Ban on Wheat Export: गेहूं के निर्यात पर लगी रोक, खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और पड़ोसी मुल्कों की आवश्यकता के चलते लिया गया फैसला

Ban on Wheat Export। केंद्र सरकार ने देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी देशों के समर्थन की आवश्यकता को देखते हुए गेहूं के निर्यात को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। सरकार ने गेहूं के निर्यात को “निषिद्ध” श्रेणी में रखा है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के अनुसार कोरोना काल की व्यवस्था के रूप में गेहूं के निर्यात की अनुमति उन शिपमेंट के मामले में दी जाएगी जहां मई को या उससे पहले क्रेडिट ऑफ क्रेडिट (आईएलओसी) जारी किया गया है।

डीजीएफटी के अनुसार अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर भी निर्यात की अनुमति दी जा सकेगी। विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि भारत सरकार अपने देश, पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है जो गेहूं के वैश्विक बाजार में अचानक बदलाव से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं।

नौ देशों में व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजेगा भारत

गेहूं के निर्यात पर रोक के बीच भारत सरकार ने वर्ष 2022-23 में एक करोड़ टन अनाज निर्यात करने का लक्ष्य रखा है। गेहूं के शिपमेंट को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए सरकार मोरक्को, ट्यूनीशिया और इंडोनेशिया सहित नौ देशों में व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजेगी।

गेहूं निर्यात पर एक टास्क फोर्स का गठन

वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में निर्यात बढ़ाने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अंतर्गत वाणिज्य, शिपिंग और रेलवे सहित विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों और निर्यातकों के साथ गेहूं निर्यात पर एक टास्क फोर्स का गठन किया है।

यहां आपको बतां दें कि वैश्विक बाजारों में भारतीय गेहूं की मांग में वृद्धि हुई है और किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों को आयात करने वाले देशों के सभी गुणवत्ता मानदंडों का पालन करने की सलाह दी गई है। भारत सरकार का यह एजेंडा है कि देश आने वाले समय में अनाज के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर सके।