आयुष एडमिशन मामले में CBI जांच की सिफारिश:CM योगी ने गृह विभाग को भेजा; बिना NEET के 5-5 लाख रुपए में हुए थे दाखिले

बिना NEET यूपी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में एडमिशन का मामला जांच के लिए CBI को भेजा गया है। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने संस्तुति की है। इस मामले में कार्यवाहक निदेशक, आयुर्वेद सेवाएं, प्रोफेसर डॉ. एस एन सिंह और उमाकांत यादव, प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय आयुर्वेद सेवाएं को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा डॉ. मोहम्मद वसीम, प्रभारी अधिकारी यूनानी निदेशालय और प्रो. विजय पुष्कर कार्यवाहक संयुक्त निदेशक शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

इस मामले में आयुष विभाग की ओर से दो दिन पहले राजधानी लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था जिसके बाद शासन द्वारा इसकी विवेचना यूपी STF से कराने का निर्णय लिया गया था। अब कार्मिक मंत्रालय CBI से इस मामले की जांच करने के लिए सिफारिश करेगा।

11 अक्टूबर को मिली थी पहली सूचना
आयुर्वेद निदेशक प्रो. एसएन सिंह द्वारा दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक, आयुष विभाग को पहली दफा 11 अक्टूबर को फर्जीवाड़े की सूचना मिली। यह सूचना आयुर्वेद कॉलेजों के प्रधानाचार्यों ने दी। दरअसल, दाखिला प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रधानाचार्यों ने सभी छात्रों के शैक्षिक और NEET परीक्षा के रिकॉर्ड का सत्यापन कराना शुरू किया। सूचना मिलने के बाद ही आयुर्वेद निदेशालय सक्रिय हुआ। काउंसिलिंग बोर्ड के प्रभारी डॉ. उमाकांत को बुलाया गया। उनके जरिए काउंसिलिंग कराने वाली एजेंसी वी-थ्री साफ्ट सॉल्यूशन के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह तलब किए गए।

कई दिनों की माथापच्ची के बाद तय हुआ कि DGME कार्यालय से मिली NEET की मूल मेरिट सूची से आयुष कॉलेजों में हुए 1 हजार 181 दाखिलों के रिकॉर्ड मैच नहीं खा रहे हैं। इनके फॉर्म नंबर, डेट ऑफ बर्थ डालने पर NEET के रिजल्ट में इनवैलिड बता रहा है। इस आधार पर सभी को संदिग्ध घोषित कर दिया गया। इनमें से 22 स्टूडेंट्स नीट में शामिल ही नहीं हुए थे।

6 स्टूडेंट्स हुए हैं सस्पेंड
प्रारंभिक जांच के बाद आयुर्वेद निदेशालय ने संदिग्ध छात्रों की सूची नाम-पते के साथ संबंधित आयुर्वेदिक महाविद्यालयों को भेज दी है। संदिग्ध छात्रों के प्रवेश रद्द करने के आदेश दिए हैं। निदेशालय के 28 अक्टूबर के पत्र के क्रम में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय लखनऊ के प्रधानाचार्य ने छह छात्रों को निलंबित कर दिया। इनमें यमुना विहार, प्रयागराज की अदिति मिश्रा, जानकीपुरम लखनऊ की खुशबू पटेल, दौलतपुर बाराबंकी की रुचि भार्गव, हरैया बस्ती की संध्या सोनकर, गंगापुर अकेलवा वाराणसी के सत्यजीत राय तथा पचपेड़वा धमौली बलरामपुर के तौसीफ अहमद शामिल हैं।

इतनी सीटों पर हुए हैं दाखिले
निदेशालय के रिकॉर्ड के मुताबिक, 8 राजकीय और 68 निजी आयुष कॉलेजों की कुल 7 हजार 338 सीटों के सापेक्ष 6 हजार 797 दाखिले हुए थे। कॉलेजों की 5 हजार 41 सीटें खाली रह गई थीं। रिकॉर्ड के मुताबिक राजकीय और निजी कॉलेजों के आयुर्वेद पाठ्यक्रम में 5 हजार 512 सीटों के सापेक्ष कुल 5 हजार 117 दाखिले हुए थे। इसमें से 516 के रिकॉर्ड NEET की मेरिट सूची से संदिग्ध पाएं गए। इसी तरह होम्योपैथ में 1 हजार 28 सीटों के सापेक्ष 946 दाखिले हुए थे। वहीं यूनानी की 798 सीटों के सापेक्ष 734 दाखिले लिए गए थे।

दरअसल आयुष कॉलेजों में हुए फर्जी दाखिले में आयुर्वेद निदेशक ने काउंसलिंग कराने वाली संस्था समेत तीन के खिलाफ लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था जिसमें अपट्रान‚ निजी एजेंसी वी-3 सॉफ्ट सॉल्यूशन के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह तथा अज्ञात को नामजद किया गया था। शुरुआती जांच में सामने आया है कि नीट परीक्षा में पूरे प्रदेश में 891 छात्रों के दाखिले में फर्जीवाड़े़ के सुराग मिले।

आयुष कालेजों में बीएएमएस‚ बीयूएमएस और बीएचएमएस पाठ्यक्रमों में गलत ढंग से दाखिला करवाया। नीट यूजीसी की मेरिट को दरकिनार कर कई ऐसे अभ्यर्थियों को आयुष कॉलेजों को प्रवेश दिया गया जिनका नाम मैरिट में नहीं था। यही नहीं कम मेरिट वाले छात्रों को अच्छे कालेज आवंटित किये गये। सूत्रों के अनुसार सिंडिकेट ने गलत दाखिला कराने के एवज में छात्रों से चार से पांच लाख रुपए प्रति सीट वसूला।

बताते चलें कि आयुर्वेद‚ यूनानी तथा होम्योपैथी कॉलेज में दाखिले नीट की मेरिट सूची के आधार पर हुए थे। 2021-22 में काउंसलिंग के लिए आयुर्वेद निदेशालय ने बोर्ड का गठन किया था। आईटी सेल न होने के कारण बोर्ड की निगरानी में निजी एजेंसी सॉफ्ट सॉल्यूशन प्रा. लि. को काउंसिलिंग का ठेका दिया गया। इस एजेंसी को अपट्रान पावर ट्रानिक्स लि. ने नामित किया था। एक फरवरी 2022 से शुरू हुई काउंसलिंग प्रक्रिया 19 मई तक चार चरणों में पूरी की गई। इस मामले में विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी भी शक के दायरे में हैं और जल्द ही उनके ऊपर गाज गिर सकती है।

दो निलंबित, दो के विरुद्ध के विभागीय कार्रवाई
2021 में आयुष कॉलेजों में प्रवेश में अनियमितता मामले में राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सीएम योगी के निर्देशों के अनुपालन में प्रो. एसएन सिंह कार्यवाहक निदेशक आयुर्वेद सेवाएं–सदस्य सचिव काउंसिलिंग मूल पद प्रिसिंपल और अधीक्षक‚ उमाकान्त यादव प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय आयुर्वेद सेवाएं मूल पद प्रोफेसर राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज लखनऊ को निलंबित कर दिया गया है।

इसी प्रकार डॉ. मोहम्मद वसीम प्रभारी अधिकारी यूनानी निदेशालय तथा प्रो. विजय पुष्कर कार्यवाहक संयुक्त निदेशक शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय को नियम विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।