मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 23 अगस्त को कनाट प्लेस में राष्ट्रीय राजधानी के पहले स्माग टावर का उद्घाटन कर सकते हैं। इस टावर का लगभग निर्माण पूरा हो चुका है और उद्घाटन 15 अगस्त के बजाय 23 अगस्त को होगा। लगभग एक किमी के दायरे में हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 20 मीटर से अधिक लंबा ढांचा पहले 15 जून तक लांच होने वाला था। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि कोविड -19 महामारी ने स्माग टावर के निर्माण कार्य में देरी की। दिल्ली कैबिनेट ने पिछले साल अक्टूबर में पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। गोपाल राय के अनुसार यह स्माग टावर प्रति सेकंड 1,000 क्यूबिक मीटर हवा को शुद्ध करने में सक्षम होगा। पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह टावर चालू होने के बाद उसकी प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए दो साल का पायलट अध्ययन किया जाएगा।
वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अधिकारियों ने कहा कि आनंद विहार में केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया एक और 25 मीटर लंबा स्माग टावर 31 अगस्त तक चालू होने की उम्मीद है। टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (टीपीएल) आइआइटी-बाम्बे के तकनीकी समर्थन से दो स्माग टावरों का निर्माण कर रहा है, जो आइआइटी-दिल्ली के सहयोग से उनके प्रदर्शन को मान्य करेगा।
एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड को परियोजना प्रबंधन सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।सीपीसीबी आनंद विहार में बन रहे टावर के लिए नोडल एजेंसी है, जबकि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति कनाट प्लेस में बनाए गए टावर की नोडल एजेंसी है। दो टावरों में संयुक्त राज्य अमेरिका में मिनेसोटा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा विकसित 1,200 एयर फिल्टर होंगे- जिसने चीन के जियान में 100 मीटर ऊंचे स्माग टावर को डिजाइन करने में भी मदद की। प्रत्येक 22 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे स्माग टावरों से उनके आसपास के एक किलोमीटर के दायरे में पीएम 2.5 की सांद्रता को 70 फीसद तक कम करने का अनुमान है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में केंद्र सरकार को आनंद विहार में प्रदूषण कम करने के लिए एक स्माग टावर बनाने और दिल्ली सरकार को तीन महीने में कनाट प्लेस में इस तरह की एक और टावर स्थापित करने का निर्देश दिया था। अगस्त में शीर्ष अदालत ने इन टावरों के निर्माण को पूरा करने में समय सीमा से चूकने पर केंद्र और राज्य सरकार को फटकार भी लगाई थी।