पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा महिलाओं के कपड़ों और दुष्कर्म पर दी गई टिप्पणी से इन दिनों देश का सियासी पारा काफी चढ़ा हुआ है। कई राजनीतिक पार्टियों समेत महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है। अब पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन और मानवाधिकार आयोग भी इस बयान के खिलाफ खुलकर इमरान खान के खिलाफ आ खड़े हुए हैं। इन संगठनों की मांग है कि इमरान खान अपन बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
आपको बता दें कि उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि महिलाओं को सभ्य कपड़े पहनने चाहिए। महिलाओं के कम या छोटे कपड़े पहनने से केवल रोबोट को ही फर्क नहीं पड़ेगा, इंसान जरूर मचल जाएगा। सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन ने एक प्रेस वार्ता में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की इस बयान के लिए कड़ी निंदा की गई।
इस प्रेस कांफ्रेंस में मानवाधिकार आयोग, वूमेन एक्शन फोरम, तहरीक ए निसवान, औरत मार्च और पाकिस्तान लेबर एजूकेशन एंड रिसर्च के साथ कई दूसरे संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। प्रेस कांफ्रेंस के बाद पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इमरान खान ने इस तरह का बेहुदा बयान पहली बार नहीं दिया है। इससे पहले भी वो इस तरह की हरकत कर चुके हैं। इसमें कहा गया है कि ये बयान उनकी घटिया मानसिकता को दिखाता है।
बयान में ये भी कहा गया है कि ये बेहद अफसोस की बात है कि इमरान की पार्टी में महिलाएं भी हैं और वो नेशनल असेंबली की सदस्य भी हैं। उसके बावजूद इस तरह का बयान किसी भी सूरत से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ये दिल तोड़ने वाला बयान है।
बयान में कहा गया है कि देश के प्रमुख का ये बयान उन महिलाओं के लिए भी बेहद दुखदायी है जो दुष्कर्म की शिकार हो चुकी हैं। इनमें हर उम्र की महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इस तरह की शर्मनाक घटनाएं न केवल हमारे ऑफिसों में बल्कि, सड़कों पर, स्कूलों में और सार्वजनिक स्थलों तक में हेा रही हैं। बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री दुष्कर्म की परिभाषा को भी बेहतर तरीके से समझते हैं। वो ये भी जानते हैं कि इसका मचलने या खुद का काबू न रखपाने से कोई संबंध नहीं है।