कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 22 सितंबर की शाम BSP सांसद कुंवर दानिश अली से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान राहुल ने दानिश अली को गले लगाया। उन्होंने इसकी फोटो एक्स (जो पहले ट्विटर था) पर शेयर की। कैप्शन में लिखा- ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’। इस मुलाकात के दौरान राहुल के साथ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे।
कुंवर दानिश अली अमरोहा से BSP सांसद हैं। 21 सितंबर को लोकसभा में चंद्रयान पर चर्चा के दौरान दिल्ली से BJP के सांसद रमेश बिधूड़ी ने उन्हें गालियां दीं और अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। जब रमेश बिधूड़ी ये सब बोल रहे थे, तब अध्यक्ष की आसंदी पर कोडिकुन्नील सुरेश बैठे थे। उन्होंने बिधूड़ी से बैठने को कहा, लेकिन वे चुप नहीं हुए।
उधर, सदन की कार्यवाही से बिधूड़ी की ओर से इस्तेमाल किए गए अपशब्दों को हटा दिया गया। हालांकि, बिधूड़ी के इस दुर्व्यवहार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद राहुल BSP नेता से मिलने पहुंचे थे।
भाजपा ने शोकॉज नोटिस दिया, दानिश बोले- न्याय नहीं तो सदन छोड़ दूंगा
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने बिधूड़ी को चेतावनी दी है कि सदन में ऐसा व्यवहार दोबारा होने पर कड़ी कार्रवाई होगी। भाजपा ने भी रमेश बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आपत्तिजनक टिप्पणी के तुरंत बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सदन में खेद जताया था। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल बिधूड़ी के सदन से निलंबन की मांग कर रही है।
उधर, BSP के सांसद दानिश अली ने कहा है कि मैंने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखकर मामले को प्रिविलेज कमेटी में भेजने की मांग की है। जब मेरे जैसे निर्वाचित सदस्य का यह हाल है तो सामान्य व्यक्ति का क्या हाल होगा। मुझे उम्मीद है, न्याय मिलेगा, स्पीकर जांच कराएंगे। वरना मैं भी इस संसद को छोड़ने के बारे में सोच रहा हूं क्योंकि इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
रमेश बिधूड़ी के बोलते समय उनके पीछे बैठे BJP के ही सांसद और पूर्व मंत्री रविशंकर प्रसाद और हर्षवर्धन हंसते हुए नजर आए। जब लोगों ने इस बारे में सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ लिखना शुरू किया तो उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि वे दुखी और अपमानित महसूस कर रहे हैं। कुछ लोगों ने उनका नाम घसीटा है।
उन्होंने यह भी लिखा कि सदन में जो अराजकता हुई थी, उसे हम स्पष्ट रूप से नहीं सुन सके कि कौन क्या कह रहा था।
रमेश बिधूड़ी के व्यवहार पर किसने क्या कहा…
- नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला- अगर उन्होंने केवल आतंकवादी कहा होता तो हमें इसकी आदत है। उन शब्दों को पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए कहा गया। भाजपा से जुड़े मुस्लिम इसे कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? इससे पता चलता है कि वे हमारे बारे में क्या सोचते हैं? उन्हें शर्म आनी चाहिए।
- कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश- उन्होंने जो कहा है वह निंदनीय है। रक्षामंत्री की माफी नाकाफी, है। सदन के अंदर या बाहर ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। यह रमेश बिधूड़ी नहीं, बल्कि भाजपा पार्टी की सोच है। हमारी मांग है कि रमेश की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए।
- AAP सांसद संजय सिंह- बीजेपी गुंडागर्दी कर रही है। बिधूड़ी की भाषा एक गुंडे, माफिया की भाषा है। दानिश अली का अपमान सभी विपक्षी सांसदों का अपमान है। मणिपुर का मुद्दा उठाने पर मुझे निलंबित किया था, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
- TMC नेता महुआ मोइत्रा- मुसलमानों, ओबीसी को गाली देना भाजपा की संस्कृति है। कइयों को अब इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता। PM मोदी ने भारतीय मुसलमानों को अपनी ही धरती पर डरकर जीने पर मजबूर कर दिया है।
- AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी- मुझे भरोसा है बिधूड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। संभावना है उन्हें भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए। आज भारत में मुसलमानों के साथ वैसा ही सलूक हो रहा है, जैसा हिटलर के जर्मनी में यहूदियों के साथ किया जाता था।
- BSP चीफ मायावती- दानिश अली के खिलाफ सदन में आपत्तिजनक टिप्पणी को स्पीकर ने रिकार्ड से हटाकर उन्हें चेतावनी भी दी है। वरिष्ठ मंत्री ने सदन में माफी मांगी है, लेकिन पार्टी ने उन पर कार्रवाई नहीं की, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
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सवाल- रमेश बिधूड़ी के व्यवहार पर क्या एक्शन हो सकता है?
संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत भारत में संसद में कही गई किसी भी बात के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता। यानी सदन में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को संसद में कुछ भी बाेलने की छूट मिली हुई है।एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो लोकसभा में प्रोसिजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस के रूल 380 के तहत स्पीकर के कंट्रोल में होता है। यानी संसद में कोई सांसद असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करता है तो उस पर स्पीकर को ही एक्शन लेने का अधिकार है।
संसद में भ्रष्ट, असत्य और अपमान जैसे शब्द नहीं बोल सकते सांसद 2022 में संसद के मानसून सत्र के शुरू होने से पहले असंसदीय शब्दों की लिस्ट जारी हुई थी, जिसके मुताबिक जुमलाजीवी, तानाशाह, विनाश पुरुष जैसे राजनीतिक बयानों के साथ ही असत्य, भ्रष्ट, कालाबाजारी जैसे सामान्य शब्द नहीं बोल सकते।
लोकसभा सचिवालय की नई बुकलेट में इन्हें असंसदीय शब्द बताया गया। बुकलेट में 1100 पेज हैं। ये लिस्ट लोकसभा-राज्यसभा के साथ ही विधानसभा की कार्यवाहियों के दौरान असंसदीय घोषित किए गए शब्दों को मिलाकर बनती है। ताजा लिस्ट 2021 की है।
2020 में असंसदीय शब्द के इस्तेमाल की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से एक शब्द को राज्यसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया था।