26 जनवरी को रिलीज हो रही फिल्म “गांधी गोडसे एक युद्ध” सुर्खियों में है। कारण है पहली बार बड़े परदे पर महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का पक्ष रखा जा रहा है। फिल्म का ट्रेलर-टीजर भी यही दावा करते हैं कि जिस गोडसे को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला, वो ये फिल्म दे रही है।
फिल्म काल्पनिक है, लेकिन इसमें जो डायलॉग हैं वो गांधी और गोडसे के विचारों के टकराव को दिखाते हैं। ये फिल्म पहली बार नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी के सामने बराबरी पर लाकर खड़ा करती है। फिल्म को लेकर विवाद और विरोध का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
फिल्म में नाथूराम गोडसे का किरदार निभा रहे हैं मराठी फिल्मों के कलाकार चिन्मय मंडलेकर। दैनिक भास्कर ने चिन्मय से उनके गोडसे वाले रोल पर बात की। चिन्मय ने भी पूरी बेबाकी से सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि गांधी ने निडरता और सत्य सिखाया है। फिल्म करने से पहले तक वो भी नाथूराम गोडसे के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। गोडसे के रोल में खुद को बैठाने के लिए कुछ किताबें पढ़ीं और नाथूराम गोडसे के अदालत में दिए गए आखिरी बयान को कई बार सुना।
बकौल चिन्मय, इसमें कोई शक नहीं कि गोडसे एक सच्चे देशभक्त थे। उनके अदालत में दिए बयान से ये साबित भी होता है। हां, महात्मा गांधी की हत्या करने का उनका फैसला सही नहीं था क्योंकि जिस बदलाव के लिए उन्होंने गांधी जी को गोली मारी, वो बदलाव कभी हो नहीं पाया। खुद गोडसे को भी अपनी फांसी के समय ये एहसास हुआ ही होगा।
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म फिक्शनल कहानी पर आधारित है। इस फिल्म में कल्पना की गई है कि अगर महात्मा गांधी नाथूराम गोडसे के गोली मारने के बाद भी बच जाते और उनकी नाथूराम गोडसे से मुलाकात होती तो दोनों के बीच क्या बातें होतीं। दोनों के विचारों में कैसा युद्ध होता। इस फिल्म के जरिए नाथूराम गोडसे के विचारों को रखा गया है।