Black Fungus Medicine: लखनऊ का बायोटेक पार्क ब्लैक फंगस में कारगर एंम्फोटेरेसिन-बी का उत्पादन बढ़ाएगा

ब्लैक फंगस से निपटने के लिए फंजीसोम एंम्फोटेरेसिन बी को बेहद कारगर माना जा रहा है। खास बात यह है कि जहां फंगस की अन्य दवाओं का किडनी पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता है। वहीं यह दवा अपेक्षाकृत काफी सुरक्षित है। कम लोग जानते होंगे कि ब्लैक फंगस से निपटने में कारगर इंजेक्शन व दवा का निर्माण कुर्सी रोड स्थित बायोटेक पार्क में स्थापित कंपनी लाइफ केयर इनोवेशन द्वारा किया जाता है। कंपनी के एमडी डा.जेएन वर्मा बताते हैं कि 2013-14 से एंटीफंगल दवा का निर्माण सतत रूप से किया जा रहा है। फर्क यह है कि पहले इसकी मांग बेहद सीमित थी लेकिन कोविड महामारी की शुरुआत के साथ ही फंगस के मामले सामने आने लगे। कंपनी ने इस बड़े खतरे की आशंका को भांपते हुए बीते वर्ष मई में ही उत्पादन दोगुना तक बढ़ा दिया था। यही नहीं, मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए नए प्लांट और लगाने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही नए मैन्युफैक्चङ्क्षरग प्लांट की आपूर्ति हो जाएगी, जिससे फंगल इंफेक्शन की दवा के उत्पादन को गति मिल जाएगी।

डा. वर्मा ने बताया कि देश में उनकी कंपनी के साथ-साथ करीब पांच छह कंपनियां एंटी फंगल दवाओं का निर्माण करती हैं। महामारी को देखते हुए सरकार द्वारा लगभग इतनी ही नई कंपनियों को और लाइसेंस दिए गए हैं। इसके अलावा आयात को भी हरी झंडी दी गई है। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में देश में दवा की उपलब्धता मुश्किल नहीं रहेगी।

बताते हैं कि सामान्य तौर पर फंगल इन्फेक्शन बहुत कम होते हैं। खासतौर पर म्यूकरमाइकोसिस, जिसे ब्लैक फंगस कहा जाता है के मामले गिने-चुने ही आते थे। यही वजह है कि इनकी दवाओं का उत्पादन भी मांग के अनुरूप ही किया जाता था। उन्होंने बताया, लाइपोसोमल एम्फोटेरेसिन बी को कंपनी खास टेक्नोलॉजी से बनाती है, जिसके चलते यह कम खुराक में भी बेहद कारगर है। वहीं किडनी के लिए सुरक्षित मानी जाती है। यही वजह है कि फंगस के उपचार में इसकी जबरदस्त मांग है।

डा. वर्मा ने बताया कि कंपनी फंजीसोम जेल भी बनाती है। इसे एम्फोटेरेसिन बी को सेलाइन में मिलाकर बनाया जाता है। इसे प्रभावित एरिया में अथवा सर्जरी के बाद घाव में सीधे प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि सरकार अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों को दवा उपलब्ध करवाने के लिए कंपनी को सहयोग कर रही है। डॉक्टर वर्मा बताते हैं कि वह मूल रूप से अयोध्या के रहने वाले हैं और उन्हें इस बात की तसल्ली है कि कोविड महामारी के इस बेहद मुश्किल दौर में वह देशवासियों के लिए महत्वपूर्ण दवा का निर्माण कर रहे हैं। बायोटेक पार्क के पूर्व सीईओ डॉ.पीके सेठ कहते हैं कि यह कंपनी उनके कार्यकाल में स्थापित हुई थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बायोटेक फार्मा के लिए बहुत संभावनाएं हैं। इस पर गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है, जिससे प्रदेश में फार्मा उद्योग तेजी से आगे बढ़ सकता है।