क्यूंग सूक 1970 में साउथ कोरिया में पैदा हुई। उसके जन्म के तुरंत बाद ही उसकी मां की मौत हो गई। पिता ने गरीबी के चलते उसे एक देखभाल केंद्र में छोड़ दिया, ताकि कुछ पैसों का जुगाड़ होने के बाद उसे वापस अपने पास रख सकें। पर ऐसा नहीं हुआ, सूक के पिता उसे वापस ला पाते उसके पहले ही उसे एक गोद लेने वाली संस्था यानी एडॉप्शन एजेंसी ने उसे अनाथ घोषित कर नॉर्वे भेज दिया।
क्या आप जानते हैं कि सूक की तरह ही साउथ कोरिया से लगभग 2 लाख बच्चों को 1950 से 80 के बीच एडॉप्शन एजेंसियों ने विदेश भेजा था। अमेरिकी मीडिया हाउस NPR की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इनमें से हजारों बच्चों को झूठ बोलकर और उनकी पहचान छिपाकर उन्हें विदेशियों को गोद दिया गया था।
साउथ कोरिया की सरकारी एजेंसियों पर भी घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे हैं। वहां की सरकार ने मामले की जांच के लिए एक आयोग भी बनाया है जिसका नाम ट्रुथ एंड रिकंसिलेशन कमिशन रखा गया है। जो उन कई सौ बच्चों के रिकॉर्ड खंगालेगी, जिन्हें धोखे से विदेशियों को गोद दिया गया था।
धोखे से गोद दिए गए बच्चों के लिए साउथ कोरिया ने बनाया कमिशन
8 दिसंबर 2022 को साउथ कोरिया के ट्रुथ एंड रिकंसिलेशन कमिशन ने कहा कि वो उन मामलों की जांच शुरू करने जा रहा है, जिनमें ए़डॉप्शन एजेंसियों ने झूठ बोलकर कई बच्चों को यूरोप में गोद दे दिया था। NPR की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक साउथ कोरिया से गोद लिए गए लगभग 400 लोगों ने अपने एडॉप्शन की जांच की मांग की है। जांच के आवेदन के लिए सरकार ने 9 दिसंबर को अंतिम तारीख रखी थी।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरिया में गैर कानूनी तरीके से बच्चों को गोद देने का मामला कितना बड़ा है। शुरुआत में कमिशन केवल 34 मामलों की जांच करेगा । ये उन 51 लोगों में शामिल हैं जिन्होंने अगस्त के महीने में जांच के लिए एप्लाई किया था।
कमिशन की जांच का जो नतीजा होगा उसके आधार पर दूसरे लोग भी इन ए़डॉप्शन एजेंसियों पर या फिर सरकार पर मुआवजे के लिए मुकदमा शुरू कर पाएंगे। जिन एजेंसियों पर धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं, उनमें दो बड़ी कंपनियां हैं। पहली- हॉल्ट चिलड्रन सर्विस, दूसरी- कोरिया सोशल सर्विस। 2024 से पहले इस जांच के पूरे होने का अनुमान हैं।
झूठ बोलकर बच्चों को यूरोप और अमेरिका में गोद देने के ज्यादातर मामले साल 1950 से 1980 के दशक के हैं। काफी सारे मामलों में झूठ बोलकर गोद दिए बच्चे गरीब परिवारों और बिन ब्याही महिलाओं के थे। जिन पर दबाव बनाया गया कि ये अपने बच्चों को अस्पताल में ही छोड़ दें। गोद देने के लिए इन बच्चों की डॉक्यूमेंट में बदलाव कर दिए जाते थे। इन्हें कागजों में अनाथ दिखाया जाता था और इनके मां-बाप से छुपा लिया जाता था कि उनका क्या किया गया है।
कैसे शुरू हुआ था साउथ कोरिया से बच्चे गोद लेने का रिवाज
साल 1954 में अमेरिका के ओरेगन इलाके से बर्था और हैरी हॉल्ट नाम का दंपत्ति कोरियन युद्ध में अनाथ हुए बच्चों पर एक प्रेजेंटेशन देखने के लिए गए थे। इस दौरान साउथ कोरिया युद्ध के असर से निकलने के लिए लड़खड़ा रहा था।
