नॉर्मली एक घर में महीने भर में एक किलो चायपत्ती लगती होगी। बिग बॉस के सेट पर एक दिन में ढाई किलो चायपत्ती सिर्फ क्रू मेंबर्स के लिए लगती है। 80 से 90 लीटर दूध एक दिन में इस्तेमाल होता है। शो के प्रोजेक्ट हेड ने बताया कि बिग बॉस के सेट पर जितना खर्चा चाय-पानी का है, उतने बजट में छोटे-मोटे शोज आराम से बन जाएंगे।
उन्होंने शो का एक्चुअल बजट तो नहीं बताया, लेकिन उसके बदले एक अनुमानित आंकड़ा शेयर किया है। हमें बताया गया कि जितना बिग बॉस के एक सीजन का बजट होता है, उतने में चार-पांच बड़ी फिल्में आराम से बन सकती हैं।
इस बजट में सलमान खान की फीस से लेकर, बिग बॉस हाउस का रेनोवेशन, क्रू मेंबर्स के खाने-पीने और बिजली का खर्च, कंटेस्टेंट की फीस सहित कई सारी चीजें शामिल रहती हैं।
आज हम रील टु रियल में बिग बॉस हाउस से जुड़ी कई अनकही बातों से पर्दा उठाएंगे। देश के सबसे बड़े रियलिटी शो को बनाने के पीछे कितनी मेहनत और पैसा लगता है? हम टीवी पर हर रात नए एपिसोड्स देखते हैं। इन नए एपिसोड्स को ऑडियंस तक हर रोज कैसे पहुंचाया जाता है? इन सारे बिंदुओं को सिलसिलेवार समझेंगे।
बिग बॉस के सेट पर 1000 क्रू मेंबर्स काम करते हैं, सलमान को मैनेज करने के लिए 200 एक्स्ट्रा लोग रहते हैं
बिग बॉस के सेट पर तकरीबन 1000 क्रू मेंबर्स की मौजूदगी होती है। शो के प्रोडक्शन हेड सर्वेश ने कहा, ‘पूरे सीजन में टोटल 1000 क्रू मेंबर्स काम करते हैं। इसमें से 500 क्रू मेंबर्स सोमवार से गुरुवार के लिए होते हैं।
शुक्रवार और शनिवार को सलमान खान का एपिसोड होता है। उनको मैनेज करने के लिए 200 क्रू मेंबर्स एक्स्ट्रा लगते हैं। इसके अलावा लॉन्च और फिनाले वाले दिन के लिए 200 क्रू मेंबर्स और बुलाने पड़ते हैं।
इसके अलावा जियो सिनेमा पर बिग बॉस 24 घंटे स्ट्रीम होता है। 250 क्रू मेंबर्स इसके लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। क्रू मेंबर्स के लिए 24 घंटे लाइव किचन होता है। जिसका जो मन, वो यहां आकर खा सकता है।’
सेट पर 24 घंटे डॉक्टर्स मौजूद रहते हैं, एक्स-रे मशीन भी लगाई गई है
जहां बिग बॉस का सेट है, वहां रात में ट्रैवलिंग के लिए गाड़ियां नहीं मिलती हैं। इसे देखते हुए यहां गाड़ी की भी व्यवस्था रहती है। उस गाड़ी में क्रू मेंबर्स को बैठाकर एक कॉमन जगह पर छोड़ दिया जाता है। वहां से सारे क्रू मेंबर्स अपने घर के लिए निकल जाते हैं।
सेट पर 24 घंटे डॉक्टर्स की मौजूदगी रहती है। यहां एक्स-रे मशीन भी लगाई गई है। अगर शो में किसी कंटेस्टेंट को चोट लगती है, तो उसे बाहर ले जाने की जरूरत नहीं है। यहीं पर स्कैन वगैरह कर लिए जाते हैं। बहुत इमरजेंसी में ही कंटेस्टेंट को बाहर निकाला जाता है।
घर में लगे कैमरों को बाहर से कंट्रोल किया जाता है, इसके लिए अलग टीम बैठती है
एक टीम RCO (रिमोट कंट्रोल ऑपरेटर) की होती है। इनका काम घर के अंदर लगे कैमरों को रिमोट से मैनेज करना होता है। इन कैमरों को फिजिकली कोई टच नहीं कर सकता। ये सारे कैमरे बाहर से कंट्रोल किए जाते हैं।
घर में 100 से ज्यादा ऐसे कैमरे लगे होते हैं। एक PCR रूम भी है। जितने कैमरे हैं, उतने ही मॉनिटर भी लगे हुए हैं। PCR रूम में बैठे लोग देखते रहते हैं कि घर में हर वक्त क्या चल रहा है।
इस बार बिग बॉस हाउस में सबसे ज्यादा 113 कैमरे लगाए गए
शो के क्रिएटिव डायरेक्टर तुषार ने कहा कि इस बार यानी बिग बॉस-17 में घर के अंदर सबसे ज्यादा 113 कैमरे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, ’हर सीजन में घर के स्ट्रक्चर में बदलाव किया जाता है। उसी हिसाब से कैमरों की संख्या को बढ़ाया या घटाया जाता है। इस बार हमने सबसे ज्यादा कैमरे लगाए हैं।’
तुषार ने बताया कि रिकॉर्डिंग के साथ ही एडिटिंग भी चलती रहती है। एडिटर्स की पूरी टीम इसमें शिफ्ट के हिसाब से 24 घंटे लगी रहती है। तुषार ने कहा, ‘जैसे लाइव क्रिकेट मैच के दौरान ही हाइलाइट्स या छोटे-छोटे शॉर्ट्स वीडियो दिखाए जाते हैं। ठीक उसी तरह यहां भी हर वक्त एडिटिंग चलती रहती है। अंत में हमारी टीम डिसाइड करती है कि कौन से क्लिप या पोर्शन को एपिसोड में दिखाया जाएगा। सबसे इंटरेस्टिंग पार्ट को एपिसोड में रखा जाता है।’
कभी बिजली गई तो बैकअप में 10 जनरेटर की व्यवस्था, कैमरे बंद न हों इसके लिए 250 KVA का इन्वर्टर लगा हुआ
प्रोडक्शन हेड सर्वेश ने कहा कि शो के अंदर कभी भी पावर सप्लाई बंद नहीं हो सकती। इसके लिए खास इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘अमूमन हमारे घरों में 1KVA का इन्वर्टर लगा होता है। बिजली जाने पर उससे फैन, बल्ब और टीवी चला सकते हैं।
बिग बॉस के घर में 250 KVA का सिर्फ एक इन्वर्टर लगा हुआ है। अगर कभी लाइट जाती है तो यह इन्वर्टर घर के कैमरों को आधे घंटे तक ऑन रखता है। आधे घंटे के अंदर जनरेटर चलाने पड़ते हैं। एक जनरेटर से काम नहीं चलता, बल्कि 10 जनरेटर एक साथ चलाने पड़ते हैं। मान लीजिए कि इसमें से कुछ जनरेटर चलते-चलते खराब हो गए। ऐसी कंडीशन में 6 जनरेटर बैकअप में तैयार रहते हैं।’