दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन के बाद शनिवार को सुबह से वोटों की काउंटिंग शुरू हो गई है। इलेक्शन के लिए 22 सितंबर को वोटिंग हुई थी। इस बार ABVP और NSUI के अलावा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के बीच कांटे की टक्कर चल रही है।
यूनिवर्सिटी में करीब 4 साल बाद छात्र संघ चुनाव हुए हैं। 52 कॉलेजों में वोटिंग EVM से करवाई गई, जबकि कॉलेज यूनियन के लिए बैलट पेपर पर वोटिंग हुई।
चीफ इलेक्शन ऑफिसर प्रोफेसर चंदर शेखर ने बताया यूनिवर्सिटी में 42% वोटिंग हुई। जो 2019 में हुए चुनाव के 39.90% से ज्यादा रहा। हालांकि इसके पहले 2018 में रिकॉर्ड 44.46% और 2017 में 42.8% वोटिंग हुई थी।
आज ही घोषित होंगे चुनाव के नतीजे
दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (DUSU) के आखिरी बार चुनाव 2019 में हुए थे। कोरोना के कारण 2020 और 2021 में चुनाव नहीं हो सके, जबकि एकेडमिक कैलेंडर में डिस्टर्बेंस के कारण 2022 में इलेक्शन शेड्यूल नहीं हुए। वोटिंग शुक्रवार देर रात तक चली। चुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित किए जाएंगे।
दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट इलेक्शन के लिए 15 सितंबर तक नॉमिनेशन हुए। 21 सितंबर की सुबह 8 बजे तक प्रचार चला। 22 सितंबर को वोटिंग हुई। चुनाव के लिए इस बार पार्टियों ने अपने मैनिफेस्टो भी जारी किए थे। लोकसभा चुनावों से पहले युवाओं के मूड को समझने के लिहाज से इस चुनाव को अहम माना जा रहा है।
इस बार 24 उम्मीदवार मैदान में
इस बार यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के चुनाव में चौबीस उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। ABVP, NSUI, सीपीआई (एम) समर्थित स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और सीपीआई (एमएल)-लिबरेशन से जुड़े ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने सभी चार सेंट्रल पोस्ट के लिए उम्मीदवार उतारे हैं। 2019 के चुनाव में ABVP ने चार में से तीन सीटें जीती थीं।
चुनाव पर खर्च किए 60 लाख से एक करोड़ रुपए
छात्रसंघ चुनाव की गाइडलाइंस बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में एक कमेटी बनाने का आदेश दिया था। 2006 में लिंगदोह कमेटी ने अपनी सिफारिशें दी कि एक कैंडिडेट प्रचार पर 5 हजार रुपए ही खर्च करेगा। इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूर किया था।
इसके अनुसार एक कैंडिडेट सिर्फ 5 हजार रुपए खर्च कर सकता है। कमेटी ने कहा था कि प्रचार में किसी भी तरह के प्रिंटेड पोस्टर्स का इस्तेमाल नहीं होगा और इन्हें यूनिवर्सिटी की कुछ तय जगहों पर ही लगाया जाएगा। पर वर्कर्स बताते हैं कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रेसिडेंट इलेक्शन पर 60 लाख से 1 करोड़ रुपए तक खर्च किए गए।