देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी कांग्रेस का कुनबा राजधानी में ही सिमटता जा रहा है। 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस सत्ता से बाहर होते ही कमजोर होती चली गई। एक-एक करके पुराने नेता पार्टी को अलविदा कह रहे हैं। दो साल से भी कम समय में विधायक, पार्षद और जिलाध्यक्ष रहे 40 से अधिक नेता हाथ का साथ छोड़ चुके हैं। दिल्ली नगर निगम चुनाव तक पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे नेताओं की फेहरिस्त भी खासी लंबी है।
जयप्रकाश अग्रवाल, अरविंदर सिंह लवली, अजय माकन, शीला दीक्षित और सुभाष चोपड़ा के अध्यक्षीय कार्यकाल में प्रदेश कांग्रेस जैसे-तैसे घिसटती रही, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी के नेतृत्व में नेताओं के पार्टी छोड़ने की रफ्तार काफी तेज हो गई है। पार्टी का जनाधार तो खत्म हो ही रहा है। शीर्ष नेतृत्व भी शायद प्रदेश इकाई को लेकर बहुत गंभीर नहीं है। शायद इसीलिए करीब डेढ़ साल पहले पूर्व सांसद महाबल मिश्र को पार्टी निलंबित करके ही भूल गई। दो जिलाध्यक्ष मदन खोरवाल और ए आर जोशी प्रभारी के समक्ष काम नहीं करने की इच्छा जता चुके हैं, एक जिलाध्यक्ष प्रदीप शर्मा ने हाल ही में इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले ली है। पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर कोई नेता खामी बताना चाहे तो उसे नकारात्मक मानसिकता वाला बता दिया जाता है। बहुत से नेताओं ने प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और शीर्ष नेतृत्व तक भी पार्टी की मौजूदा स्थिति और इसमें सुधार के लिए अपनी बात पहुंचाई है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
पार्टी छोड़ने वाले प्रमुख नेता
पूर्व विधायक : प्रहलाद सिंह साहनी, शोएब इकबाल, रामसिंह नेताजी, अंजलि राय
पार्षद : सुरेंद्र सेतिया, गुड्डी देवी, सुल्ताना आबाद, आले मोहम्मद इकबाल, अर्पिया चंदेला, गीतिका लूथरा, उषा शर्मा, तर्वन कुमार, नीतू चौधरी
पूर्व पार्षद
आनंद सिंह, कविता मल्होत्र, सुभाष मल्होत्र, अंजना पारचा, पंकज लूथरा, हेमचंद गोयल, अशोक भारद्वाज, इंदु वर्मा, राकेश जोशी, ममता जोशी, पृथ्वी सिंह राठौर, प्रवेश चौधरी, रेखा चौधरी, प्रदीप शर्मा, राजकुमारी ढिल्लो, हर्ष शर्मा, शशि बाला सिंह, ज्योति अग्रवाल, नैना प्रेमवानी, भूमि रछोया, खुर्रम इकबाल, मीनाक्षी चंदेला, सुनीता सुभाष यादव, विमला देवी, माया देवी, रवि कल्सी, मंजू सेतिया।
यह भी जानें
- दो साल से भी कम समय में दिल्ली में विधायक, पार्षद और जिला अध्यक्ष रहे 40 से अधिक नेताओं ने छोड़ी कांग्रेस
- 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस सत्ता से बाहर होते ही कमजोर होती चली गई
कहीं नहीं जा रहे समर्पित कार्यकर्ता : शक्ति सिंह गोहिल
शक्ति सिंह गोहिल (सांसद एवं दिल्ली कांग्रेस प्रभारी) का कहना है कि जो भी नेता समर्पित कांग्रेसी हैं, वे सभी आज भी पार्टी के साथ हैं। जो पार्टी छोड़ रहे हैं, वे पद या सत्ता के लालच में ऐसा कर रहे हैं। ऐसे बहुत से नेता दूसरी पार्टी में सम्मान न मिलने पर कुछ वक्त बाद फिर से कांग्रेस में लौट भी आए हैं।