अपने इतिहास की सबसे कठिन राजनीतिक चुनौतियों से दो-चार कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक शुरू हो गई है। इसमें पार्टी अध्यक्ष समेत संगठन चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया जा सकता है। इस बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मौजूद हैं। बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव और लखीमपुर खीरी कांड एजेंडे में शीर्ष पर रहेंगे। इसके साथ ही राजनीतिक और कृषि समेत तीन प्रस्ताव भी पारित किए जाएंगे।
कोरोना महामारी के बाद से यह कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की पहली बैठक है। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब कांग्रेस की राज्य इकाइयों जैसे पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी के भीतर घमासान मचा हुआ है। बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिंदबरम, कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (राजस्थान), भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़) और चरणजीत चन्नी (पंजाब) समेत कुल 52 कांग्रेस नेता हिस्सा ले रहे हैं। दिग्विजय सिंह और डा. मनमोहन सिंह समेत पांच नेता बैठक में शामिल नहीं हुए हैं।
एआइसीसी मुख्यालय में हो रही बैठक में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा भी मौजूद है। यह बैठक पार्टी के असंतुष्ट खेमे जी 23 समूह के नेताओं की मांग पर बुलाई गई है, मगर जी-23 खेमा कार्यसमिति के केवल मुख्य सदस्यों के बजाय आमंत्रित सदस्यों और राज्यों के प्रभारियों को भी इसमें बुलाए जाने से नाखुश बताया जा रहा है। मई 2019 में पार्टी की लोकसभा में हार के मद्देनजर राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद सोनिया गांधी ने अगस्त 2019 में अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था।
जी 23 समूह ने पूर्णकालिक और सक्रिय पार्टी अध्यक्ष के साथ-साथ एक संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी। गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, भूपिंदर हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और मुकुल वासनिक सहित जी 23 नेताओं के एक समूह ने सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर पिछले साल अगस्त में पार्टी में तूफान खड़ा कर दिया था।
राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को को पत्र लिखकर जल्द ही सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने को कहा था। पार्टी ने 22 जनवरी को आयोजित सीडब्ल्यूसी की बैठक में फैसला किया था कि जून 2021 तक कांग्रेस का नियमित अध्यक्ष चुन लेगी, लेकिन 10 मई को होने वाली सीडब्ल्यूसी की बैठक में कोरोना महामारी की वजह से टाल दिया गया था। माना जा रहा है कि बैठक में मूल्य वृद्धि, किसानों के विरोध प्रदर्शन और देश की आर्थिक स्थिति जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।