यूपी में आधी रात भूकंप से हिली धरती…तीव्रता 6.4 रही:लोग नींद से जागकर भागे, बाराबंकी में घरों की दीवारों में दरार; 10 सेकेंड तक झटके

यूपी में आधी रात भूकंप से धरती हिल उठी। शुक्रवार रात 11.32 बजे आए झटकों से भगदड़ जैसे हालत हो गए। लोग नींद से जागकर घर से भागे। बाराबंकी में कंपन्न से कई घरों की दीवारों में दरार आ गई। लखनऊ में लोग घर से भागकर सड़क और पार्क में इकट्‌ठा हो गए। इसके अलावा अयोध्या, वाराणसी, मेरठ, गोरखपुर समेत यूपी के लगभग सभी जिलों में 10 सेकंड तक तेज झटके महसूस हुए।

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र नेपाल में काठमांडू से 331 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में 10 किमी. जमीन के नीचे था। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.4 रही है। नेपाल में भूकंप से भारी तबाही हुई। यहां शनिवार सुबह तक 141 लोगों की मौत हुई है। आशंका है कि मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है।

फिलहाल, यूपी में भूकंप से जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोगों की नींद टूट गई। वह घरों से बाहर आ गए। वही, जो लोग कार चला रहे थे, वे भी कार से निकल कर बाहर आ गए। बाइक सवार भी एक जगह खड़े हो गए।

लखनऊ की हाईराइज समिट बिल्डिंग में चल रहीं पार्टियां रुक गईं। यहां 20 से ज्यादा बार और रेस्टोरेंट हैं। लोग सीढ़ियों से भागते हुए बाहर आए। इससे भगदड़ जैसी स्थिति मच गई।

भूकंप को लेकर अगले 24 घंटे के लिए चेतावनी जारी
लखनऊ के वैज्ञानिकों का दावा है कि भूकंप को लेकर पहले कोई चेतावनी या अलर्ट जारी नहीं किया गया था। लेकिन, अगले 24 घंटे या शनिवार रात 12 बजे से पहले कम तीव्रता के साथ भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं।

अयोध्या से 227 किमी दूर नेपाल में भूकंप का सेंटर
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, नेपाल में 11:32 बजे आए भूकंप का केंद्र काठमांडू से 331 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में 10 किलोमीटर जमीन के नीचे था। सेंटर की दूरी यूपी के अयोध्या से 227 किमी, लखनऊ से 253 किमी और उत्तराखंड के जोशीमठ से 317 किमी, पिथौरगढ़ से 208 किमी रही।

लोग बोले- मानो छत समेत पंखा गिर जाएगा
गोरखपुर के बेतियाहाता के रहने वाले राहुल मिश्रा ने बताया कि झटके कुछ ऐसे थे मानो छत समेत पंखा अभी ऊपर गिर जाएगा। गोरखपुर में तारामंडल के अमित ने बताया कि खाना खा रहा था। अचानक टेबल-कुर्सी सब हिलने लगी। पहले तो समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। जब घर से बाहर निकलकर देखा तो सब लोग सड़क पर भूकंप आने का शोर मचा रहे थे।

लखनऊ में लोग इस कदर भूकंप से डर गए कि देर रात तक घर में वापस नहीं लौटे। लोगों ने पार्कों और सड़कों में घंटों रात बिताई। फोन करके एक-दूसरे का हालचाल लेते रहे।

अक्टूबर से अब तक 3 बार आ चुका है भूकंप
भू वैज्ञानिकों के अनुसार, अक्टूबर महीने से अब तक तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। 3 अक्टूबर को 6.2 तीव्रता, 15 अक्टूबर को 3.1 तीव्रता और शुक्रवार यानी 3 नवंबर को 6.4 तीव्रता के भूकंप के झटके यूपी में महसूस किए गए।

UP में भूकंप के हाई रिस्क जोन पर हैं 61 जिले
भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग होता है। इस खतरे के हिसाब से देश या प्रदेश को चार हिस्सों में बांटा गया है। जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5 नाम दिया गया है। सबसे कम खतरे वाला जोन-2 है। सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है। जोन-5 में यूपी के जिले नहीं हैं।

जोन- 4 : सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, मुरादाबाद, बुलंदशहर, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, पीलीभीत, सहारनपुर, लखीमपुर खीरी, बदायूं, बहराइच, गोंडा, मथुरा, अलीगढ़, बरेली, बस्ती, संतकबीरनगर, देवरिया और बलिया जिला भूकंप के हाईरिस्क में रहते हैं। यानी यहां सबसे ज्यादा खतरा है।

जोन- 3: सोनभद्र, चंदौली, गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, सुल्तानपुर, रायबरेली, अयोध्या, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, एटा, फर्रुखाबाद, मिर्जापुर। यह जोन-3 में हैं।

जोन-2: ललितपुर, झांसी, महोबा, बांदा, कौशांबी, प्रयागराज के अलावा आगरा, इटावा, औरैया, कानपुर नगर, फतेहपुर, प्रतापगढ़ भूकंप के जोन-2 में है।

अब जानिए भूकंप क्यों आता है?
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है और इस डिस्‍टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

ऐसे लगाते हैं भूकंप की तीव्रता का अंदाजा
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपिसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।