जिनपिंग को विरोध पसंद नहीं:18 देशों पर इमेज सुधारने के लिए दबाव, इनमें ज्यादातर गरीब अफ्रीकी देश; अरबों रुपए खर्च

चीन के राष्ट्रपति के रूप में शी जिनपिंग की तीसरी बार ताजपोशी के लिए अक्टूबर में कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक बुलाई गई है। कोरोना काल, मानवाधिकारों के मामलों और विस्तारवादी के रूप में चीन अपनी नकारात्मक छवि को बदलने के लिए सभी पैंतरे आजमा रहा है। अमेरिकी फ्री स्पीच थिंक टैंक ‘फ्रीडम हाउस’ की रिपोर्ट के मुताबिक 30 लोकतांत्रिक देशों में 18 देश ऐसे हैं, जिनके मीडिया पर जिनपिंग की इमेज सुधारने के लिए चीन ने दबाव बनाया। इनमें ज्यादातर अफ्रीकी देश हैं।

इन 18 देशों में सोशल मीडिया, पत्रकार और मीडिया संस्थानों को चीन के पक्ष में लिखने और माहौल बनाने के लिए कहा गया। राष्ट्रपति जिनपिंग के इस मीडिया मैनेजमेंट के लिए चीन सरकार की ओर से 75 लाख करोड़ रुपए का स्पेशल फंड भी जारी किया गया है। इस स्पेशल फंड से कुछ देशों में निवेश की घोषणा भी की जाती है।

अफ्रीका: 70% 4जी नेटवर्क चीन का

  • चीन का अफ्रीका के कई देशों में लगभग 160 हजार करोड़ रुपए का निवेश, तकनीक के क्षेत्र में सर्वाधिक
  • चीन ने इथोपिया और युगांडा को 3 लाख कोरोना वैक्सीन, सोमालिया और केन्या को 2 लाख डोज मुफ्त में दीं।
  • जिबूजी जैसे छोटे से अफ्रीकी देश में चीन ने वहां लगभग 14 बड़े प्रोजेक्ट में 25 हजार करोड़ रु. लगाए।

पाक-श्रीलंका पर राजनयिक दबाव भी डालता है चीन
श्रीलंका में चीन समर्थक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंजर्स की संख्या 2019 के बाद तेजी से बढ़ी है। राजपक्षे सरकार भी चीन समर्थक थी। श्रीलंका के आर्थिक हित चीन से जुड़े हैं। जिनपिंग की इमेज और नीतियों को मीडिया के जरिए प्रमोट किया जाता है। पाकिस्तान में भी जिनपिंग के पक्ष में मीडिया में रिपोर्ट छापने को कहा जाता है। पाक और श्रीलंका की सरकारों पर चीन पर अपने राजनयिकों से दबाव डालता है।

2019 के बाद से चीन की छवि दुनिया भर में गिरी है
2019 के बाद आज चीन के बारे में विदेशी मानसिकता और नकारात्मक हुई है। विशेषकर कोरोना महामारी के दौरान बीजिंग में कई ऐसी घटनाएं रहीं, जिन्होंने विदेशी मीडिया का ध्यान खींचा। विशेषज्ञों की राय में चीन की इस रणनीति से निपटने के लिए मीडिया हाउस और राजनेताओं को भी आगे आना होगा। इसमें पारदर्शिता और पत्रकारों की सुरक्षा सबसे अहम होगी। चीन के हथकंडों के खिलाफ एकजुट होना होगा।

विदेशों में रह रहे पत्रकारों को जान से मारने की धमकी
जिनपिंग सरकार के विरोध में लिखने पर चीन, दुनिया भर के पत्रकारों को धमका रहा है। कई पत्रकार और संस्थानों ने अपनी ही खबरों में फिल्टर लगा दिए। चीनी-अमेरिकी पत्रकार और चीनी-ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर ने कुछ गोपनीय बातें उजागर कीं, जिसके बाद उनको साइबर धमकी मिलनी शुरू हो गई। यूरोप में बसे एक चीनी पत्रकार ने बताया कि चीन के विरोध में छापते हैं, तो उनका परिवार भी खतरे में आ सकता है।