बैंकों में बचत की आदत में कमी, दो प्रतिशत ही सेविंग बढ़ी, लोन की डिमांड बढ़ी, जानें वजह

हरियाणा के पानीपत में बचत की आदत में कमी दर्ज की गई है। मत्र दो प्रतिशत बचत ही इस बार बैंकों में बढ़ी है। घटता ब्याज अथवा वित्त की किल्लत इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है। दो वर्षों तक कोविड की मार झेल रहे लोगों की बचत घट गई है। ऋण की मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ऋण में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

सितंबर 2020 तक 133.68 करोड़ रुपये बैंकों को बचत खातों में जमा हुआ था जबकि इस वर्ष सितंबर के अंत तक 135 करोड़ 79 लाख रुपये का डिपाजिट बैंकों में हुआ। इस पीरियड में सितंबर 20 तक 134.25 करोड़ का ऋण वितरित किया गया था। सितंबर 21 तक 159.30 करोड़ का ऋण लिया गया है। अर्थात पिछले वर्ष का आंकड़े के अनुसार डिपाजिट और लोन में अंतर ज्यादा नहीं था जो इस वर्ष 17 फीसद से अधिक हो गया है।

पानीपत में 36 बैंकों की 265 शाखाएं है। इन बैंकों से मिले आंकड़े के मुताबिक यह जानकारी मिली है। हालांकि वित्त विशेषज्ञ इसे ग्रोथ का परिणाम मान रहे हैं। एलडीएम कमल गिरधर का कहना है कि जहां ऋण की मांग अधिक रहती है वहां रोजगार की संभावनाएं अधिक होती है। उत्पादन अधिक होता है। बचत अधिक होने का कारण ग्रोथ में ठहराव होता है। उत्पादन कम होने पर ही बचत अधिक होती है।

एक अन्य कारण यह भी है कि फिक्स डिपाजिट और सेविंग के ब्याज रेट काफी कम हो चुके हैं। निवेशक अन्य मार्केटों खासकर शेयर मार्केट, मयूच्अल फंड आदि में निवेश कर रहे हैं। पारस राम होल्डिंग शेयर ब्रोकर के अजय गुप्ता का कहना है कि डी-मेट खाते लगातार खुल रहे हैं। शेयर मार्केट के प्रति आम लोगों का रुझान पहले से बढ़ा है। यही कारण है। डिपाजिट में कम रुचि हो रही है।