साल 2020 लंबे समय तक धार्मिक आक्रमण की शिकार रही भगवान राम की जन्मस्थली में बहुप्रतीक्षित जीर्णोद्धार के प्रारंभ का साक्षी बना। करोड़ों रामभक्तों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अथक प्रयास से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम मन्दिर का शिलान्यास 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा किया गया। वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस पूरे साल हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को व्यापक और समग्र संदर्भो के साथ रखने का प्रयास किया। दूसरी तरफ भाजपा में हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में भाजपा ने एतिहासिक जीत दर्ज की। इस दौरान योगी के तेवरों और उनके भाषणों का नया अंदाज देखने को मिला।
मोहन भागवत, हिंदुत्व के कुशल संवाहक
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदुत्व और हिंदू जीवनशैली के बारे में जो सहज स्वीकार्य परिभाषा दी थी, उनके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छठे सरसंघचालक मोहन भागवत उसे अधिक परिमाजिर्त, समग्र और ग्राह्य रूप में प्रस्तुत करते आए हैं। दोनों के कालखंड अलग हैं, परंतु साम्य आश्चर्यजनक। दोनों केवल अपना प्रथम नाम ही साझा नहीं करते हैं, बल्कि व्यक्तित्व के रूप में दोनों ही मन, वचन, कर्म से समावेशी हिंदुत्व तथा वंचित-दरिद्र नारायण की सेवा को समर्पित-समर्थक हैं। हिंदुत्व के सार्थक दृष्टिकोण के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यो और विचारधारा को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अत्यंत कुशलतापूर्वक तथा उचित परिप्रेक्ष्य में रखने वाले मोहन भागवत ने इस पूरे साल संघ की मूलभूत अवधारणा यानी हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को व्यापक और समग्र संदर्भो के साथ रखने का प्रयास किया। यह सर्वमान्य तथ्य है कि उनकी सक्रियता, तर्क और सिद्धांत भारत के हिंदू राष्ट्र की स्वीकार्यता का दायरा बढ़ाते हैं।
प्राचीन भारतीय संस्कृति की स्पष्ट समझ और अत्याधुनिक तकनीक के साथ तालमेल के कारण मोहन भागवत युवाओं के साथ संवाद कायम करने में भी सहज हैं। उनका सांगठनिक अनुभव तथा संवादकुशलता नई पीढ़ी के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विस्तार मात्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे सोच है एक सामूहिक राष्ट्रीय चरित्र को विकसित करने की, राष्ट्र निर्माण की। कोरोना काल में तो वे सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक सक्रिय रहे। उन्होंने इंटरनेट मीडिया की मदद से लगातार स्वयंसेवकों के साथ संवाद कायम किया। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को खाना पहुंचाने व अन्य मदद मुहैया कराने से लेकर ऑनलाइन शाखाएं लगाने में भी वे स्वयंसेवकों को जरूरी दिशानिर्देश देते रहे। वे विवादित मुद्दों पर भी बात करने से कतराते नहीं हैं और विरोधियों के साथ भी संवाद कायम करने की कोशिश करते हैं। संवाद कायम करने की उनकी यह कला भाजपा समेत तमाम अनुषांगिक संगठनों के बीच तालमेल बिठाने में साफ देखी जा सकती है।
श्रीराम जन्मभूमि, भारतीयता के भविष्य का भूमिपूजन