प्रेजेंटेशन में बच्चों को देखकर बर्था का दिल भर आया। द न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक उसने एक जगह लिखा था कि उन छोटे बच्चों के गोल उदास चेहरे देखकर लग रहा था मानो वो अपनी देखभाल के लिए किसी को खोज रहे हों। उस समय अमेरिका में विदेश से दो से अधिक बच्चों को गोद लेने पर रोक थी, लेकिन 1955 में ओरेगन के दो सीनेटरों ने कोरियाई युद्ध में अनाथ हुए बच्चों के लिए एक विधेयक पेश किया, ताकि होल्ट और उसकी पत्नी कोरिया के अनाथ हुए बच्चों को गोद ले सकें।
कांग्रेस से बिल पास होने के बाद होल्ट ने कोरिया से चार लड़के और चार लड़कियों को गोद लिया। जब यह खबर अगले दिन अखबारों में छपी तो होल्ट को कई सारे खत मिले। इनमें कई सारे दंपत्तियों ने इच्छा जाहिर की थी कि वो भी कोरियन युद्ध में अनाथ हुए बच्चों को गोद लेना चाहते हैं।
एक साल में होल्ट दंपत्ति ने एक एडॉप्शन कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके बाद साउथ कोरिया में भी होल्ट एजेंसी बनाई गई। धीरे-धीरे इस एजेंसी से न सिर्फ अमेरिका बल्कि कई यूरोपीय देश के लोगों ने भी बच्चे गोद लिए। यह एजेंसी आज के समय में भी विदेश की सबसे बड़ी बच्चे गोद दिलाने वाली एजेंसियों में से एक है।
कोरिया की तरह जॉर्जिया में भी हजारों बच्चों को गलत तरीकों से दिया गया था गोद साउथ कोरिया से बच्चों को गोद ले जाने में जो घोटाला हुआ ऐसा ही कुछ 1980 से 2005 के बीच जॉर्जिया में भी हुआ था। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक वहां इस दौरान हजारों बच्चों को गैर कानूनी तरीके से मरा हुआ घोषित कर एडॉप्शन सेंटरों को बेच दिया जाता था। जो बाद में उन्हें दूसरे देशों में भेज देते थे।
जो कुछ भी साउथ कोरिया में युद्ध के बाद हुआ ऐसा कई और देशों में भी पहले हो चुका है। दुनिया भर में कई सारे रिकॉर्ड्स डिजिटल हो गए हैं। DNA टेक्नोलॉजी भी लगातार एडवांस होती जा रही है। ऐसे में इंटरनेशल एडॉप्शन ट्रेड पर भी निगरानी तेज रही है। साउथ कोरिया की घटना ने इस बात पर मुहर लगा दी कि बच्चों को गोद लेने के बिजनेस में सिर्फ पैसों को महत्व दिया गया।
जंग के दौरान यूक्रेन से भी गलत तरह से बच्चों को रूस भेजने का दावा
ये कहानी सिर्फ साउथ कोरिया की नहीं है, बल्कि 2022 में जंग के दौरान यूक्रेन से भी हजारों बच्चे रूस भेजे गए हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का दावा है कि युद्ध में अब तक 2 लाख से ज्यादा बच्चों को किडनैप कर रूस भेज गया है।
NYT और अलजजीरा की रिपोर्ट ने दावा किया है कि इन बच्चों को वहां के लोगों ने गोद लिया है। जंग से पहले रूस में विदेशी बच्चों को गोद लेना गैरकानूनी था। मई 2022 में पुतिन ने कानून बदलकर विदेशी बच्चों को गोद लेने का अधिकार दे दिया।
सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थोमस ग्रीनफिल्ड ने कहा था कि अकेले जुलाई 2022 में 1800 से ज्यादा किडनैप किए गए यूक्रेनी बच्चों को रूस के लोगों ने गोद लिया है। हालांकि, अमेरिका के इन आरोपों को रूसी राजदूत वासिली नेबेंजिया ने गलत बताया और कहा कि पोलैंड और यूरोपीय संघ की तरह ही रूस में भी यूक्रेन के लोगों के लिए शरणार्थी कैंप बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यू्क्रेन या रूस के नियंत्रण वाले क्षेत्र से 600,000 बच्चे और यूक्रेनी रूस पहुंचे, जिन्हें जेलों में नहीं बल्कि राहत शिविर में रखा गया है।