हरियाणा की राजनीति के एक और ट्रेजडी किंग, अब कुलदीप बिश्‍नोई के अगले कदम पर टिकी नजर

हरियाणा कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद से चूकने के बाद कुलदीप बिश्‍नोई का शुक्रवार को दर्द सामने आया। उन्‍होंने ट्वीट कर अपनी पीड़ा सामने रखी। इसके बाद अब कुलदीप के अगले सियासी कदम पर नजरें टिक गई हैं। दरअसल, बीरेंद्र सिंह के बाद अब कुलदीप बिश्‍नाेई को हरियाणा की राजनीति का ट्रेजडी किंग बताया जाने लगा है। सीएम पद न हासिल कर पाने का दर्द बीरेंद्र सिंह अक्‍सर बयां करते रहे हैं।

दरअसल, हरियाणा कांग्रेस में हुए बदलाव के बाद आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई के अगले कदम पर सबकी निगाह टिक गई हैं। भिवानी और हिसार से सांसद रह चुके कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य कुलदीप बिश्नोई के लिए अब भाजपा व आम आदमी पार्टी का भी विकल्‍प है।

 राहुल गांधी से मुलाकात के बाद तय करेंगे कुलदीप बिश्नोई अपना अगला कदम

कुलदीप हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे और पिछले काफी दिनों से दिल्ली में लाबिंग कर रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुलदीप बिश्नोई की लाबिंग को ध्वस्त कर दिया। अब उनके पास कांग्रेस में बने रहकर हुड्डा के साथ काम करते रहने अथवा भाजपा या आम आदमी पार्टी में चले जाने के विकल्प बचे हैं। इन विकल्पों का चयन करने से पहले कुलदीप की अगले एक-दो दिन में राहुल गांधी से मुलाकात संभव है।

थोड़ा डुबूंगा मगर मैं फिर तैर आऊंगा, ऐ जिंदगी तू देख, मैं फिर जीत जाऊंगा….कुलदीप ने शुक्रवार को यह ट्वीट कर अपने समर्थकों को खास संदेश देने की कोशिश की है। कुलदीप बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं। न केवल हरियाणा बल्कि राजस्थान और दिल्ली में भजनलाल का काफी बड़ा जनाधार रहा है। अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए कुलदीप बिश्नोई ने भी खुद को राज्य में गैर जाट नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है।

कांग्रेस ने 2004 का विधानसभा चुनाव भजनलाल के नेतृत्व में लड़ा था, लेकिन चुनाव के बाद हाईकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया था। इसके बाद भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस से अलग हो गए थे। दोनों ने मिलकर हरियाणा जनहित कांग्रेस के नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी। हजकां के पांच विधायक चुनकर आए, लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में हुड्डा ने इन विधायकों को भी तोड़ लिया था।

कई बार ऐसे प्रयास हुए, जब कुलदीप के भाजपा में जाने की चर्चाएं चलीं, लेकिन उन्‍होंने हजकां का विलय कांग्रेस में करते हुए घर वापसी कर ली थी। इस कार्य में राहुल गांधी और कुलदीप बिश्नोई के कामन मित्रों ने अहम भूमिका निभाई थी। अब कुलदीप को उम्मीद थी कि राहुल गांधी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद के रूप में ईनाम दे सकते हैं, लेकिन बाजी हुड्डा गुट मार ले गया है।

ऐसे में न केवल कुलदीप बल्कि उनके समर्थकों में भी गुस्सा बना हुआ है। अब कुलदीप के सामने कांग्रेस में रहते हुए हुड्डा के साथ काम करते रहे, आम आदमी पार्टी में चले जाने अथवा भाजपा का दामन थाम लेने के विकल्प बचे हैं। इनमें से किसी भी विकल्प पर फैसला लेने से पहले कुलदीप चाहते हैं कि वह राहुल गांधी से मुलाकात करें।

राहुल गांधी विदेश हैं, जिनके शनिवार को वापस लौटने की उम्मीद है। कुलदीप की उनसे अगले एक-दो दिन में मुलाकात संभव है। राहुल गांधी यदि कुलदीप को संतुष्ट कर कांग्रेस में बने रहने के लिए राजी कर लेते हैं तो ठीक है वरना उन्हें अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है।

कुलदीप व बीरेंद्र सिंह की एक ही ट्रेजड़ी रही है कि वह सत्ता के बेहद करीब होते-होते उससे अक्सर दूर चले जाते हैं। कुलदीप अपने माथे पर ऐसा टैग लगाने के हक में बिल्कुल भी नहीं हैं। ऐसे में यदि राहुल गांधी ने अपने भरोसे के मुताबिक कुलदीप के सवालों का जवाब नहीं दिया तो वह समर्थकों की विशेष मीटिंग बुलाकर अगला कोई निर्णय लेंगे। तब तक कुलदीप ने यमुनानगर में होने वाले अपने राज्य स्तरीय कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है।

समर्थकों से बोले- आपकी तरह गुस्सा मुझे भी बहुत है…

” साथियों, आप सबके संदेश इंटरनेट मीडिया पर पढ़ रहा हूं। आपका प्यार देखकर मैं अत्यंत भावुक हूं। आपकी तरह गुस्सा मुझे भी बहुत है। लेकिन मेरी सब से प्रार्थना है कि जब तक मैं राहुल गांधी जी से जवाब न मांग लूं, हमें कोई कदम नहीं उठाना है। अगर मेरे प्रति आपके मन में स्नेह है तो संयम रखें। मेरी अगले एक दो दिन में राहुल जी से मुलाकात होनी है।