सनातन भारतीय अस्मिता के प्रतीक राम मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रश्न पीढ़ी दर पीढ़ी राष्ट्रीय चेतना को आंदोलित करता रहा है। जनमानस में स्थापित राष्ट्रीय अस्मिता की यह दृढ़ परिकल्पना सदियों तक चले संघर्ष के सुपरिणाम के रूप में अब भौतिक स्वरूप ले रही है और राम मंदिर के रूप में राष्ट्र मंदिर की परिकल्पना साकार हो रही है। वर्ष 2020 पांच सौ वर्ष से अधिक समय तक धार्मिक आक्रमण की शिकार रही भगवान राम की जन्मस्थली में बहुप्रतीक्षित जीर्णोद्धार के प्रारंभ का साक्षी बना। इसके लिए संकल्पबद्ध हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब श्रीरामचरितमानस की चौपाई ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां बिश्रम’ पढ़ी तो देश की धमनियों में रक्त की ऊष्मा बढ़ गई।
रामलला के सामने जब प्रधानमंत्री साष्टांग लेटे तो उनकी वह छवि देश के हृदय में समा गई। पांच अगस्त, 2020 बुधवार दोपहर 2.44 मिनट के अभिजित मुहूर्त में राम मंदिर का भूमि पूजन कर प्रधानमंत्री मोदी ने समर्थ भविष्य की नींव रख दी। भौतिक दृष्टि से देखें तो राम मंदिर अयोध्या और उत्तर प्रदेश को पर्यटन के राष्ट्रीय मानचित्र में नई आभा देने जा रहा है। अनुमान है कि तीन वर्ष में नव्य अयोध्या ऐसी तीर्थस्थली के रूप में विकसित हो चुकी होगी जहां तिरुपति और वैष्णों देवी की भांति श्रद्धालुओं का समुद्र उमड़ेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या को ऐसी नगरी बनाने जा रहे हैं जो आधुनिकता व प्राचीनता का संगम होगी। राज्य सरकार अयोध्या को उत्तर प्रदेश का पर्यटन केंद्र बनाने में प्रयासरत है। अयोध्या से चित्रकूट तक नया राजमार्ग बनने जा रहा है। कोशिश है कि इसमें राम वनगमन के अधिसंख्य मार्ग समेट लिए जाएं। अवध में राम लला भी हैं और राजा भी। मंदिर में उनके दोनों ही रूप प्रत्यक्ष होंगे और यही पर्यटकों के लिए बहुत बड़ा आकर्षण होगा!
योगी आदित्यनाथ तीखे तेवर, सीधी बात
कल्पना करें एक ऐसे दृश्य की जिसमें एक बड़ी मेज के चारों तरफ प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी और प्रमुख मंत्री बैठे हैं और सवाल कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। यह है टीम-11 जिसकी बैठक रोज मुख्यमंत्री आवास में होती है। बैठक का विषय होता है कोरोना। जहां मुख्यमंत्री केवल यही नहीं पूछ रहे कि अस्पतालों में इलाज कैसा चल रहा है? वे यह भी पूछ लेते हैं कि अमुक शहर के अमुक मोहल्ले में बिना मतलब बैरीकेडिंग क्यों कर दी गई? वह यह भी पूछ लेते हैं कि आगरा एक्सप्रेस-वे से आ रहे प्रवासियों के लिए अमुक राहत केंद्र में सब्जी कौन सी बना रहे हो यानी पूड़ी के साथ कद्दू देते हो या नहीं? इतनी सूक्ष्म प्रश्नोत्तरी का ही परिणाम है कि सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश कोरोना प्रबंधन में आगे की कतार में दिख रहा है। देश में कोरोना पॉजिटिव होने की दर जब 3.16 प्रतिशत है तो उत्तर प्रदेश में यह महज 1.13 है। योगी के दखल के बाद जिलों में डीएम और सीएमओ रोज दो बैठकें करने लगे। सरकारी अस्पतालों के विभिन्न विभागों में समन्वय की कमी होती है। तब योगी ने इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर एंड कंट्रोल रूम बनवाए।
इसी बीच बिहार विधानसभा और हैदराबाद नगर निगम के चुनाव आ गए। जिस तरह से इन दोनों स्थानों पर योगी के दौरे लगवाए गए, वह उनके बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है। हैदराबाद भाजपा के हालिया गुलदस्ते का सबसे खूबसूरत फूल है और इसका श्रेय भाजपा के चुनाव प्रबंधन के साथ योगी के तेवरों और उनके भाषणों की दो टूक शैली को जाता है। उनकी अपनी एक लाइन है जिस पर वे दृढ़ता से टिके रहते हैं। यह साफगोई उनके लिए कई प्रशंसक बना रही है।