Air Pollution & Covid-19: क्या कोरोना महामारी के दौरान प्रदूषण बढ़ा सकता है मौत का ख़तरा?

 कोरोना वायरस के प्रकोप ने दुनिया भर में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता पैदा कर दी है। हालांकि, दुनिया भर के अधिकांश क्षेत्र कोविड-19 संक्रमण से प्रभावित हुए हैं; लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जो दूसरों की तुलना में संक्रमण और मृत्यु दर के मामले में अधिक बुरी तरह प्रभावित हैं। ऐसा क्यों है इसकी वजह अभी तक साफ नहीं है। भारत की बात करें तो कोरोना की दूसरी लहर ने देश के ज़्यादातर हिस्सों में कोहराम मचा दिया था। अप्रैल और मई के महीने किसी बुरे सपने की तरह गुज़रे। कोरोना के मामले कुछ कम तो हुए हैं, लेकिन अब फ्लू, डेंगू और वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों ने लोगों की नींदे उठाई हुई हैं।

ख़ासतौर पर दिल्ली और एनसीआर जैसे बड़े शहरों में बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कोरोना के इस दौर में यह ख़तरा डबल हो गया है। प्रदूषण फेफड़ों को प्रभावित करता है और कोविड-19 वायरस भी। ऐसे में आइए जानें कि बढ़ता प्रदूषण कोविड महामारी को कैसे प्रभावित कर सकता है।

वायु प्रदूषण के संपर्क को दुनिया भर में कई बीमारियों और समय से पहले मौत का प्रमुख कारण माना जाता है।

हालिया साक्ष्यों के आधार पर COVID-19 संक्रमण और मृत्यु दर पर वायु प्रदूषण के संभावित प्रभावों पर चर्चा की गई। अधिकांश अध्ययनों में पाया गया कि वायु प्रदूषण विशेष रूप से PM2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) के अल्पकालिक और दीर्घकालिक जोखिम दोनों ही कोविड-19 संक्रमणों और मृत्यु की उच्च दर का कारण बन सकता है।

भारत में पिछले साल प्रदूषण और कोविड को लेकर रिसर्च की गई थी। अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली, मुंबई और पुणे उन हॉटस्पॉट्स में से हैं, जहां परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों से उच्च वायु प्रदूषण, कोविड-19 मामलों और मौतों की अधिक संख्या से संबंधित है। स्टडी में बताया गया है कि अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोग कोरोनोवायरस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

रिसर्च में शामिल भुवनेश्वर के उत्कल विश्वविद्यालय के डॉ. सरोज कुमार साहू ने बताया कि हमारे निष्कर्ष ज़िला स्तर के वायु प्रदूषण डेटा और कोविड-19 मामलों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध का सुझाव देते हैं। हमने पाया कि परिवहन और औद्योगिक गतिविधियों के लिए भारी मात्रा में जीवाश्म ईंधन जैसे पेट्रोल, डीज़ल और कोयले का उपयोग करने वाले क्षेत्रों में कोविड-19 मामलों की अधिक संख्या का अनुभव होता है।

अध्ययन से संकेत मिले हैं कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों में COVID-19 मामलों की अधिक संख्या पाई जाती है, जहां खासकर शहरों में जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग के कारण PM2.5 से संपर्क लंबे समय तक होता है और अधिक भी है।

“ख़राब वायु गुणवत्ता” के मामले में अध्ययन में शामिल 16 शहरों में से दिल्ली और अहमदाबाद पहले और दूसरे स्थान पर रहे, जबकि मुंबई और पुणे तीसरे और चौथे नम्बर पर थे। डॉ. साहू ने बताया कि हमारे विश्लेषण से, यह साफ हो गया है कि बढ़ता प्रदूषण कोविड-19 मामलों को बढ़ाने का भी काम कर रहा है।