फिर केंद्रीय कैबिनेट का हिस्‍सा बन सकते हैं सर्बानंद सोनोवाल, जानें- उनके बारे में सब कुछ

केंद्रीय केबिनेट में बुधवार को सर्बानंद सोनोवाल का नाम जुड़ जाएगा। जिस वक्‍त असम की कमान हेमंत बिस्‍व सरमा को सौंपी गई थी तब से ही इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि इसके बाद सर्बानंद को केंद्र बड़ी जिम्‍मेदारी दे सकता है। ये पहला मौका नहीं है जब वो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो रहे हैं। इससे पहले वो पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में खेल एवं युवा मामलों के राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) के तौर पर काम कर चुके हैं। उनका ये कार्यकाल 26 मई 2014 से 23 मई 2016 तक रहा था।

असम के डिब्रुगढ़ में 1962 में जन्‍मे सर्बानंद इससे पहले वहां के मुख्‍यमंत्री भी रह चुके हैं। वर्ष 2014 में वो असम की लखीमपुर सीट से भाजपा के टिकट पर जीते थे। इसके बाद जब वर्ष 2016 में असम में विधान सभा चुनाव हुआ था तो उन्‍हें वहां के सीएम पद की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी।

सर्बानंद का राजनीतिक जीवन यूनिवर्सिटी छात्र के तौर पर शुरू हुआ था। वे असम गण परिषद की स्टूडेंट विंग ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और पूर्वोत्तर के राज्यों में असर रखने वाले नॉर्थ ईस्ट स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। यही वजह है कि राजनीति में उनकी अच्‍छी पकड़ है। भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामने से पहले सर्बानंद असम गण परिषद से जुड़े हुए थे। असम गण परिषद के सदस्‍य के तौर पर वो पहली बार वर्ष 2001 में विधानसभा के सदस्‍य भी बने थे।

इसके बाद वर्ष 2004 में वो इसी पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी जीते थे। उन्‍हें असम के जातीय नायक के सम्‍मान से भी नवाजा जा चुका है। वर्ष 2011 में उन्‍होंने भाजपा का हाथ थामा था। इसके बाद उन्‍हें पार्टी की कार्यकारिणी का सदस्‍य बनाया गया। सर्बानंद असम में पार्टी के प्रवक्‍ता का पद भी संभाल चुके हैं। वर्ष 2012 और 2014 में सर्बानंद असम में भाजपा के अध्‍यक्ष भी रह चुके हैं।

राज्‍य में वर्ष 2016 के चुनाव की जिम्‍मेदारी भाजपा ने सर्बानंद के ही कंघो पर ही डाली थी। भाजपा ने उनकी काबलियत पर भरोसा करते हुए ही उन्‍हें राज्य चुनाव प्रबंधन कमेटी का अध्यक्ष भी बनाया था। उन्‍होंने इस जिम्‍मेदारी का निर्वाहन पूरी जिम्‍मेदारी के साथ किया था। इस चुनाव में भाजपा को 126 विधानसभा सीटों में से 86 पर जबरदस्‍त जीत हासिल हुई थी। इस जीत के साथ ही भाजपा ने यहां पर इतिहास रच दिया था। भाजपा को इस चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल हुआ था और इसके बाद राज्‍य की कमान सर्बानंद को सौंपी गई थी। सर्बानंद राज्‍य में अवैध रूप से रह रहे बांग्‍लादेशियों के प्रति सख्‍त रुख रखते हैं।