Rajya Sabha Election : हरियाणा में फिर चलेगा जोड़ तोड़ का खेल, दोनों तरफ से क्रास वोटिंग का खतरा

Rajya Sabha Election In Haryana : हरियाणा में राज्यसभा चुनाव में फिर छह साल पुराने जैसे हालात हैं। राज्‍यसभा की दो सीटों के लिए तीन प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में होने से विधायकों के बीच क्रास वोटिंग का खतरा बढ़ गया है। घमासान दूसरी सीट पर होगा और इसमें दोनों पक्षों में सत्‍ता पक्ष और विपक्ष दोनों में क्रास वोटिंग होने  का खतरा है।

फिर छह साल पुराने जैसे हालात, इस बार सुभाष चंद्रा की जगह कार्तिकेय ने रोचक किया मुकाबला

दो सीटोंं के लिए तीन उम्‍मीीदवारोंभजपा के कृष्‍णलाल पंवार , कांग्रेस के अजय माकन और निर्दली कार्तिकेय शर्मा के मैदान में होने से मुकाबला  रोचक हो गया है। करीब छह साल पहले भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के पक्ष में क्रास वोटिंग हुई थी। उसी तरह के हालात इस बार फिर बन गए।

इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि सुभाष चंद्रा के स्थान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ने इस बार के राज्यसभा चुनाव को रोचक बना दिया है। कार्तिकेय शर्मा को जननायक जनता पार्टी व निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है, जबकि भाजपा भी उन्हें समर्थन दे रही है।

चुनाव के लिए कांग्रेस, भाजपा, जजपा व निर्दलीय विधायकों को संभालने में बीतेंगे अगले दस दिन

चुनाव में क्रास वोटिंग की आशंका अकेले कांग्रेस में नहीं है, बल्कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के विधायकों में भी क्रास वोटिंग की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। जिस तरह कांग्रेस के कुछ विधायक मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संपर्क में हैं, उसी तरह से भाजपा, जजपा व निर्दलीय विधायक भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के संपर्क में बताए जाते हैं।

तीसरे उम्मीदवार के रूप में कार्तिकेय शर्मा के मैदान में आने के बाद अब कांग्रेस भी अंदरखाने सरकार के विधायकों से संपर्क साधेगी। ऐसे में अगले दस दिनों तक अब हर दल अपने-अपने विधायकों को ‘संभालने’ में जुटा नजर आएगा।

हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन, भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री कृष्णलाल पंवार और भाजपा-जजपा व निर्दलीय विधायकों द्वारा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ने नामांकन दाखिल किए हैं।

90 सदस्यों वाली विधानसभा में राज्यसभा की पहली सीट जीतने के लिए भाजपा को 31 विधायकों की जरूरत होगी। पार्टी के खुद के 40 विधायक हैं। इसलिए कृष्णलाल पंवार को राज्यसभा में जाने का कोई जाखिम नहीं है। उनका रास्ता साफ है।

कांग्रेस के अजय माकन की जीत सुनिश्चित करने के बाद कांग्रेस को 31 विधायक चाहिए। पार्टी के पास 31 विधायक हैं। आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रहे हैं, जबकि दो से चार कांग्रेस विधायकों की भूमिका संदिग्ध है। जननायक जनता पार्टी के 10 विधायक हैं, जबकि निर्दलीय विधायकों की संख्या सात है। इनमें महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू साइलेंट वोटर हैं। ऐलनाबाद से इनेलो विधायक अभय चौटाला और सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा भी चुनाव में गेम करने की तैयारी में हैं।

निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा को चुनाव जीतने के लिए 30 विधायक जुटाने होंगे। भाजपा के नौ, जजपा के 10, सातों निर्दलीय तथा अभय चौटाला व गोपाल कांडा के समर्थन में आने पर यह संख्या 28 पहुंचती है। बलराज कुंडू का वोट कम कर दें तो यह संख्या 27 रह जाती है। अब दो से तीन वोट का जादुई आंकड़ा कैसे जुटाया जाता है, इस पर सभी की नजर रहेगी। ऐसा कांग्रेस के तीन से चार विधायकोंं के मतदान से दूर रहने पर भी हो सकता है।

हुड्डा की निगाह निर्दलीय व जजपा विधायकों पर

कांग्रेस अपने विधायकों में क्रास वोटिंग न होने दे तथा जरूरत पड़ने पर कुछ निर्दलीय व कुछ जजपा विधायकों को तोड़ने में कामयाब हो जाए तो कार्तिकेय शर्मा का बना-बनाया खेल बिगड़ सकता है। कांग्रेस के कुलदीप बिश्‍नोई के ‘बागी’ तेवरों और नाराज़गी की वजह से इस चुनाव में क्रास वोटिंग होना तय है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जोड़तोड़ के खेल में माहिर माना जाता है। ऐसे में वह चुप बैठे रहेंगे, इसकी कतई संभावना नहीं है। हुड्डा को निर्दलीय उम्मीदवार बलराज कुंडू का भी साथ मिल सकता है, जबकि कुछ जजपा विधायक हुड्डा के संपर्क में बताए जाते हैं।

ह है राज्यसभा चुनाव के लिए वोटों का फार्मूला

राज्यसभा चुनाव में सिर्फ विधायक वोट डाल सकते हैं। इसका भी अलग फार्मूला है। राज्य में जितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें एक जोड़ा जाता है। फिर कुल विधानसभा सीटों की संख्या को उससे विभाजित किया जाता है। इससे जो संख्या आती है, उसमें फिर एक जोड़ दिया जाता है। जैसे हरियाणा में दो राज्यसभा सीटों के लिए मतदान होना है। इसमें एक जोड़ा तो हो गया तीन।

राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या 90 है। अब 90 को तीन से भाग दिया तो संख्या 30 आई। इसमें एक जोड़ा तो 31 आया। यानी किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए 31 वोटों की जरूरत होगी। खास बात यह कि विधायक सभी सीटों के लिए वोट नहीं डालते। एक विधायक एक बार ही वोट दे सकता है। विधायक प्राथमिकता के आधार पर वोट देते हैं। उन्हें यह बताना होता है कि पहली पसंद और दूसरी पसंद का उम्मीदवार कौन है। यदि उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता के पर्याप्त वोट मिल जाते हैं तो वह जीत जाता है अन्यथा इसके लिए चुनाव होता है।