सुब्रत रॉय के सहाराश्री बनने की कहानी:टीम इंडिया के स्पॉन्सर थे, 24 हजार करोड़ के फ्रॉड ने जेल पहुंचाया; जानें निवेशकों को कब मिलेगा पैसा?

6 मई 2013 की तारीख। देशभर से सैकड़ों बसों में सवार होकर लाखों लोग लखनऊ शहर के बाहरी इलाके में एक बड़े मैदान में इकट्ठा हो रहे थे। ये मैदान 30 फुटबॉल ग्राउंड से भी बड़ा था। ये सभी लोग एक मिशन पर थे। उनका नहीं बल्कि एक व्यक्ति का जो भारत का राष्ट्रगान गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहता था। उस समय तक ये रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम था।

सुबह करीब 10 बजे वहां लगे लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट होता है… ‘दुनिया के सबसे बड़े परिवार के अभिभावक माननीय सहाराश्री तशरीफ ला रहे हैं। जोरदार नारा लगाते हैं… सहाराश्री जिंदाबाद… सहाराश्री जिंदाबाद।’

उस दिन मैदान में मौजूद लाखों लोग एक जैसे कपड़ों में पूरी एनर्जी के साथ ये नारा लगा रहे थे। स्टेज से सहारा इंडिया परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय अपने दोनों हाथ हिलाते हैं और जोर-जोर से भारत माता की जय कहते हैं। 1,21,653 लोग मिलकर राष्ट्रगान गाते हैं जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बन जाता है।

11 सालों तक टीम इंडिया के स्पॉन्सर
उस समय सहारा देश की बड़ी प्राइवेट कंपनियों में से एक हुआ करती थी, जिसके 11 लाख से ज्यादा कर्मचारी थे। रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से लेकर स्पोर्ट्स तक सहारा इंडिया का बिजनेस फैला था। 11 सालों तक यह ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। IPL में पुणे वॉरियर्स टीम के मालिक भी सुब्रत रॉय सहारा थे।

लेकिन, 28 फरवरी 2014 को सब कुछ बदल गया। 1978 में 2,000 रुपए से शुरुआत कर अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा करने वाले सुब्रत रॉय सहारा सलाखों के पीछे पहुंच गए। उन पर लोगों की गाढ़ी कमाई हड़पने का आरोप लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को 24,400 करोड़ रुपए निवेशकों को लौटाने को कहा। तब से लेकर आज तक ये केस चल रहा है।

आप सोच रहे होंगे की ये सारी बात हम आज क्यों कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में सहारा की तरफ से न्यूज पेपर्स में एक ऐड जारी किया गया है। उसमें सहारा ने कहा, हमसे दौड़ने के लिए तो कहा जाता है, लेकिन हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है। सेबी निवेशकों को भुगतान क्यों नहीं कर रहा, जबकि उसके पास हमारे 25,000 करोड़ रुपए जमा हैं। वहीं सेबी का कहना है कि दस्तावेजों और रिकॉर्ड में निवेशकों का डेटा ट्रेस नहीं हो पा रहा, जिस कारण वो पैसा नहीं दे पा रही।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर निवेशकों को उनका पैसा कब तक मिलेगा? उनका जमा पैसा कहां चला गया? क्या ये पैसा वाकई सेबी के पास है या सहारा ग्रुप झूठ बोल रहा है। सहारा अपने निवेशकों को इतने सालों तक इतना तगड़ा रिटर्न कैसे देता रहा? तो चलिए इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं। लेकिन, इससे पहले सुब्रत रॉय सहारा के सहाराश्री बनने की पूरी कहानी जो बेहद दिलचस्प है…