दूर होगा दुनिया का खाद्य संकट:रूस-यूक्रेन ने अनाज निर्यात समझौता पर साइन किए, ब्लैक सी के रास्ते ग्रेन एक्सपोर्ट दोबारा शुरू होगा

24 फरवरी को शुरू हुई रूस-यूक्रेन जंग के चलते पूरी दुनिया खाद्य संकट से जूझ रही थी। अब इस संकट पर विराम लग गया है। दोनों देशों के बीच ग्रेन डील हुई है। इसके बाद ब्लैक सी के रास्ते अनाज का निर्यात फिर से शुरू हो जाएगा।

खास बात है कि इस समझौते में तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने अहम भूमिका निभाई है। तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन के प्रवक्ता इब्राहिम कालिनी ने एक ट्वीट में कहा- अनाज निर्यात समझौता वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। इस पर इस्तांबुल में दस्तखत हुए। इस दौरान UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, यूक्रेन और रूस का प्रतिनिधिमंडल और राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन मौजूद रहे।

डील की प्रमुख बातें

  • ब्लैक सी में फंसे अनाज से भरे जहाज अब निर्यात के लिए वहां से निकल सकेंगे।
  • रूसी सेना यूक्रेन के बंदरगाहों पर हमला नहीं करेगी।
  • तुर्की और संयुक्त राष्ट्र जहाजों का निरीक्षण करेंगे जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके की रूसी हथियार यूक्रेन न लाए जा रहे हों।
  • ब्लैक सी के माध्यम से रूसी अनाज और उर्वरक निर्यात किया जा सकेगा।

भुखमरी की कगार पर करोड़ों लोग
दरअसल, जंग के बाद यूक्रेन से अनाज और तेल बीजों का निर्यात लगभग बंद हो गया था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था- अगर युद्ध लंबा खिंचा और रूस, यूक्रेन से अनाज की सप्लाई सीमित रही तो करोड़ों लोगों के गरीबी के जाल में फंसने का खतरा है। राजनीतिक अशांति बढ़ेगी, बच्चों की शारीरिक वृद्धि प्रभावित होगी और भुखमरी फैलेगी।

जंग से कैसे पैदा हुआ खाद्य संकट
जंग ने रूस-यूक्रेन सप्लाई को अस्त-व्यस्त कर दिया। यूक्रेन ने रूसी हमले को विफल करने के लिए समुद्र में बारूदी सुरंगें बिछा दीं। उधर, रूस ने ब्लैक सी के किनारे बसे बंदरगाह शाहर ओडेसा की नाकेबंदी कर दी। वहां से यूक्रेन के माल की लदाई होती है। ऐसे में इस नाकेबंदी का खत्म होने जरूरी हो गया था। वहीं, अनाज की पैदावार के लिए फर्टिलाइजर महत्वपूर्ण जरूरत है। रूस नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फेट आधारित खाद का मुख्य सप्लायर है। रूस पर लगे प्रतिबंधों से सप्लाई पर असर पड़ा।