दुनिया के सबसे उम्रदराज एथलीट और टर्बन टॉरनेडो के नाम से मशहूर फौजा सिंह का सोमवार रात 114 साल की उम्र में निधन हो गया। जालंधर में सैर करने के दौरान उन्हें एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। इलाज के लिए उन्हें एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां रात को उन्होंने अंतिम सांस ली।
पुलिस ने उनके बेटे धरमिंदर सिंह की शिकायत पर अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फौजा सिंह ब्यास पिंड में अपने बेटे के साथ रहते थे। बेटे और बेटियों के विदेश से लौटने के बाद आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। फौजा सिंह ने 80 साल की उम्र में दौड़ना शुरू किया था। 2012 के लंदन ओलिंपिक में वह मशालवाहक भी रहे।
उनके निधन पर PM नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया। PM ने X पर लिखा- ‘फौजा सिंह जी एक असाधारण व्यक्तित्व थे, जिन्होंने फिटनेस जैसे एक बेहद महत्वपूर्ण विषय पर भारत के युवाओं को प्रेरित करने के अपने अनोखे अंदाज और जीवनशैली से मिसाल कायम की। वे अद्भुत संकल्पशक्ति वाले एक महान खिलाड़ी थे।’ पंजाब विधानसभा में मंगलवार को फौजा सिंह को श्रद्धांजलि दी गई।
एक कार्यक्रम में फौजा सिंह ने कहा था-
पिंड (गांव) मेरे लिए सबकुछ है। मैं यहीं पैदा हुआ, यहीं पला-बढ़ा। इसे कैसे छोड़ दूं? पिछले साल कनाडा गया था। वहां बीमार हो गया तो डर गया कि कहीं वापस ही ना जा पाऊं। मेरा सपना है- ‘मरां तां अपणे देश विच मरां, अपणे पिंड विच मरां।
फौजा सिंह के सिर पर लगी थी चोट
फौजा सिंह के छोटे बेटे हरबिंदर सिंह ने बताया कि वह सोमवार को 3 बजे खाना खाने के बाद सैर करने के लिए घर से निकले थे। इस दौरान जब वह हाईवे पर पहुंचे तो एक अज्ञात कार ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे उन्हें सिर, छाती और पसलियों पर गंभीर चोटें आईं, जिसके कारण उनकी मौत हो गई।
फौजा सिंह के पास इंग्लैंड की नागरिकता थी। कोरोना के बाद वह विदेश बहुत कम जाते थे। अब वह अपने बेटे हरबिंदर सिंह और बहू के साथ जालंधर में ही रहते थे। उनके दूसरे बेटे और बेटी यूके और कनाडा में रहते हैं।
SHO बोले- कार का पता लगा रहे
आदमपुर थाने के SHO हरदेव सिंह ने बताया कि फौजा सिंह के बेटे ने पुलिस को जानकारी दी थी, जिसके बाद जांच के लिए टीमें मौके पर पहुंच गई थीं। फिलहाल, उस कार का पता नहीं चल पाया है जिसने फौजा सिंह को टक्कर मारी है। हम मामले की जांच कर रहे हैं और FIR दर्ज कर ली गई है।
टर्बन टॉरनेडो के नाम से मशहूर फौजा सिंह के बारे में जानें…
- 80 साल की उम्र में दौड़ना शुरू किया: पंजाब के जालंधर जिले के ब्यास पिंड में 1911 में जन्मे फौजा सिंह ने 80 साल की उम्र में दौड़ना शुरू किया था। 1990 के दशक में वे इंग्लैंड चले गए और अपने बेटे के साथ इलफोर्ड में रहने लगे। 1992 में उनकी पत्नी और सबसे बड़ी बेटी का निधन हो गया, जिससे उन्हें गहरा सदमा लगा। अगस्त 1994 में उनके पांचवें बेटे कुलदीप की एक निर्माण हादसे में मौत हो गई। इन्हीं दुखों ने उन्हें 1995 में फिर से दौड़ने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया।
