी उलझी
- अमेरिका और कनाडा में स्पाई बैलून मिलने का मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि दोनों देशों में ‘अनआईडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट’ (UFO) जैसी चीजें दिखने लगीं। इन फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को मार गिराया गया है, लेकिन इनके मलबे से क्या मिला? अब तक इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।
- कुछ खबरों में कहा गया है कि ये कथित तौर पर दूसरे प्लेनेट से आए ऑब्जेक्ट हो सकते हैं। हालांकि, अब तक दोनों ही सरकारों ने इस पर कुछ नहीं कहा है। ब्रिटेन भी इस तरह से मामलों से निपटने की तैयारी कर चुका है।
- अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन पहले ही चीन का दौरा रद्द कर चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच डेलिगेशन लेवल की बातचीत भी टाल दी गई है। कुल मिलाकर कई मामलों पर चीन का पश्चिमी देशों के साथ विवाद गहरा गया है।