सिक्किम में 3 अक्टूबर को बादल फटने और लहोनक झील टूटने से तीस्ता नदी में भयानक बाढ़ आई थी। इस बाढ़ की चपेट में सेना का बुदरांग डिपो भी आ गया था। बाढ़ के पानी में बहकर पड़ोसी राज्य बंगाल पहुंचे मोर्टार को सेना ने नष्ट कर दिया है।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक 2 दिन में करीब 36 मोर्टार डिफ्यूज किए गए हैं। क्रांति पुलिस चौकी प्रभारी मंसूरुद्दीन ने कहा कि पुलिस और सेना की टीम ने 16 मोर्टार बरामद किए। इसके बाद उन्हें चेंगमारी में डिफ्यूज कर दिया गया।
उधर, विशेषज्ञों ने दावा किया है कि लहोनक झील में अब भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। इनका दावा है कि झील के निचले हिस्से में एक और ग्लेशियर झील में विस्फोटक बाढ़ आ सकती है।
लहोनक झील में अब भी बहुत पानी बाकी हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के दिवेचा सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज के ग्लेशियोलॉजिस्ट के मुताबिक बर्फ का एक बड़ा टुकड़ा ग्लेशियर से झील में गिर गया होगा, जिससे लहरें बनीं और बाढ़ आई। इससे मोराइन बांध टूट गया, जिससे ग्लॉब बन गया। 4 अक्टूबर को हुए इस हादसे में लगभग 91 लोग मारे गए और कई अभी भी लापता हैं, लेकिन झील में अभी भी बहुत सारा पानी बचा हुआ है।
ग्लेशियोलॉजिस्ट और साइंटिस्ट अनिल कुलकर्णी ने कहा कि खतरा टला नहीं है। झील में बहुत सारा पानी और बर्फ है जो इसे अतिसंवेदनशील बनाता है। सैटेलाइट इमेज से साफ पता चल रहा है कि बर्फीले हिस्से में थोड़ी कमी आई है, लेकिन ग्लेशियर का लगभग आधा हिस्सा अभी तक नष्ट नहीं हुआ है।
पिछले हफ्ते तीस्ता के पानी में बहकर आए मोर्टार फटने से दो लोगों की मौत हो गई थी और चार घायल हो गए थे। इसके बाद पुलिस और सेना ने बाढ़ में बहे बम और मोर्टार समेत सेना के हथियारों की तलाश शुरू की। एक पुलिस अधिकारी ने कहा- “पिछले दो दिनों में कुल मिलाकर 36 मोर्टार डिफ्यूज किए गए हैं और तलाशी अभियान जारी रहेगा।
पिछले 5 दिनों में 3,500 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला
सिक्किम में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे चार जिलों मंगन, गंगटोक, पाक्योंग और नामची में सबसे ज्यादा लोग फंस गए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 5 दिनों में पर्यटकों समेत कुल 3,871 लोगों को हवाई और पैदल मार्ग से निकाला गया है।
रेस्क्यू के अलावा भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टरों ने दूरदराज के इलाकों में सेना, आईटीबीपी और नागरिकों को दवा, खाना और शेल्टर भी पहुंचाया था। बाढ़ से 3,709 लोग विस्थापित हुए हैं। जिन्हें 21 राहत शिविरों में शरण दी गई है।