अगले महीने की 25 तारीख को देश को नया राष्ट्रपति मिलेगा। नामांकन प्रक्रिया चल रही है। 29 जून को पर्चा भरने की आखिरी तारीख है। इस बीच NDA ने झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है।
इसे भास्कर ने सबसे पहले बताया था कि BJP में तीन महिलाओं के नाम पर विचार किया जा रहा है, जिसमें द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके और UP की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के नाम शामिल हैं।
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आनेवाली आदिवासी नेता हैं। झारखंड की नौंवी राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं। वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया। इससे पहले BJP-BJD गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रह चुकी हैं।
नजर लोकसभा की 60 से ज्यादा सीटों पर
गौरतलब है कि लोकसभा की 543 सीटों में से 47 सीट ST श्रेणी के लिए आरक्षित हैं। 60 से अधिक सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है। मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में आदिवासी वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। ऐसे में आदिवासी के नाम पर चर्चा चल रही थी। इससे BJP को चुनाव में भी फायदा मिल सकता है, क्योंकि गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अगले डेढ़ साल के भीतर विधानसभा चुनाव होंगे, जिसका सियासी तौर पर लाभ भाजपा को मिलने की संभावना जताई जा रही है।
विपक्ष से पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा का नाम
इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार को लेकर विपक्ष की तरफ से BJP के पूर्व दिग्गज और TMC से इस्तीफा दे चुके यशवंत सिन्हा का नाम आगे बढ़ाया गया। वहीं BJP में महामहिम की रेस में महिला, मुस्लिम, दलित या दक्षिण भारत की किसी हस्ती के नाम पर विचार किया जा रहा था, ताकि 2022-23 में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों को साधने में आसानी हो सके।
आदिवासी : देश में अब तक आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन पाया है। महिला, दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारत से आने वाले लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इससे वंचित रहा है। ऐसे में यह मांग उठती रही है कि दलित समाज से भी किसी व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया जाए।
महिला : महिलाएं भाजपा के लिए कोर वोट बैंक बन चुकी हैं। इस वोट बैंक को साधने की भाजपा की कोशिश जारी है। बताया जा रहा है कि महिलाओं के नाम पर सबसे तेजी से विचार किया जा रहा था। इसमें UP की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी शामिल थीं। आनंदी बेन PM नरेंद्र मोदी की करीबी मानी जाती हैं।
आनंदी बेन के अलावा पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके भी इस रेस में शामिल बताई जा रही थीं। पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनने से भाजपा एक तीर से दो निशाना लगाएगी। पहला आदिवासी समाज को साधने में मदद मिलेगी। साथ ही महिला वोट बैंक में भी मजबूत पकड़ बनी रहेगी।
अनुसुइया उइके मूल रूप से छिंदवाड़ा की हैं और 1985 से मध्य प्रदेश से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने दमुआ से विधायक का चुनाव जीता था। वह BJP की राज्यसभा सांसद भी रह चुकी हैं। राजनीति में आने से पहले वह छिंदवाड़ा के शासकीय महाविद्यालय में तीन साल तक इकोनॉमिक्स की लेक्चरर भी रही हैं।
25 जुलाई को ही खत्म होता है राष्ट्रपति का कार्यकाल
नीलम संजीव रेड्डी ने देश के 9वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी। तब से हर बार 25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति कार्यभार संभालते आए हैं। रेड्डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकरदयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को शपथ ले चुके हैं।
देश के दो राष्ट्रपतियों का पद पर रहते हो चुका है निधन
देश में दो राष्ट्रपति ऐसे भी रहे, जिनका देहांत राष्ट्रपति पद पर रहते हुए निधन हो चुका है। इसमें तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन और सातवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद शामिल हैं। जाकिर हुसैन 13 मई 1967 से 3 मई 1969 के बीच ही राष्ट्रपति रहे थे। उनके देहांत के बाद उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।
इसी तरह से सातवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक ही अपने पद पर रहे। बीच में देहांत होने के कारण बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाना पड़ा था।
ये रहे कार्यवाहक राष्ट्रपति
राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के देहांत के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मुहम्मद हिदायतुल्ला को राष्ट्रपति चुना गया। जबकि, फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।
ममता के तीन पसंदीदा चेहरों का इनकार
विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय किया है। इसके बाद सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कई दिनों से विपक्ष को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी नहीं मिल रहा था।
NCP प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बाद अब महात्मा गांधी के पौत्र और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने भी राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने के विपक्ष का ऑफर को ठुकरा दिया है।
गांधी ने स्पष्ट किया है कि वे विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनेंगे। पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को लेकर लगातार प्रयास कर रही थीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी।
बीजद के समर्थन देने से एनडीए की वोट वैल्यू 5.63 लाख तक पहुंची, यानी मुर्मू की जीत तय
एनडीए द्वारा मुर्मू को प्रत्याशी बनाने से यशवंत सिन्हा की उम्मीदें खत्म हो गई हैं। बीजद ने मुर्मू को समर्थन दे दिया है। उधर, विपक्ष के 18 दलों की वोट वैल्यू 3,81,051 ही है। वहीं, बीजद के आने से एनडीए की वोट वैल्यू 563,825 हो गई है, जबकि जीत के लिए 5.4 लाख से ज्यादा चाहिए थे।
यूं समझें विपक्ष की उम्मीदें क्यों टूट रहीं…
18 विपक्षी दलों के 219 सांसदों की वोट वैल्यू = 1,53,300
18 दलों के कुल 1550 विधायकों की वोट वैल्यू = 2,27,751
कुल आंकड़ा = 3,81,051
18 दल, जो साथ हैं: कांग्रेस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी, सपा, सीपीआई (एम), आईयूएमएल, सीपीआई, आरएसपी, जेडीएस, आरएलपी, झामुमो आदि।
3 दल, जो अभी साथ नहीं आए: टीआरएस, शिअद और आप।
27 सांसदों का वेटेज = 18,900
261 विधायकों का = 28,194
कुल वोट वैल्यू = 47,094
इनका पाला तय नहीं: वाईएसआर, बसपा और एआईएमआईएम।
37 सांसदों का वेटेज = 25,900
170 विधायकों का = 26,703
कुल वोट वैल्यू = 52,603
24 दलों के कुल 283 सांसदों और 1981 विधायकों के वोट की कुल वैल्यू = 4,80,748
जीत को 5,40,065 से ज्यादा चाहिए।