करनाल में इन 3 युवा मौतों का जिम्मेदार कौन:सुरक्षित सफर के दावे और सारे इंतजाम भी इनके साथ ही मर गए

एक ट्रक, 3 दिन से सड़क पर खड़ा रहा। यातायात पुलिस इससे अनजान बनी रही। लोग गुजरते रहे। किसी को इसकी परवाह नहीं। इससे हादसा हो सकता है, किसी ने सोच तक नहीं। और अंत में वहीं हुआ, जिसके बारे में न सिस्टम, न आम आदमी और न यातायात पुलिस को कोई परवाह थी। कुटेल रोड पर ट्राले (ट्रक) से बाइक टकरा जाने से तीन युवकों सचिन, निशांत व संदीप की मौत हो गई। तीनों की उम्र बस 17 से 20 साल थी। इनका कसूर बस यही था कि इनको यकीन था कि सड़क पर सुरक्षित घर पहुंच जाएंगे।

क्योंकि अभागों को नहीं पता था, उनकी मौत से सिस्टम को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। वह फिर भी दावे करेंगे। सुरक्षित सफर के। रोड सेफ्टी के लिए वह चिंतित है। इस फर्जी चिंता को जाहिर करने के लिए वह कार्यक्रम करेंगे। सड़क पर कुछ नहीं करेंगे। लोग हादसे का शिकार होते रहेंगे। मौत का ग्राफ बढ़ता रहेगा। लेकिन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। कोई इनसे सवाल नहीं करेगा। हादसे क्यों हो रहे हैं। क्यों मौत का ग्राफ बढ़ रहा है।

धरातल पर दावे फेल

रोड सेफ्टी अभियान, टोल टैक्स पर करोड़ों का रेवेन्यू जुटाने वाली कंपनियां, यातायात पुलिस अभी तक ऐसा कोई इंतजाम नहीं कर पायी कि यदि सड़क पर किसी वाहन का ब्रेक डाउन हो जाए तो उसे तुरंत हटाया जाए। यदि हटा नहीं सकते, तो कम से कम पीछे से आ रहे वाहन चालक को यह पता चल जाए कि आगे कोई वाहन खड़ा है। लेकिन हाइवे हो या फिर लिंक रोड, कहीं भी इस तरह की व्यवस्था नहीं है।

जो दर्दनाक हादसा कुटेल रोड पर हुआ, यह कोई पहला हादसा नहीं है। इस तरह के हादसों की एक लंबी फेहरिस्त है। फिर भी हाइवे अथॉरिटी या यातायात पुलिस इस तरह की व्यवस्था ही नहीं कर रही कि रोड पर ब्रेक डाउन हुए वाहन को हटाया जाए या फिर पीछे से आ रहे वाहन चालकों को सचेत करने के लिए कोई सिग्नल की व्यवस्था हो।

यह हादसा पहला नहीं

करनाल के कुटेल रोड पर बाइक सवार पांच युवकों की बाइक का ट्राले के साथ टकराने से गंभीर रूप से घायल होने और तीन की मौत का यह मामला न पहला है, न आखिरी है। इस तरह के हादसे तो हाईवे पर रूटीन की बात है। ऐसा ही एक हादसा सोमवार को भी मधुबन ओवरब्रिज पर हुआ था। जहां पर खराब ट्रक से ट्राला टकराया था और ट्राला चालक की जान चली गई। एक माह पहले प्राइवेट टूरिस्ट बस भी करनाल के ओवरब्रिज पर खराब ट्रक से टकरा गई थी। जिसमें चालक की जान चली गई थी, कई सवारियां घायल हो गई थी।

टोल कंपनी को बस रेवेन्यू की चिंता: संजीव शर्मा

रोड सेफ्टी के लिए काम करने वाले संजीव शर्मा ने बताया कि ऐसा लगता है, टोल कंपनी को अपने रेवेन्यू से मतलब है। कायदे से होना तो यह चाहिए कि टोन कंपनी हाइवे पर क्रेन की व्यवस्था रखे। जब भी ब्रेक डाउन हो तो क्रेन वाहन को सड़क से हटाए, लेकिन देखने में आया कि करनाल टोल कंपनी के पास तो क्रेन ही नहीं है।

टोल कंपनी के लोग वाहन से हाईवे पर नियमित दूरी तक गश्त करते हैं। यदि वाहन खराब मिले या रोड जाम मिले तो तुरंत उचित कदम उठाए। दुख की बात तो यह है कि इस दिशा में ध्यान ही नहीं दिया जाता है। ऐसा लग रहा है कि यातायात पुलिस भी टोल कंपनी की इस लापरवाही पर ध्यान नहीं दे रही है। यदि ध्यान दिया होता तो क्रेन की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए थी।

हादसे के लिए जिम्मेदारी तय हो

संजीव शर्मा ने कहा कि यदि इस तरह का कोई हादसा हो तो टोल कंपनी के खिलाफ भी माकूल कार्यवाही होनी चाहिए। अभी तक तो हो यह रहा है कि हादसे की शिकायत दर्ज कर पुलिस मामले को खत्म कर रही है। जबकि होना तो यह चाहिए कि यह जांच हो कि हादसा हुआ क्यों, क्या हादसे को टाला जा सकता है। हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है। इस तरह से जब हादसों की जांच होगी तो ही सुरक्षित सफर की बात सही हो सकती है। अन्यथा यह सब दिखावा है, इससे सड़क पर लोगों की जान बचाने वाली नहीं है।

आम आदमी कहां करे ब्रेक डाउन की शिकायत

हाईवे पर ऐसा सिस्टम भी नहीं है कि जहां कोई अपनी शिकायत दर्ज करा सके। कायदे से टोल कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराए। पर टोल कंपनी के संचालकों को भी पता है कि उन तक हादसे की जांच तो आएगी नहीं, इसलिए वह सुविधा उपलब्ध कराए ही क्यों? कायदे से होना तो यह चाहिए कि टोल कंपनी के संचालकों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। आखिर क्यों वह आपात स्थिति और ब्रेक डाउन स्थिति में कम्युनिकेशन के इंतजाम हाईवे पर उपलब्ध क्यों नहीं करा रही।

यातायात नियमों करें पालना

​​​​​​​करनाल के SP गंगाराम पूनिया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यदि कोई गाड़ी खराब हो जाती है तो ड्राइवर इसकी शिकायत नजदीकी थाने में कर सकता है। ड्राइवर गाड़ी को हटाने के लिए नहीं मानता है तो उसकी शिकायत भी पुलिस को करें। लोग वाहन चलाते समय सभी यातायात नियमों को ध्यान में रखें।