- 2000 में लंदन मैराथन पूरी की: 89 साल की उम्र में उन्होंने गंभीरता से दौड़ना शुरू किया। जब वह पहली बार ट्रेनिंग के लिए रेडब्रिज, एसेक्स पहुंचे, तो थ्री-पीस सूट पहनकर आ गए। कोच को उनकी पूरी तैयारी कराने के साथ उनके कपड़े भी बदलने पड़े। 90 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैराथन दौड़ना शुरू किया। फौजा सिंह ने अपनी पहली दौड़ 2000 में लंदन मैराथन के रूप में पूरी की।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टर्बन टॉरनेडो के नाम से मशहूर हुए: अपनी कड़ी मेहनत और अदम्य साहस के चलते वे ‘टर्बन टॉरनेडो’ (पगड़ीधारी तूफान) के नाम से मशहूर हुए। 93 साल की उम्र में उन्होंने एक मैराथन 6 घंटे 54 मिनट में पूरी की, जो 90 से ऊपर की उम्र में दर्ज सर्वश्रेष्ठ समय से 58 मिनट बेहतर था। उन्होंने 2004 में 93 साल की उम्र में लंदन मैराथन पूरी की। उसी साल 2004 में वह एडिडास के एक विज्ञापन अभियान में डेविड बेकहम और मोहम्मद अली के साथ नजर आए। 94 साल की उम्र में उन्होंने 200 मीटर से 3000 मीटर तक की दौड़ों में ब्रिटेन के रिकॉर्ड तोड़े।
- 2011 में 100+ कैटेगरी में रिकॉर्ड बनाया: 2011 में 100 साल की उम्र में उन्होंने टोरंटो मैराथन पूरी कर 100+ की कैटेगरी में रिकॉर्ड बनाया। 100 साल की उम्र में फौजा सिंह ने कनाडा के टोरंटो में आयोजित एक स्पेशल इवेंट में एक ही दिन में आठ विश्व रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने 100 मीटर से लेकर 5000 मीटर तक की दौड़ों को नए मापदंडों के साथ पूरा किया।
- ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में जीवनी लॉन्च हुई: 3 दिन बाद उन्होंने टोरंटो वाटर फ्रंट मैराथन पूरी कर दावा किया कि वह 100 साल की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले पहले व्यक्ति हैं। उनकी जीवनी टर्बन्ड टॉरनेडो 2011 में ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लॉन्च की गई। इसी साल वह PETA के अभियान में सबसे उम्रदराज पुरुष बने।
- 2013 में संन्यास लेने की घोषणा की: 2012 में मलेशिया में आयोजित 101 एंड रनिंग थीम वाले इवेंट में वह सम्मानित मेहमान बने और द ब्रांड लॉरेट अवॉर्ड से नवाजे गए। 2013 में 102वें जन्मदिन से कुछ सप्ताह पहले उन्होंने हॉन्गकॉन्ग मैराथन में 10 किलोमीटर दौड़ 1 घंटे 32 मिनट में पूरी की और प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ से संन्यास लेने की घोषणा की। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि वह सेहत, आनंद और चैरिटी के लिए दौड़ते रहेंगे। वे अब तक के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक माने जाते हैं।
जालंधर प्रशासन ने कहा- फौजा सिंह नशा मुक्त रंगला पंजाब मार्च में साथ चले
फौजा सिंह की मौत पर जालंधर प्रशासन ने सरकार की तरफ से दुख जताया। उन्होंने कहा कि, “महान मैराथन धावक और दृढ़ संकल्प तथा उम्मीद के प्रतीक सरदार फौजा सिंह के निधन से हम गहरे शोक में हैं। दिसंबर 2024 में उनके पैतृक गांव ब्यास से शुरू हुए दो दिवसीय ‘नशा मुक्त रंगला पंजाब’ मार्च के दौरान उनके साथ चलने का हमें भी सौभाग्य मिला। उस समय भी उनकी उपस्थिति ने पूरे अभियान में अभूतपूर्व ऊर्जा और जोश भर दिया था।”
जालंधर जिला प्रशासन की ओर से हम उनके परिवार और दुनिया भर में मौजूद उनके प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान हो।”
अब पढ़ें, दिग्गज एथलीट फौजा सिंह को किन-किन नेताओं ने श्रद्धांजलि दी।
- मुख्यमंत्री भगवंत मान: लंबी और साहसिक दौड़ों के दम पर उन्होंने पूरी दुनिया में सिख कौम और पंजाब का नाम रोशन किया था। विश्व के सबसे अधिक उम्र के धावक फौजा सिंह हमेशा हमारे दिलों और यादों में जीवित रहेंगे। मैं उनके परिवार और तमाम चाहने वालों के साथ दिल से संवेदना व्यक्त करता हूं। वाहेगुरु जी से अरदास है कि उन्हें अपने चरणों में स्थान दें।
- केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू: मैराथन धावक फौजा सिंह की सड़क दुर्घटना में निधन अत्यंत दुखद है। उनकी उल्लेखनीय यात्रा और अदम्य साहस आने वाली पीढ़ियों के लिए एक शाश्वत प्रेरणा बनी रहेगी। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
- सांसद गुरजीत सिंह औजला: विश्व के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक फौजा सिंह के 114 वर्ष की आयु में सड़क दुर्घटना में निधन के बारे में सुनकर हृदय व्यथित है। उन्होंने उम्र को चुनौती दी, मानवीय भावना को पुनः परिभाषित किया और विश्व भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनकी विरासत सदैव जीवित रहेगी।
- नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा: दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक सरदार फौजा सिंह के निधन से गहरा दुख हुआ। 114 वर्ष की आयु में भी वे दृढ़ता और आशा की प्रेरणा रहे। पंजाब और पूरी दुनिया उनके अद्भुत जीवन को नमन करती है।
- वित्त मंत्री हरपाल चीमा: सरदार फौजा सिंह के निधन से दुखी हूं। जो पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहे। दौड़ने के उनके जुनून ने दुनिया को सिखाया कि उम्र, हौसले और ताकत के लिए कोई बाधा नहीं है। वाहेगुरु उनकी पुण्य आत्मा को शांति प्रदान करें।
- पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया– महान मैराथन धावक और दृढ़ संकल्प के प्रतीक फौजा सिंह जी के जाने से बेहद दुख हुआ। 114 वर्ष की आयु में भी उन्होंने ‘नशा मुक्त – रंगला पंजाब’ मार्च में मेरे साथ अभूतपूर्व जोश और ऊर्जा के साथ हिस्सा लिया। उनकी विरासत हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। ॐ शांति ॐ।
- पूर्व सीएम और सांसद चरणजीत सिंह चन्नी– पंजाब के गौरव, 114 वर्षीय बापू फौजा सिंह के सड़क दुर्घटना में निधन की खबर सुनकर अत्यंत दुःख हुआ। वे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
- भाजपा नेता परनीत कौर– मैराथन धावक फौजा सिंह, जिन्होंने अपना जीवन दौड़ को समर्पित कर दिया, आज हमें अलविदा कह गए। उन्होंने दुनिया भर को प्रेरित किया। उन्हें श्रद्धांजलि।
- शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल– पंजाब और पूरी दुनिया ने एक दिग्गज को खो दिया। उनकी अटूट भावना और संकल्प करोड़ों को प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने सिखाया कि कुछ भी असंभव नहीं है।
- कांग्रेस विधायक परगट सिंह– सदी के महान मैराथन धावक सरदार फौजा सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उनका जीवन और उनकी विरासत हमेशा नशा मुक्त पंजाब के लिए प्रेरणा देती रहेगी।
- अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा– आज 114 साल की उम्र में महान एथलीट सरदार फौजा सिंह जी के निधन की खबर सुनकर बेहद दुख हुआ। वह सहनशीलता और प्रेरणा के प्रतीक थे। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करेगा।
- पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा– मशहूर धावक फौजा सिंह जी के निधन पर दिल से अफसोस हुआ। उन्होंने न केवल 114 साल तक दौड़ लगाई, बल्कि पूरी दुनिया में पंजाब का नाम रोशन किया। उनका जज्बा हमेशा याद रहेगा।