दिल्ली में छह मई तक डीएमएस के बूथों से नहीं बांटा जाएगा दूध, संसद भवन कैंटीन व एम्स में भी संकट

 आज से राजधानी में दिल्ली दुग्ध योजना (डीएमएस) के 490 से अधिक बूथों से दूध नहीं मिलेगा। दूध के लिए दुग्ध उत्पादक समितियों और पोषक तत्वों के लिए निजी कंपनियों से करार में देरी के चलते यह असाधारण स्थिति उत्पन्न हुई है। जानकारों के मुताबिक इस संस्था पर पहले भी कई बार संकट आए, लेकिन 63 वर्ष में कभी यह स्थिति नहीं आई जब दूध की एक बूंद तक की बिक्री न हुई हो। वर्तमान में डीएमएस की ओर से दिल्ली-एनसीआर में रोजाना 1.60 लाख लीटर दूध की बिक्री की जाती है।

इसके ग्राहकों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) व संसद भवन कैंटीन तक शामिल हैं। डीएमएस के महाप्रबंधक चिन्मोयजीत सेन की ओर से 30 अप्रैल को जारी सकुर्लर के मुताबिक दो मई से छह मई तक डीएमएस की ओर से दूध की बिक्री नहीं की जाएगी। पत्र में उल्लेख किया गया है कि दूध, कच्चा माल एसएमपी और सफेद मक्खन की किल्लत है। इसके चलते यह स्थिति पैदा हुई है।

उधर, जानकारों के मुताबिक दूध वितरण संकट पिछले कुछ दिनों से है। रविवार को भी अधिकतर बूथों पर दूध नहीं पहुंचा। जहां पहुंचा वहां इसकी मात्र काफी कम थी। शाम को भी यही स्थिति रही। ऐसे में निकट भविष्य में भी जल्द दूध वितरण शुरू होने पर संदेह हैं।

एक हजार से अधिक कर्मचारी और बूथ संचालक चिंतित: वहीं, एक हजार से अधिक कर्मचारी और बूथ संचालक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इसका संचालन कृषि मंत्रलय अंतर्गत कृषि एवं कृषि कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है। यह देश की सबसे पुरानी दूध उत्पादन व वितरण की व्यवस्था में से एक है, जिसे दिल्ली वालों के लिए वर्ष 1959 में प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ओर से शुरू किया गया था। पटेल नगर में 25 एकड़ की जमीन पर स्थित इसके प्लांट की क्षमता प्रतिदिन पांच लाख लीटर दूध की है। इसी तरह इसके पांच दूध इकट्ठा करने और ठंडा करने के केंद्र हैं।

कभी इसके दिल्ली में 550 से अधिक बूथ हुआ करते थे और रोजाना तीन लाख लीटर से अधिक दूध की बिक्री होती थी। स्थिति यह कि अब इसके नियमित तौर से बूथ घटने के साथ दूध बिक्री में गिरावट आ रही है। तकरीबन 900 करोड़ रुपये की घाटे वाली डीएमएस को वर्ष 2018 को लीज पर भी देने की कोशिश हुई।